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मोदी सरकार को पलीता लगा रहे प्रधान और सेकेट्री, सिर्फ कागजों पर हुआ विकास

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भले ही गांवों को हर बुनियादी चीज़ों को देने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल रखा हो। लेकिन कौशांबी जिले में उनके ही नेता भरष्टाचार कर गरीबो के हक पर डाका डाल रहे है।

Roshni Khan
Published on: 6 Sept 2023 7:23 PM IST
मोदी सरकार को पलीता लगा रहे प्रधान और सेकेट्री, सिर्फ कागजों पर हुआ विकास
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कौशांबी: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भले ही गांवों को हर बुनियादी चीज़ों को देने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल रखा हो। लेकिन कौशांबी जिले में उनके ही नेता भरष्टाचार कर गरीबो के हक पर डाका डाल रहे है। कौशांबी जिले के दुर्गापुर ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी की मनमानी के चलते आवंटित बजट खर्च होने के बावजूद भी पीएम की महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत मिशन योजना औंधे मुंह पड़ी हुई है। जिसका सबसे बड़ा कारण योजना के तहत शौचालय निर्माण के लिए आवंटित बजट को प्रधान पंचायत सेक्रेटरी द्वारा धरातल में खर्च न करके कार्य को कागजों तक ही सीमित कर देना है।

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नेवादा ब्लाक के दुर्गापुर मजरा डिठूरा गांव की रहने वाली संगीत देवी और उनका पति मजदूरी करके पेट भरता है। इसमे इतनी कमाई नही होती है कि वो पक्का मकान और शौचालय बनवा सके। सरकार की तरफ से जो शौचालय मिला है वो आधा-अधूरा है।

शर्म के बाद भी मजबूरी में शौच के लिए बाहर जाना पड़ता है। प्रधानमंत्री आवास भी नही दिया गया। बरसात के चलते कभी-कभी काम भी नही मिलता तो भूखे पेट सोना पड़ता है। इसी तरह गांव के शिव चंद महात्मा पावरोटी बेचकर अपना परिवार चलते है। बारिश के चलते धंधा बहुत काम चलता है। आय कम होने के बावजूद वो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ते है। सर पर पक्की छत नही है प्लस्टिक की झोपड़ी में रहते है। जिसमे बिजली भी नही है। बच्चो को पढ़ने में दिक्कत न हो इसके लिए बैट्री से एक सीएफएल जलाते है।

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सौभाग्य योजना के तहत मिलने वाली बिजली के बार मे पूछने पर कहते है कि कमाई इतनी नही है कि बिजली का बिल जमा किया जा सके। झूठा पत्तल फेकने वाले विकलांग संतोष कुमार को भी प्रधानमंत्री आवास और शौचालय आज तक नसीब नही हो सका। नतीजतन यहा के बाशिंदे खुले में शौच करने को मजबूर हैं। वहीं सबसे अधिक असुविधाओं का सामना महिलाओं को करना पड़ रहा है।

अमित कुमार का कहना है कि लिस्ट में तो 182 लोगो के नाम है। जबकि 10,12 को छोड़कर किसी का शौचालय नही बना है। बाकी आधे-अधूरे बने है। 42 शौचालय तो सिर्फ कागज़ों में ही मिलेंगे। प्रधान से बात करो तो उनका कहना है कि दुनिया चांद पर चली गयी और आप लोग शौचालय के चक्कर में पड़े है। जिसके कारण पीएम की खुले में शौच मुफ़्त करने का सपना पूरा होता नही दिख रहा है।

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सीडीओ इन्द्रसेन कुमार का कहना है कि मामला की जानकारी पत्रकार बंधुओ के द्वारा मिली है। हमने खण्ड विकास अधिकारी को वह भेजा है। जो भी दिक्कत होगी उसे शॉट आउट किया जाएगा।



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Roshni Khan

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