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विपक्षी दलों की 'व्हीसिल ब्लोअर' बनी प्रियंका

प्रचंड बहुमत के साथ यूपी सत्ता में काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी ने अपने शासन का आधा सफर तो बिना किसी विशेष विरोध के पूरा कर लिया है लेकिन अब आगे का सफर शायद ही र्निविरोध हो पाए।

Shreya
Published on: 2 Jan 2020 8:24 AM GMT
विपक्षी दलों की व्हीसिल ब्लोअर बनी प्रियंका
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: प्रचंड बहुमत के साथ यूपी सत्ता में काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी ने अपने शासन का आधा सफर तो बिना किसी विशेष विरोध के पूरा कर लिया है लेकिन अब आगे का सफर शायद ही र्निविरोध हो पाए। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने यूपी का प्रभारी बनने के बाद से ही योगी सरकार के खिलाफ किसी भी मुद्दे को उठाने का मौका छोड़ नहीं रही है। दिलचस्प है कि प्रियंका गांधी जहां योगी सरकार को घेर रही है तो विपक्षी दलों के लिए भी 'व्हीसिल ब्लोअर' बन गई है।

प्रियंका गांधी के विरोध के तौर-तरीकों से मची खलबली

योगी सरकार के ढा़ई साल के कार्यकाल में लगभग सुप्त अवस्था में पड़े विपक्षी दलों में प्रियंका गांधी के विरोध के तौर-तरीकों से खलबली सी मच गई है। यूपी में योगी सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में बाजी मारने में प्रियंका गांधी सबसे अव्वल है। हालात यह है कि अब किसी भी घटना-दुर्घटना पर सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन का एजेंडा प्रियंका गांधी तय कर रही है, जबकि अन्य विपक्षी दल उनका अनुसरण करते दिख रहे है।

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विरोध-प्रदर्शन का सेहरा भी प्रियंका के सिर

उन्नावं में रेप पीड़िता को जलाने की घटना पर प्रियंका गांधी तत्काल ही पीड़िता के घर पहुंच गयी और पीड़िता के परिजनों से मिल कर अपने विरोध का संदेश देना शुरू किया तो सपा मुखिया अखिलेश यादव अपने तीन साथियों के साथ विधानसभा गेट के सामने सड़क पर धरना देने लगे तो बसपा प्रमुख मायावती भी तुरंत ही हरकत में आयी और अपना विरोध प्रकट करने राजभवन पहुंच गई। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में विरोध-प्रदर्शन का सेहरा प्रियंका के सिर ही बंधा।

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योगी सरकार की सख्ती पर सक्रिय हुईं प्रियंका

इसके बाद देश के कई शहरों मे नागरिकता संशोधन कानून का विरोध हुआ तो यूपी इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। यूपी में प्रर्दशन के दौरान हुई हिंसा को लेकर योगी सरकार ने सख्ती की तो प्रियंका तुरंत ही सक्रिय हो गई। योगी सरकार द्वारा की गई सख्ती को प्रियंका ने दमन करार दिया और अचानक ही हिरासत में लिए गये मानवाधिकार कार्यकर्ता व सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी से मिलने निकल पड़ी।

विरोध का जनून इतना कि पुलिस ने कार रोकी तो, पैदल और फिर स्कूटी से एसआर दारापुरी के आवास पहुंची। इस दौरान पूरे देश का मीडिया प्रियंका पर ही फोकस रहा। सपा मुखिया ने इसके अगले ही दिन सीएए के विरोध में प्रेस कांफ्रेंस करके एनपीआर फार्म न भरने का एलान कर दिया तो बसपा सुप्रीमों मायावती भाजपा को घेरने के बजाए प्रियंका पर ही हमलावर हो गई और प्रियंका के विरोध को नाटकबाजी करार दे दिया।

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