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UP में पहले भी हुई थी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की कोशिश

पुलिस कमिश्नर प्रणाली को अगेंजो के जमाने में प्रयोग में लाया जाता था। इसके बाद एक प्रयोग रामनरेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में 1977 कानपुर में यह प्रणाली शुरू की गयी थी लेकिन कुछ समय बाद इसे वापस ले लिया गया था।

Dharmendra kumar
Published on: 13 Jan 2020 9:40 PM IST
UP में पहले भी हुई थी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की कोशिश
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: पुलिस कमिश्नर प्रणाली को अंग्रेजों के जमाने में प्रयोग में लाया जाता था। इसके बाद एक प्रयोग रामनरेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में 1977 कानपुर में यह प्रणाली शुरू की गयी थी, लेकिन कुछ समय बाद इसे वापस ले लिया गया था।

आजादी के बाद यूपी में कई सरकारें आईं, लेकिन कोई भी सरकार इसे लागू करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई, लेकिन योगी सरकार ने इसे पहली बार लागू किया है। अब कहा जा रहा है कि नोएडा और लखनऊ के बाद इसे कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर और आगरा में भी लागू किया जाएगा।

यूपी के इतिहास में योगी आदित्यनाथ की सरकार में जब आज लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने की घोषणा हुई तो सत्ता के गलियारे से लेकर आम जनता तक यह जानने की बेताबी बढ़ गयी कि आखिर पुलिस कमिश्नर प्रणाली है क्या और इससे जनता को क्या लाभ होने जा रहा है?

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पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद यही अधिकारी सबसे ऊपर रहेगा। अंग्रेजों के जमाने में पुलिस कमिश्नर प्रणाली भारत के कोलकाता (कलकत्ता), मुंबई (बॉम्बे) और चेन्नई (मद्रास) में हुआ करती थी। उस इन शहरों को प्रेसीडेंसी सिटी कहा जाता था, लेकिन बाद में उन्हें महानगर कहा जाने लगा।

पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस कमिश्नर ही सबसे बड़ा अधिकारी होता है और कई अधिकार डीएम से लेकर पुलिस कमिश्नर को दे दिए जाते हैं। जबकि भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंदर जिलाधिकारी यानी डीएम के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी हैं। लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने से पहले पुलिस अधिकारी को डीएम से परमीशन लेनी पड़ती थी, लेकिन अब पुलिस कमिश्नर सीधे शासन के प्रति जवाब देह होगा। अब कमिश्नर स्वयं निर्णय ले सकता है।

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कमिश्नर के पास ज्यूडिशल पावर भी होता है। इससे अपराधियों में खौफ का माहौल बनेगा और राजनीतिक दबाव भी कम ही बन पाएगा। इस प्रणाली के तहत उस महानगर को कई हिस्सों में बांट दिया जाता है जिसके लिए डिप्टी एसपी स्तर के पुलिस अधिकारियों की तैनाती की जाती है। जो बराबर कानून व्यवस्था पर अपनी निगरानी रखते हैं। यह प्रणाली इस मामले में भी लाभप्रद होती है जो लोग हथियार का लाइसेंस लेने के इच्छुक होते हैं उनके अस्त्र का लाइसेंस भी कमिश्नर ही देता है।

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कमिश्नर ही उनके लाइसेंस का अधिकार भी खत्म कर सकते हैं। इस प्रणाली के लागू होने के बाद धारा 151 116 और 107 जैसी धारा में पुलिस गिरफ्तार कर सीधे जेल भेज सकेगी। पुलिस कमिश्नर के साथ एक ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर और एक असिंटेंट पुलिस कमिश्नर की भी तैनाती की जाती है। यह प्रणाली देश के 15 राज्यों के 71 शहरों में पहले से ही लागू है। और बडे़ महानगरों में काफी उपयोगी भी सिद्ध हो चुकी है।

लखनऊ (ग्रामीण) में वर्तमानव्यवस्था यथावत लागू रखी जाएगी

लखनऊ (ग्रामीण) में वर्तमान पुलिस अधीक्षक की व्यवस्था यथावत लागू रखी जाएगी। सम्बन्धित पुलिस अधीक्षक पूर्व व्यवस्था के अनुसार अपने उप महानिरीक्षक तथा महानिरीक्षक को रिपोर्ट करेंगे।

गौतमबुद्धनगर तथा लखनऊ की नगरीय जनसंख्या 10 लाख से अधिक है। इसके दृष्टिगत दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-8 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जनपद लखनऊ (नगर) एवं गौतमबुद्धनगर को महानगर क्षेत्र घोषित करने का निर्णय भी मंत्रिपरिषद द्वारा लिया गया है। इन दोनों महानगरीय क्षेत्रों में भविष्य में सृजित होने वाले महानगरीय क्षेत्र के थानों को सम्मिलित किया जा सकेगा।

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लखनऊ (नगर) के अधीन आलमबाग, अलीगंज, अमीनाबाद, आशियाना, बाजारखाला, बंथरा, चैक, कैण्ट, चिनहट, गोमती नगर, गुडम्बा, गाजीपुर, गौतमपल्ली, गोसाई गंज, हसन गंज, हजरत गंज, हुसैन गंज, इन्दिरानगर, जानकीपुरम, कैसरबाग, कृष्णानगर, महानगर, मानक नगर, मड़ियांव, नाका, पारा, पीजीआई, सआदतगंज, सरोजनी नगर, तालकटोरा, ठाकुरगंज, विभूति खंड, विकास नगर, वजीर गंज, काकोरी, नगराम, महिला थाना, मोहनलाल गंज, सुशांत गोल्फसिटी तथा गोमती नगर विस्तार पुलिस थाने सम्मिलित हैं। लखनऊ (ग्रामीण) के अधीन बक्शी का तालाब, इटौंजा, मलिहाबाद, निगोहा तथा माल पुलिस थाने शामिल हैं।



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