नेपाल द्वारा भारत के भू-भाग को अपना बताना देश के लिए खुली चुनौती: प्रमोद तिवारी

पड़ोसी देश नेपाल द्वारा नया नक्शा जारी करके भारत के बड़े भू-भाग पर अपना दावा करने पर कांग्रेस वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने केंद्र की मोदी सरकार से विदेश नीति और पड़ोसी देशों से संबंध पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।

Aditya Mishra
Published on: 1 Jun 2020 11:53 AM GMT
नेपाल द्वारा भारत के भू-भाग को अपना बताना देश के लिए खुली चुनौती: प्रमोद तिवारी
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लखनऊ: पड़ोसी देश नेपाल द्वारा नया नक्शा जारी करके भारत के बड़े भू-भाग पर अपना दावा करने पर कांग्रेस वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने केंद्र की मोदी सरकार से विदेश नीति और पड़ोसी देशों से संबंध पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।

उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार भारत की एकता और अखण्डता के लिये जो भी कदम उठायेगी, उस कदम का हमारा भरपूर समर्थन रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत के भू-भाग को नेपाल का अंग बताना भारत के लिये खुली चुनौती है, जिसे भारत कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।

395 वर्ग किमी. का यह भू-भाग देश के लिये सामरिक महत्व का है, अत्यंत संवेदनशील है और बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि ये भारत- नेपाल की सीमा पर तो है लेकिन चीन से जुड़ा हुआ है।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने सोमवार को कहा कि आज इतिहास में भारत-नेपाल सम्बन्धों का दुर्भाग्यपूर्ण दिन है, भारत के तीन भूभाग लिपुलेख, कालापानी तथा लिम्पियाधुरा को नेपाल असंवैधानिक और छद्म रूप से अपना भाग बता रहा है, जबकि ये भारत का अभिन्न अंग है।

उन्होंने कहा कि नेपाल यहीं नहीं रुका, उसने अपनी संसद में इसे ‘‘दोबारा’’ संविधान संशोधन के रूप में प्रस्तुत भी कर दिया है। ये भारत के संविधान सम्मत सार्वभौमिकता और अभिन्नता को चुनौती देने जैसा है। ये किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है ।

तिवारी ने कहा है कि नेपाल में इतना साहस नहीं है कि वह अपने बल पर भारत को चुनौती देने का दुस्ससाहस करने की जुर्रत करता, इसे दूर तक पढ़ने और समझने की जरूरत है।

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चीन के इशारे पर चल रहा नेपाल

निसंदेह भाषा नेपाल की अवश्य है लेकिन निर्देशन ‘‘चीन’’ का हो, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है । क्या कारण है कि नेपाल, जो भारत के छोटे भाई की तरह है, और उससे लगी हुई लगभग 1700 किमी. की खुली सीमा है, जहां उत्तर प्रदेष का एक बहुत बड़ा भू-भाग नेपाल की सीमा बनाता है, उस अंचल में ऐसा दुस्साहस किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि यह सोचने का समय है और गंभीर कूटनीतिक कदम उठाने की आवश्यकता है, कि जिस नेपाल की निर्भरता भारत की थी उस पर चीन की न बनने पाये।

अगर नेपाली कांग्रेस भी इसका समर्थन कर रही है तो यह गम्भीरतापूर्वक सोचने का समय है और बुद्धिमत्तापूर्ण कूटनीतिक कदम उठाने की जरूरत है। देश का हर नागरिक दृृढ़ता के साथ भारत की सम्प्रभुता तथा एकता और अखण्डता के लिये साथ खड़ा रहेगा।

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