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गोरखपुर का सरनाम नेताः राजनीति के लिए नहीं इन कामों से है चर्चा में

कभी अपने क्रियाकलापों से चर्चा में रहने वाले दबंग पूर्व विधायक अमरमणि त्रिपाठी के विधायक पुत्र अमनमणि त्रिपाठी भी आए दिन चर्चा में बने रहते हैं।

Newstrack
Published on: 1 July 2020 10:50 AM GMT
amar mani tripathi
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: कभी अपने क्रियाकलापों से चर्चा में रहने वाले दबंग पूर्व विधायक अमरमणि त्रिपाठी के विधायक पुत्र अमनमणि त्रिपाठी भी आए दिन चर्चा में बने रहते हैं। अब वो एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में चर्चा का विषय बने हुए हैं। हो भी क्यों न हो, आखिरकार अपनी पहली पत्नी की हत्या के आरोपित होते हुए भी उन्होने दूसरी शादी जो कर ली है। बाहुबली पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की दो पुत्रियों के बीच इकलौते पुत्र अमनमणि त्रिपाठी राजनीति में आने के साथ ही विवादों में रहे है।

पत्नी सारा की हत्या के आरोप के बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा, मामले की जांच सीबीआई कर रही है। यहां यह बताना जरूरी है कि पूर्व मंत्री उनके पिता अमरमणि त्रिपाठी और मां मधुमणि एक युवा कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहे है।

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पूर्व में अमनमणि त्रिपाठी पूर्वांचल क्षेत्र की लक्ष्मीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में यह सीट 16 हजार वोटों से जीतकर उन्होंने विधानसभा में अपनी दस्तक दी। प्रदेश में जब अखिलेश यादव की सरकार थी तो उन्होंने साल 2012 के विधानसभा चुनाव में नौतनवां सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। पर काफी मेहनत के बाद भी वह चुनाव हार गए।

इसके बाद 2017 के चुनाव में अपनी पत्नी सारा के हत्या के आरोपित अमनमणि त्रिपाठी को समाजवादी पार्टी ने टिकट नहीं दिया। क्योंकि सारा की मां ने अमनमणि त्रिपाठी को टिकट न देने के लिए सभी राजनीतिक दलों से गुहार लगाई थी। इसके बाद अमनमणि त्रिपाठी ने निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरने का फैसला किया और अपनी बहनों के साथ घर-घर जाकर माता पिता के जेल में होने की दुहाई देकर वोट मांगे। जिसके बाद जनता का दिल उनके प्रति नरम हो गया और वह नौतनवा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंच गए।

उनकी पहली पत्नी की संदिग्ध मौत उस समय हो गयी थी जब पांच साल पहले जुलाई 2015 को अमन मणि अपनी पत्नी सारा के साथ लखनऊ से दिल्ली स्विफ्ट कार से जा रहे थे। तभी फिरोजाबाद के पास एक सड़क दुर्घटना में सारा की मौत हो गई। इस सड़क दुर्घटना में कार चालक को मामूली सी खरोंच आई। जबकि अमनमणि त्रिपाठी पूरी तरह से सुरक्षित रहे। लेकिन पीछे की सीट पर बैठी उनकी पत्नी की मौत गयी थी। यह मामला शुरू में तो शांत रहा लेकिन जब पता चला कि अमनमणि की पत्नी गृह विभाग के एक बडे अधिकारी की भतीजी हे तब पुलिस हरकत मे आई। इसके बाद सारा की मां ने मामले की पारदर्शी जांच के लिए काफी दौडभाग की । इसके बाद मामले की जांच सीबीआई ने शुरू की।

प्रदेश मे जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी तब भी छह अगस्त 2014 को गोरखपुर के एक ठेकेदार ऋषि पाण्डे ने लखनऊ के कैंट थाने में अमनमणि त्रिपाठी और उसके साथियों के खिलाफ अपहरण, जानलेवा हमले और रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें उनके दो साथियों की गिरफ्तारी भी हुई लेकिन अपने रसूख के चलते अमनमणि का बाल बांका भी न हुआ। इस दौरान ऋषि पाण्डे को कई तरह से धमकियां भी दी गईं. बाद में डर के मारे उन्होंने गोरखपुर शहर ही छोड़ दिया। अभी दो साल पहले भी अमनमणि त्रिपाठी पर किसी व्यक्ति को रात में फोन पर धमकाने का आरोप लगा। इसमें अमनमणि किसी व्यक्ति को रात में एक बजे फोन करके उसकी पत्नी को अपनी पत्नी कहते है। इस आडियो में अमनमणि काफी अश्लील बाते करते है और दूसरा व्यक्ति उनको गाली देता है। यह आडियो खूब वायरल हो चुका है।

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अमनमणि की इस तरह की कारगुजारियों की लम्बी कहानियां हैं। अभी मई माह में जब देशभर में लाकडाउन चल रहा था तो अमनमणि को उत्तराखण्ड पुलिस ने उस समय रोक लिया जब वह एक फर्जी पास के सहारे वहां सैरसपाटा कर रहे थे। जब पुलिस ने जब उन्हे रोकना चाहा तो अमनमणि ने बहाना बनाया कि वह सीएम योगी के पिता के पितृ कार्य के लिए बद्रीनाथ धाम जाना चाहते हैं। इस पर अमनमणि को चमोली से ही यह कहकर वापस भेज दिया गया कि मंदिर के कपाट अभी बंद हैं तो कोई भी दर्शन के लिए नहीं जा सकता।

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