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मतभेदों से दूर रहने पर मोदी का जोर, एएमयू संबोधन से सबको साधने की कोशिश

उन्होंने एएमयू को मिनी इंडिया बताते हुए कहा कि सर सैयद अहमद साहब का संदेश हमें इस बात की नसीहत देता है कि धर्म व जाति को न देखते हुए हमें हर किसी की सेवा करनी चाहिए।

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Published on: 22 Dec 2020 2:17 PM IST
मतभेदों से दूर रहने पर मोदी का जोर, एएमयू संबोधन से सबको साधने की कोशिश
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मतभेदों से दूर रहने पर मोदी का जोर, एएमयू संबोधन से सबको साधने की कोशिश (PC: social media)

लखनऊ: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के लिए मंगलवार का दिन ऐतिहासिक था। 56 साल बाद देश के प्रधानमंत्री ने एएमयू के कार्यक्रम में हिस्सा लिया।पीएम नरेंद्र मोदी ने एएमयू के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के पुराने मूल्यों और परंपराओं को याद किया। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में मौजूद इमारते सिर्फ बिल्डिंग मात्र नहीं हैं बल्कि इनके साथ शिक्षा का जो इतिहास जुड़ा हुआ है वह भारत की अमूल्य थाती है।

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उन्होंने एएमयू को मिनी इंडिया बताते हुए कहा कि सर सैयद अहमद साहब का संदेश हमें इस बात की नसीहत देता है कि धर्म व जाति को न देखते हुए हमें हर किसी की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम मतभेदों में काफी वक्त गंवा चुके हैं और अब समय आ गया है कि हमें मतभेदों को भूलकर नए भारत के निर्माण के लिए जुट जाना चाहिए। राष्ट्र के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अब सभी मतभेद किनारे रख दिए जाने चाहिए।

राष्ट्रीय लक्ष्य के लिए मतभेदों का मतलब नहीं

पीएम मोदी ने कहा कि किसी भी समाज में वैचारिक मतभेद तो जरूर होते हैं मगर जब बात राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने की हो तो इन मतभेदों का कोई मतलब नहीं रह जाता है। जब हमारे युवा साथी इस सोच के साथ आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे तो ऐसी कोई भी मंजिल नहीं है जो हासिल न की जा सके।

उन्होंने कहा कि पिछली शताब्दी में बहुत समय मतभेदों के नाम पर जाया किया जा चुका है। अब और समय ना गंवाते हुए एक लक्ष्य के साथ नया भारत और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए जुटना है।

देश को आत्मनिर्भर बनाने में जुटना होगा

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया इस समय भारत की ओर देख रही है और सभी को इस बात को लेकर उत्सुकता है कि जिस सदी को भारत की बताया जा रहा है, उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत कैसे आगे बढ़ता है। ऐसे में हर किसी का एकमात्र लक्ष्य भारत को आत्मनिर्भर बनाने का होना चाहिए।

उन्होंने एएमयू की महत्ता को रेखांकित करते हुए इसे इस्लामिक रिसर्च का एक बड़ा केंद्र बताया। उन्होंने कहा कि एएमयू पर भारत के मूल्यों और लोकाचारों को दुनिया में फैलाने की दोहरी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि एएमयू कैंपस अपने आप में एक शहर की तरह है और इसे देखकर मिनी इंडिया जैसा आभास होता है। यहां एक तरफ उर्दू पढ़ाई जाती है तो दूसरी तरफ हिंदी भी।

एएमयू के योगदान को किया याद

इस विश्वविद्यालय ने पिछले 100 वर्षों के दौरान दुनिया के कई देशों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत बनाने का काम किया है। यहां विभिन्न भाषाओं में की जाने वाली रिसर्च इस्लामिक वर्ल्ड के साथ ही साथ भारत के सांस्कृतिक रिश्तों को भी नई ऊर्जा देने में सक्षम है। उन्होंने कोरोना संकटकाल में एएमयू की ओर से की गई समाज की मदद को भी याद किया।

pm-modi pm-modi (PC: social media)

संविधान में मिले अधिकार रहेंगे सुरक्षित

पीएम मोदी ने कहा कि इस देश पर सभी का हक है और जो देश का है वह हर देशवासी का भी है। उन्होंने कहा कि देशवासियों को संविधान से मिले अधिकारों को लेकर पूरी तरह निश्चिंत रहना चाहिए क्योंकि हमारी सरकार का सबसे बड़ा मंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास ही है।

मुस्लिम बेटियों में बढ़ा शिक्षा का रुझान

उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में अब 35 फ़ीसदी तक मुस्लिम बेटियां पढ़ रही हैं। देश में मुस्लिम बेटियों का स्कूल से ड्रॉपआउट रेट भी काफी गिरा है।

पहले मुस्लिम बेटियों का ड्रॉपआउट रेट करीब 70 फ़ीसदी से अधिक था और कई दशकों से यही स्थिति बनी हुई थी मगर यह खुशी की बात है कि स्वच्छ भारत मिशन के बाद मुस्लिम बेटियों का ड्रॉपआउट रेट 30 फ़ीसदी तक रह गया है। उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के लिए बनाए गए तीन तलाक के कानून का भी जिक्र किया।

कुछ नया करने पर पीएम का जोर

उन्होंने कहा कि एएमयू के 100 साल पूरे होने पर छात्रों को कुछ नया करना चाहिए। उन्होंने रिसर्च पर जोर देते हुए कहा कि आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में रिसर्च की जा सकती है जिनके बारे में अभी तक बहुत कम लोग जानते हैं। यदि एएमयू के छात्र ऐसे लोगों के बारे में जानकारी सामने ला सके तो निश्चित रूप से यह देश के लिए बहुत बड़ी सेवा होगी।

सरकार की उपलब्धियों का दिया ब्योरा

पीएम मोदी ने अपने पिछले 6 वर्ष के कार्यकाल का विवरण देते हुए कहा की वर्ष 2014 में हमारे देश में सिर्फ 16 आईआईटी थे मगर आज 30 आईआईटी में छात्रों को शिक्षा ग्रहण करने का मौका मिल रहा है। छह वर्षों के दौरान ट्रिपल आईआईटी की संख्या 9 से बढ़कर 25 हो गई है जबकि आईआईएम 13 से बढ़कर बीस की संख्या तक पहुंच गए हैं।

उन्होंने नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में 21वीं सदी में भारत के छात्र छात्राओं की जरूरतों का सबसे ज्यादा ध्यान रखा गया है। हमारे देश के युवा नेशन फर्स्ट के आह्वान के साथ देश को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मजहब की वजह से कोई नहीं छूटेगा पीछे

पीएम मोदी ने कहा कि आज देश उस मार्ग पर आगे बढ़ रहा है जहां हम इस बात का पूरा ख्याल रख रहे हैं कि मजहब की वजह से कोई पीछे न छूट जाए। सभी को आगे बढ़ने का समान अवसर मुहैया कराया जा रहा है। देश की नीयत और नीतियों दोनों में हमारा यही संकल्प झलकता है।

उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना के तहत बिना किसी भेदभाव के 50 करोड़ लोगों को पांच लाख़ तक का मुफ्त इलाज संभव हुआ है। आज देश में जो कुछ भी योजनाएं बनाई जा रही हैं वह बिना किसी मत-मजहब के भेद के हर वर्ग तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

बिना भेदभाव के सरकार कर रही काम

अपनी सरकार की विभिन्न योजनाओं का ब्यौरा पेश करते हुए मोदी ने कहा कि हमने बिना भेदभाव के 40 करोड़ से ज्यादा गरीबों के बैंक खाते खोले हैं और इसके साथ ही दो करोड़ से ज्यादा गरीबों को पक्के घर देने में कामयाबी हासिल की है। हमारी सरकार ने बिना किसी भेदभाव के 8 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को गैस कनेक्शन दिया है।

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अपने संबोधन के अंत में मोदी ने एएमयू की महत्ता बताते हुए कहा कि यहां से तालीम लेकर निकले छात्रों ने दुनिया के तमाम देशों में बुलंदी का झंडा गाड़ा है। यहां से पढ़कर निकले लोग दुनिया के विभिन्न देशों में भारत की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने एएमयू में संबोधन का मौका देने के लिए सभी के प्रति आभार भी जताया।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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