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प्रियंका क्यों सौंपना चाहती हैं इन्हें ये कमान, जानिए क्या है इनकी कहानी

कांग्रेसी नेता अजय कुमार लल्लू मलरूप से कुशीनगर के सिरोही गांव के रहने वाले हैं । अजय कुमार लल्लू तमकुही विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं । 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव इसी सीट से जीते हैं । परिवार में पिता शिवनाथ प्रसाद के निधन हो चुका है । वो मां और भाईयों के साथ रहते हैं ।

SK Gautam
Published on: 12 April 2023 7:22 PM GMT
प्रियंका क्यों सौंपना चाहती हैं इन्हें ये कमान, जानिए क्या है इनकी कहानी
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कानपुर: 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव के परिणाम बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी किस तरह से उत्तर प्रदेश में हासिए पर जा चुकी है । पार्टी की यह हालत देखकर नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट चुका है । संगठन को दोबारा खोई हुई पहचान दिलाने की जिम्मेदारी प्रिंयका गाधी के कंधो पर है । प्रियंका गांधी ने संगठन के लिए दिनरात संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को खंगालना शुरू किया तो उनकी नजर अजय कुमार लल्लू पर पड़ी । अजय कुमार लल्लू इतने जमीनी नेता है कि वो संगठन के लिए कई-कई महीनो तक घर नहीं जाते हैं ।

अजय कुमार लल्लू तमकुही विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं

कांग्रेसी नेता अजय कुमार लल्लू मलरूप से कुशीनगर के सिरोही गांव के रहने वाले हैं । अजय कुमार लल्लू तमकुही विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं । 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव इसी सीट से जीते हैं । परिवार में पिता शिवनाथ प्रसाद के निधन हो चुका है । वो मां और भाईयों के साथ रहते हैं । अजय कुमार लल्लू ने अपना पूरा जीवन संगठन को सौंप दिया है । उन्होंने शादी तक नहीं की है ।

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अजय कुमार लल्लू छात्रसंघ चुनावों में सक्रिय रहे हैं । छात्र राजनीति के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली । संगठन को मजबूत करने के लिए दिनरात मेहनत की और समाज हित के मुद्दों को लेकर आंदोलन करने लगे ।

सुब्बाराव को अपना गुरू मानते हैं

कांग्रेस सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद पांडेय बताते हैं कि अजय कुमार लल्लू गांधीवादी विचार धारा रखने वाले समाज प्रचारक सुब्बाराव से प्रभावित है । वह सुब्बाराव को अपना गुरू मानते हैं और अपने जीवन का लंबा समय उनके साथ बिताया है । कई वर्षो तक उनके साथ काम किया है उनसे बहुत कुछ सीखा है ।

अजय कुमार लल्लू एक बड़े आंदोलनकारी नेता है । गरीबों के लिए हक की लड़ाई की वजह से वो कई बार जेल जा चुके है ।उनके विधानसभा क्षेत्र में जिलाप्रशासन सब्जी और कुलचे वालों के ठेले हटवा रहा था । इस बात को लेकर वो धरने पर बैठ गए थे और बड़ा आंदोलन छेड़ दिया था । जिसमें वो लगभग 15 दिनों तक जेल में रहे थे ।

जो मिला खा लिया, जहां जगह मिली सो गए

संगठन को मजबूत करने की उनके अंदर लगन है । वो अपना बोरिया बिस्तर साथ लेकर चलते हैं । कई-कई महीने तक वो घर नहीं जाते हैं । जो मिला खा लिया, जहां जगह मिली सो गए । जब वो संगठन के किसी काम से जाते हैं तो कई-कई हफ्ते एक ही विधानसभा में बिता देते हैं । दिनरात काम करने की उनकी आदत है । उनका रहन सहन बहुत ही साधारण है ।

उन्होंने बताया कि संगठन के प्रति यह लगाव देखकर हाईकमान ने उन्हें विधानमंडल दल का नेता बना दिया था । दरसल 2017 के विधानसभा चुनाव में अजय कुमार लल्लू और अराधना मिश्रा ये दो ऐसे नेता थे जो लगातार दोबारा चुनाव जीते थे । लेकिन अजय कुमार लल्लू को संगठन के विषय में ज्यादा अनुभव है ।

अजय कुमार लल्लू ने छात्र राजनीति करते थे तो उनके पास पैसे नहीं रहते थे । जब उन्होंने पार्टी ज्वाईन की तो भी आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे । उनके भाई प्रति माह 5 हजार रुपए देते थे । जिससे वो राजनीति करते थे , ये सिलसिला 2012 तक चलता रहा है । जब वो विधायक बन गए तो अपने भाईयो से पैसे लेना बंद कर दिया था ।

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उन्होंने बताया कि अजय कुमार लल्लू अपनी मां और भाईयों से बहुत प्यार करते है । जब वो घर पर होते है तो मां से मिले बिना सोते नहीं है । सुब्बाराव जैसी महान शक्सियत का उन पर बहुत बड़ा असर पड़ा है । जिसकी वजह से वो प्रदेश अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे चल रहे है ।

कैसे प्रियंका गांधी की अजय कुमार लल्लू पर पड़ी

2019 लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गाधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था । चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी पूर्वी यूपी के लगभग सभी जनपदों में जनसभाए की । लेकिन इसके बाद परिणाम कांग्रेस पार्टी के पक्ष में नहीं आए । चुनाव के बाद पार्टी ने हार पर मंथन किया और प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया ।

प्रियंका गांधी ने उर्जावान जुझारू नेताओं और कार्यकर्ताओं की तलाश शुरू की । वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक कर काम करने वाले नेताओ छांटा गया । प्रदेश अध्यक्ष में अजय कुमार लल्लू मानको में फिट बैठ रहे ।

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कांग्रेस पार्टी में जितने भी प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं । उनसे आम कार्यकताओं की सीधे मुलाकात नहीं हो पाती थी । कार्यकर्ता अपने मन की बात और समस्या नहीं बता पाते थे । पहली बार ऐसा होने जा रहा कि एक आम कार्यकर्ता को प्रदेश की कमान सौंपने पर विचार किया जा रहा है । यदि अजय कुमार लल्लू प्रदेश अध्यक्ष बनते हैं तो छोट कार्यकर्ता से लेकर बड़े नेता सीधा संवाद कर सकते है । बल्कि ये तो कार्यकर्ताओं के साथ फुटपाथ पर भी सो सकते हैं ।

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