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Bibek Debroy: विवेक देबरॉय के संविधान बदलने की मांग वाले बयान पर भड़का विपक्ष, जदयू-राजद के बाद मायावती ने साधा निशाना

Bibek Debroy Constitution Remark: बीएसपी चीफ ने देबरॉय को निशाने पर लेते हुए कहा, आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय द्वारा अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है।

Krishna Chaudhary
Published on: 18 Aug 2023 4:03 PM IST
Bibek Debroy: विवेक देबरॉय के संविधान बदलने की मांग वाले बयान पर भड़का विपक्ष, जदयू-राजद के बाद मायावती ने साधा निशाना
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पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Pic: Newstrack)

Bibek Debroy Constitution Remark: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय के द्वारा अखबार में लिखे गए एक लेख पर सियासी बवाल मचा हुआ है। देबरॉय के लेख का पूरा लब्बोलुआब यही था कि देश को अब एक नए संविधान की जरूरत है। सरकार में शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति जो कि प्रधानमंत्री का करीबी है, उसकी तरफ से ऐसी राय सामने आने के बाद देश में हंगामा मचना ही था और ऐसा हुआ भी। जदयू-राजद जैसी विपक्षी पार्टियों ने देबरॉय के लेख को लेकर सीधे केंद्र को टारगेट किया।

वहीं, अब इस विवाद में यूपी की पूर्व सीएम और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती भी कूद पड़ी हैं। उन्होंने लेख को आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करारे देते हुए केंद्र सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। बीएसपी चीफ ने देबरॉय को निशाने पर लेते हुए कहा, आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय द्वारा अपने लेख में देश में नए संविधान की वकालत करना उनके अधिकार क्षेत्र का खुला उल्लंघन है जिसका केन्द्र सरकार को तुरन्त संज्ञान लेकर जरूर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि आगे कोई ऐसी अनर्गल बात करने का दुस्साहस न कर सके।

मायावती ने भारतीय संविधान की तारीफ करते हुए अपने एक ट्वीट में लिखा, देश का संविधान इसकी 140 करोड़ गरीब, पिछड़ी व उपेक्षित जनता के लिए मानवतावादी एवं समतामूलक होने की गारण्टी है, जो स्वार्थी, संकीर्ण, जातिवादी तत्वों को पसंद नहीं और वे इसको जनविरोधी व धन्नासेठ-समर्थक के रूप में बदलने की बात करते हैं, जिसका विरोध करना सबकी जिम्मेदारी।

राजद-जदयू ने केंद्र पर साधा निशाना

राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इशारों में केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि ये विवेक की जुबान से कहलवाया गया है। उन्होंने कहा कि बिबेक देबरॉय देश में ऐसा कानून चाहते हैं, जहां राजा के मुंह से निकला हर शब्द कानून बन जाए। वहीं, जदयू ने कहा कि बिबेक ने जो कहा है उसने बीजेपी और आरएसएस की नफरत भरी सोच को फिर से सबके सामने उजागर कर दिया है। भारत इस तरह की कोशिशें कभी स्वीकार नहीं करेगा।

क्या था बिबेक देबरॉय के लेख में ?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय ने न्यूज वेबसाइट द मिंट के लिए 14 अगस्त 2023 को एक लेख लिखा था। इस आर्टिकल का शीर्षक था, 'दियर इज ए केस फोर वी द पीपल टू एंब्रास ए न्यू कॉन्सटीट्यूशन'। देबरॉय ने इसमें भारतीय संविधान को औपनिवेशिक विरासत बताते हुए कहा कि हमारा संविधान 1935 के गवर्मेंट इंडिया एक्ट पर आधारित है। उन्होंने कहा कि साल 2047 के लिए भारत को किस संविधान की जरूरत है ?

हम आज जो भी चर्चा करते हैं वो वह संविधान से शुरू होती है और संविधान पर ही खत्म होती है। बिबेक देबरॉय ने आगे कहा कि संविधान में महज कुछ संशोधनों से काम नहीं चलेगा। हमें इस बात पर चर्चा करने की जरूरत है कि संविधान के प्रस्तावना में मौजूद समाजावादी, धर्मनिरपेक्ष, न्याय, लोकतांत्रिक, स्वतंत्रता और समानता जैसे शब्दों का अब क्या मतलब है। हम लोगों को खुद को एक नया संविधान देने की जरूरत है।

बिबेक देबरॉय के इस आर्टिकल पर विवाद गहराने के बाद केंद्र सरकार और खुद आर्थिक सलाहकार परिषद ने इससे खुद को अलग कर लिया है। परिषद की ओर से जारी स्पष्टीकरण में कहा गया कि लेख में कही गई बातें बिबेक देबरॉय के निजी विचार हैं, इससे परिषद का कोई लेना-देना नहीं है।



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Krishna Chaudhary

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