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लॉकडाउन की आड़ में तालबेहट में पुलिसिया कहर, लोगों को ऐसे धमकाते हैं कोतवाल
ललितपुर जिले की तालबेहट कोतवाली में तैनात कोतवाल मनोज वर्मा की कार्यशैली महकमें की साख को बट्टा लगा रही है। लॉकडाउन की आड़ में कोतवाल मनोज कुमार वर्मा के संरक्षण में अवैध कारोबार धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं।
तालबेहट: ललितपुर जिले की तालबेहट कोतवाली में तैनात कोतवाल मनोज वर्मा की कार्यशैली महकमें की साख को बट्टा लगा रही है। लॉकडाउन की आड़ में कोतवाल मनोज कुमार वर्मा के संरक्षण में अवैध कारोबार धड़ल्ले से संचालित हो रहे हैं, तो वहीं लॉकडाउन के बहाने सम्भ्रांतजनों को आये दिन कोतवाली ले जाकर अपमानित किया जा रहा है, उनसे अवैध बसूली की जा रही है।
यहां तक की क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी अपमानित किया जा रहा है, इनकी कार्यशैली से पुलिस के उच्चाधिकारियों भी बखूबी बाक़िफ़ हैं। बताया जाता है कि इनको महकमें के कप्तान का संरक्षण प्राप्त है, जिससे यह अपने पद और कर्तव्यों का निर्वहन मनमाने तरीके से कर रहे हैं।
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जब भी कोई मीडियाकर्मी या राजनैतिक व्यक्ति इनकी शिकायत करता है, तो यह कहते हैं कि में 7 लाख रुपया देकर आया हूं और प्रतिमाह 5 लाख रुपया देता हूं, तुम लोग जितनी चाहो शिकायत कर लो, मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाओगे और आबाज उठाने बालो के ख़िलाफ़ झूठी शिकायतें कराकर उत्पीड़न शुरू कर देते हैं। जब से मनोज वर्मा ने तालबेहट में कोतवाल का चार्ज संभाला है, यहां जुआ, सट्टा व अवैध खनन का काला कारोबार बेरोकटोक जारी है, सारे दिन कोतवाली में दलालों और माफियाओं की महफ़िल सजी रहती हैं।
अब भारतीय किसान युनियन(अराजनैतिक) ने भी उप जिलाधिकारी को पत्र लिखकर पुलिस की शिकायत की है।
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पार्षद के साथ बदसलूकी का मामला चर्चाओं में रहा
तालबेहट के पार्षद अरविंद कोरी जो वर्तमान में भाजपा अनुसूचित जाति के मंडल महामंत्री भी है, पिछले दिनों लॉकडाउन के दौरान पार्षद सामुदायिक रसोई द्वारा भेजे गए भोजन के पैकेट ग़रीबो को बांटने के लिए जा रहे थे, पार्षद के पास उपजिलाधिकारी द्वारा जारी पास भी था, और वह लॉक डाउन के नियमो का पालन भी कर रहे थे, उसके बाद भी कोतवाल मनोज वर्मा ने पार्षद को रोककर न सिर्फ उनकी बाइक पंचर कर दी थी, बल्कि बदसलूकी भी की थी, जिस पर नगर पंचायत अध्यक्ष मुक्ता सोनी व पार्षदों ने पुरजोर विरोध किया था, मामला एक सप्ताह तक सुर्खियों में रहा, किंतु उसके बाबजूद भी कोतवाल के खिलाफ कोई कार्यवाही अमल में नहीं लायी गयी, बल्कि उल्टा पार्षद को समझौता करना पड़ा।