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लगातार सामने आ रही प्रशासन की लापरवाही, जमातियों को नहीं ढूँढ पा रही पुलिस
दिल्ली जमात में शामिल जमातियों की खोज करने को लेकर प्रदेश सरकार ने सख्त निर्देश दे रखे हैं। लेकिन जिले में जिन 85 जमातियों की सूची प्राप्त हुई है
अंबेडकरनगर: दिल्ली जमात में शामिल जमातियों की खोज करने को लेकर प्रदेश सरकार ने सख्त निर्देश दे रखे हैं। लेकिन जिले में जिन 85 जमातियों की सूची प्राप्त हुई है। उनमें से केवल 12 को ही अभी तक ट्रेस किया जा चुका है। शेष जमाती कहां है, किससे किससे मिल चुके हैं, उनकी स्थिति क्या है, इस बारे में प्रशासन पूरी तरह अनजान बना हुआ है।
73 जमाती प्रशासन की पहुंच से बाहर
तीन दिन पूर्व में कलेक्ट्रेट में आयोजित समीक्षा बैठक में जिला अधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने जमातियों को हर हाल में ढूंढने के निर्देश दिए थे। लेकिन अभी तक इसमें कोई भी सफलता नहीं मिल सकी है। सवाल यह है कि अगर इन जमाती में से एक भी पॉजिटिव निकला तो अब तक सुरक्षित चल रहे इस जिले में स्थिति किस कदर बिगड़ सकती है इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। 73 जमातियों का अभी तक प्रशासन के हाथ नहीं लगना प्रशासन की लापरवाही को ही दर्शाता है।
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पुलिस अधीक्षक के पेशकार ने बताया कि शेष जमातियों की खोज में कई टीमें लगी हुई हैं। जमातियों को खुद सामने आने की अपील भी बेअसर साबित हो रही है। जिले में जिन 12 जमातियों की कोरोना की जांच कराई गई, उनकी सभी की रिपोर्ट नेगेटिव आने से प्रशासन ने राहत की सांस अवश्य ली है। जमातियों के न पकड़े जाने व उनके द्वारा खुद अपनी जाँच कराने व क्वारेंटाइन होने से परहेज किये जाने के कारण जनपद वासियो में भय देखा जा रहा है। लोग हर पल किसी अनहोनी की आशंका से ग्रस्त हैं।
लगातार सामने आ रही प्रशासन की लापरवाही
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इस सम्बन्ध में जब सीएमओ डॉ अशोक कुमार से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि जमातियों को सामने लाना पुलिस का काम है। जब वह मिल जाएंगे तब हम जाँच करवाएंगे। दूसरी तरफ केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार सोशल डिस्टेंसिंग को बढ़ावा देने के लिए जोर लगा रहे हैं। लेकिन जिले का प्रशासनिक अमला इसके प्रति भी गंभीर नहीं दिखता। बैंकों में इस समय लग रही भीड़ प्रशासनिक नाकामी का ही परिणाम है। ऐसे में जनधन खाते से पैसा निकालने के लिए भारी संख्या में खाताधारक बैंकों में पहुंच रहे हैं। जिनको नियंत्रित करने के लिए ना तो कहीं किसी पुलिसकर्मी की तैनाती की गई है और ना ही अन्य कोई व्यवस्था की गई है।
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जनधन खातों की धनराशि ज्यादातर ग्राहक सेवा केंद्रों पर बांटी जा रही है और वहां स्टाफ की भारी कमी के चलते सोशल डिस्टेंसिंग पूरी तरह से धराशाई हो जा रहा है। जिले में राकांपा की अनुपालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। इतना अवश्य है कि कोरम पूरा करने के लिए हर तिराहे पर चौराहे पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। लेकिन वह केवल कुर्सी पर बैठ कर अपना समय बिताते ही देखे जाते हैं। ग्रामीण इलाको में तो लाक डाउन पूरी तरह से मजाक बनकर रह गया है। शाम होते ही बाजारों में लोगों की भीड़ जमा हो जाती है। जिला मुख्यालय शहजादपुर कस्बे में लोगों का कई स्थानों पर जमावड़ा देखा जा सकता है। कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि यह जिला भगवान भरोसे ही सुरक्षित है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।