TRENDING TAGS :
फूलन-ददुआ के चंबल की पाठशाला क्या योगी करा पाएंगे बंद
लखनऊ। आखिर छह दशक से चित्रकूट के पाठा में छाए डकैतों के खौफ के बादल छंट गए। माना जा रहा है कि फूलन-ददुआ के चंबल की पाठशाला अब बंद हो गई है। पाठा डकैत गिरोहों से मुक्त हो गया है। अगर यह बात कही जा रही है तो इसकी वजह भी है क्योंकि ददुआ, ठोकिया, रागिया और बलखड़िया के बाद बबली व लवलेश ही दो बड़े डकैत बचे थे जो बाकायदा अपना सशक्त गिरोह चला रहे थे।
धनंजय सिंह
लखनऊ। आखिर छह दशक से चित्रकूट के पाठा में छाए डकैतों के खौफ के बादल छंट गए। माना जा रहा है कि फूलन-ददुआ के चंबल की पाठशाला अब बंद हो गई है। पाठा डकैत गिरोहों से मुक्त हो गया है। अगर यह बात कही जा रही है तो इसकी वजह भी है क्योंकि ददुआ, ठोकिया, रागिया और बलखड़िया के बाद बबली व लवलेश ही दो बड़े डकैत बचे थे जो बाकायदा अपना सशक्त गिरोह चला रहे थे।
चित्रकूट पुलिस देखती रह गई, फिरौती लेकर डकैत ने व्यापारी को छोड़ा
मारे जा चुके डाकू सरदारों के अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा था जिसके बूते यह गिरोह पुलिस व पीएसी से भी टकराने से पीछे नहीं हटता था। दो साल मे दस बड़ी मुठभेड़ों मे मैन और फायर पावर गंवाकर गिरोह कमजोर हो चुका था। इन दोनों के खात्मे के साथ ही यह डकैत गिरोह भी खत्म हो गया।
धर्म नगरी बन गई डकैतों की नगरी
भगवान राम की तपोभूमि वाला चित्रकूट डकैतों के लिये भी कुख्यात रहा है। यहां 70 के दशक मे डकैतों की जो विषबेल फूटी वह बांदा-चित्रकूट के समूचे पाठा मे फैल गई। राजा रागौली, सीवन और गया बाबा जैसे डाकुओं ने इस धर्म नगरी को अभिशप्त कर दिया।
बीहड़ों में आतंक का पर्याय बने इस डकैत ने यूपी पुलिस को दिया फिर चकमा
इसके बाद तो ददुआ, खरदूषण, लखना पंडित, राधे, अंगद, सुग्रीव, राजू कोल, राजा खान, राहुल मिश्रा, मुन्नी लाल यादव, पप्पू यादव ठोकिया, रागिया, बलखड़िया ने पाठा मे आतंक की हुकूमत चलाए रखी। पाठा वासियों की लाचारी और मजबूरी का फायदा उठाकर खूब फले फूले।
कोल आदिवासी भी आकर्षण के शिकार हुए
400 वर्ग किलोमीटर मे फैले पाठा मे अपने अपने इलाके घोषित कर आतंक फैलाए रखा। अपहरण, डकैती, लूट, कमीशन के जरिये लाखों करोड़ों की काली कमाई की। डकैतों की दहशत और कमाई देख पाठा के अनपढ़ कोल आदिवासी डकैतों के प्रति समर्पित होने लगे। जी हुजूरी से शुरूआत कर भरोसा हासिल किया और बंदूक उठा ली। तमाम युवा भटक गए और भटकाकर उन्हें डकैत बना दिया गया। पुलिस मुठभेड़ की ट्रेनिंग दी गई। निशानेबाजी सिखाई गई और गिरोह मे शामिल कर लिया गया।
डकैतों के गढ़ में पाठा की पाठशाला, इस मुहीम की हो रही सराहना
डकैतों की पाठशालाएं खूब चलीं
पाठा में अलग अलग डकैत गिरोहों की इस तरह की पाठशालाएं चमरौंहा, सकरौंहा, गिदुरहा, निही चिरैया, मऊ गुरदरी, लाल चैक, कोलहुंआ, मडफा, फतेहगंज, बघेलाबारी, डाडिनपुरवा, मुतियारी के जंगलों मे खूब चली। डकैतों के झांसे मे आकर न जाने कितने युवा डाकू बनकर न केवल बरबाद हो गए बल्कि पुलिस की गोली खाकर असमय काल के गाल मे समा गए।
शौकिया बन गए डकैत
बबली कोल और लवलेश के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। शौकिया डकैत बन गए। परिस्थितियां ऐसी बनी कि गैंग लीडर बन गए फिर घर वापसी के सारे रास्ते बंद हो गए। इसी तरह सोहन, संजय कोल और लाले कोल ने भी शौकिया बन्दूक थाम ली। अंत में वही हुआ जो बांकी डकैतों के साथ होता आया है। गोली का शिकार बने फिर वह गोली चाहे पुलिस की हो या फिर किसी अपने दोगले साथी की। सोहन, संजय कोल और लाले कोल किस्मत वाले है, जो पुलिस हिरासत से जेल चले गये।
मैनपावर का दम
पाठा का इतिहास गवाह है कि यहां उसी डकैत गिरोह की तूती बोली है जिसके पास तगड़ा मैनपावर रहा हो। इन दोनों जरुरतों को पूरा करने वाले ददुआ ने इसी की बदौलत पाठा में कई दशक तक राज किया। ददुआ के समानांतर खड़ा हुआ ठोकिया गिरोह तो फायर व मैन पावर मे ददुआ से दस कदम आगे था। पुलिस पर भी ठोकिया गिरोह का खौफ रहा करता था।
बबली भी इसी पाठशाला का था
दर्जन भर पुलिस जवानों को मारने वाला ठोकिया खाकी किलर के नाम से कुख्यात रहा। गिरोह के तीन दर्जन से अधिक अत्याधुनिक असलहे ठोकिया के मारे जाते ही अलग अलग बंट गए। सबके अलग गिरोह बन गए और पुलिस का सरदर्द बढ़ गया। रागिया पांच साथियों सहित मार डाला गया। उधर बलखड़िया गिरोह मे बबली कोल शामिल हो गया।
साल 2015 मे बलखड़िया मारा गया तो बबली कोल सरगना बन गया। विरासत मे असलहों का जखीरा और गैंग सदस्य मिल गए। इसके पहले तीन साल बलखड़िया के साथ घूमकर बबली कोल ने डकैती की पाठशाला पास कर ली। बलखड़िया के बाद आतंक का पर्याय बन गया। बबली, लवलेश के मारे जाने के बाद पाठा मे अब कोई डकैत गिरोह पनपता नहीं दिख रहा। न पाठा मे डकैत बचे और न असलहे।
लगता है कि योगी की सरकार में छह दशकों से अशांत पाठा अब शांत हो जाएगा। इस बारे में चित्रकूट धाम रेंज के डीआईजी का भी कहना है कि पाठा दस्युविहीन हो गया है, जल्दी ही गौरी यादव व साधना पटेल भी पकड़े जायेंगे।