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Varanasi : गुटबाजी से होता कांग्रेस का बेड़ा गर्क

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Published on: 17 Jan 2020 12:09 PM IST
Varanasi : गुटबाजी से होता कांग्रेस का बेड़ा गर्क
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Varanasi : गुटबाजी से होता कांग्रेस का बेड़ा गर्क

आशुतोष सिंह

वाराणसी: एक्टिव पॉलिटिक्स में एंट्री के बाद से ही प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने में जुटी हैं। पिछले दिनों संगठन में लंबा चौड़ा फेरबदल किया गया। कोशिश है कि किसी तरह पार्टी को फिर से जिंदा किया जाए, लेकिन ये इतना आसान नहीं दिख रहा है। पार्टी के अंदर फैली गुटबाजी अब नासूर बन चुकी है। गाजियाबाद से गाजीपुर तक कांग्रेस अपने ही नेताओं के कोहराम से कराह रही है। ऐसे में प्रियंका गांधी चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही हैं। मोदी और योगी सत्ता को चुनौती तो देना चाहती हैं, लेकिन पार्टी का अंदरूनी घमासान हर बार भारी पड़ जाता है।

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कम से कम प्रियंका गांधी के वाराणसी दौरे से तो यही जाहिर होता है। सीएए के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने निकली प्रियंका अपनों के ही लड़ाई-झगड़े में उलझकर रह गईं। उनके सामने कार्यकर्ता आपस में उलझ पड़े और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते दिखे। हंगामा इस कदर बढ़ा कि प्रियंका का दौरा पीछे छूट गया और कार्यकर्ताओं का हंगामा सुर्खियां बन गया। इससे नाराज प्रियंका ने हंगामा करने वाले दोनों नेताओं की पार्टी से छुट्टी का आदेश दे दिया है। अब सवाल ये है कि 2022 का सपना देख रहीं प्रियंका को कामयाबी कैसे मिलेगी? क्या गुटबाजी ने पार्टी का बेड़ागर्क कर रखा है?प्रियंका इन चुनौतियों से कैसे पार करेंगी?

प्रियंका के दौरे पर हंगामा करना पड़ा भारी

प्रियंका गांधी के वाराणसी दौरे पर हंगामा करना दो कार्यकर्ताओं को भारी पड़ गया है। कांग्रेस की अनुशासन समिति ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और हंगामा करने वाली श्वेता राय और पार्टी के राष्ट्रीय सह संयोजक विनय शंकर राय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अनुशासन समिति ने दोनों नेताओं से आरोपों के बाबत एक हफ्ते में जवाब मांगा है। दरअसल बीते 10 जनवरी को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाराणसी में सीएए के विरोध में गिरफ्तार लोगों से बातचीत के लिए पंचगंगा घाट के श्रीमठ में पहुंची थी। प्रियंका के साथ प्रदेश अध्यक्ष लल्लू सिंह के अलावा स्थानीय नेता मौजूद थे।

संवाद कार्यक्रम के दौरान प्रियंका से मिलने के लिए श्वेता राय और विनय शंकर राय भी पहुंचे थे। बताया जाता है कि जब दोनों नेताओं ने प्रियंका से मिलने की कोशिश की तो उन्हें मठ के बाहर ही रोक दिया गया। इससे नाराज दोनों नेताओं ने जमकर हंगामा किया। स्थानीय पदाधिकारियों के एक गुट पर आरोपों की बौछार शुरू कर दी। पार्टी के आलानेता के दौरे पर हों और उनके कार्यक्रम में उन्हीं की पार्टी का कार्यकर्ता इस तरह खलल डालें तो भला पार्टी कहां बख्शने वाली। दोनों नेताओं के हंगामे को प्रदेश इकाई ने बेहद गंभीरता से लिया और 72 घंटे के अंदर ही कारण बताओ का नोटिस थमा दिया। खुद प्रदेश अध्यक्ष लल्लू सिंह बनारस पहुंचे और स्थानीय नेताओं से इस बारे में बात की।

कार्यकर्ताओं का एक बड़ा गुट नाराज

विनय शंकर राय की गिनती कांग्रेस के मजबूत किसान नेताओं के तौर पर होती है। वाराणसी में सरकार के जमीन अधिग्रहण में होने वाली लापरवाही के खिलाफ वो मजबूत आवाज बनकर उभरे। इसके अलावा भी वो किसानों के हक की लड़ाई लड़ते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ महीनों से वो पार्टी में हाशिये पर चल रहे थे। संगठन में भी उन्हें तवज्जो नहीं दी जा रही थी। विनय शंकर की तरह ही श्वेता राय भी महिला संगठन की मजबूत चेहरा रही हैं। लगभग 14 साल से वह पार्टी संगठन के लिए काम कर रही थीं। बावजूद इसके पार्टी के नए संगठन ने उन्हें दरकिनार कर दिया। यही कारण है कि जब श्वेता राय पंचगंगा घाट पर प्रियंका गांधी से मिलने पहुंचीं तो कुछ वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें मिलने से रोक दिया।

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इसके बाद का नजारा तो सबने देखा। श्वेता राय ने चीख-चीख कर वरिष्ठ नेताओं पर भेदभाव करने का आरोप लगाया। अनुशासन समिति की ओर से नोटिस मिलने के बाद ये दोनों ही नेता निराश दिखे। मीडिया से बात करते हुए श्वेता राय ने कहा कि मैंने अपनी जिंदगी के 14 महत्वपूर्ण साल पार्टी को दिए। इसके बदले में मुझे क्या मिला? कुछ लोगों ने शहर के अंदर पार्टी को हाईजैक कर लिया है। पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया गया है। ऐसे नेता और पदाधिकारी प्रियंका गांधी की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। दूसरी ओर दोनों नेताओं ने पार्टी छोडऩे का मन बना लिया है। खबरों के मुताबिक अगले एक या दो दिन में दोनों प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पार्टी छोडऩे का एलान कर सकते हैं।

वाराणसी में अजय राय बनाम राजेश मिश्रा

प्रदेश में पार्टी की ओवरहालिंग के लिए प्रियंका गांधी खुद मैदान में हैं। पार्टी का ग्राफ बढ़ाने के लिए प्रियंका पसीना भी बहा रही हैं, लेकिन गुटबाजी से दिक्कतें भी हैं। पीएम का संसदीय क्षेत्र होने के नाते वाराणसी में प्रियंका की खासी दिलचस्पी है। यही कारण है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के बाद प्रियंका गांधी ने सीएए प्रदर्शनकारियों से मिलने के लिए वाराणसी को चुना, लेकिन स्थानीय नेताओं की गुटबाजी ने यहां पार्टी का बेड़ागर्क कर रखा है। पार्टी साफ तौर पर दो खेमों में बंटी दिख रही है। एक तरफ पूर्व विधायक अजय राय हैं तो दूसरी ओर पूर्व सांसद राजेश मिश्रा का गुट है। यकीनन बनारस में कांग्रेस की सियासत इन्हीं दोनों नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती है।

कमजोर पड़ा राजेश मिश्रा का गुट

राजेश मिश्रा करीब एक दशक बाद शहर के अंदर बीजेपी के तिलिस्म को तोड़ते हुए साल 2004 में सांसद चुने गए थे तो अजय राय मजबूत जनाधार वाले नेता माने जाते हैं। शहर और देहात दोनों ही क्षेत्रों में उनकी पकड़ मानी जाती है। कुछ सालों पहले तक वाराणसी कांग्रेस में राजेश मिश्रा का सिक्का चलता था, लेकिन अजय राय की एंट्री ने पूरा खेल बिगाड़ दिया। हकीकत ये है कि मौजूदा कांग्रेसी सियासत अजय राय के इर्द-गिर्द मंडराती है। यही कारण है कि साल 2014 और 2019 के आम लोकसभा चुनाव ने पार्टी ने नरेंद्र मोदी के सामने राजेश मिश्रा की जगह अजय राय को तरजीह दी। संगठन में राजेश मिश्रा गुट अब काफी कमजोर हो चुका है और अब उसका गुस्सा आलानेताओं के सामने भी आने लगा है। पिछले दिनों जब प्रियंका गांधी शहर के दौरे पर थी तो एयरपोर्ट पर उन्हें छोडऩे वाले नेताओं में राजेश मिश्रा का नाम नहीं था। पास ना होने के कारण एयरपोर्ट पर सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें गेट पर ही रोक दिया जिसके बाद राजेश मिश्रा गुट के कार्यकर्ताओं ने खूब हंगामा काटा।

नवनिर्वाचित पदाधिकारियों पर आरोप

सक्रिय राजनीति में आने के बाद प्रियंका गांधी की दिलचस्पी खासतौर पर वाराणसी में हैं।वो जानती हैं कि प्रधानमंत्री के क्षेत्र से उठने वाली आवाज दूर तक संदेश देती है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में संगठन की ओवरहालिंग में वाराणसी को सबसे आखिरी में रखा ताकि सोच विचारकर पदाधिकारियों का चयन किया जाए, लेकिन ये दांव अब उल्टा पड़ गया है। पार्टी में नवनिर्वाचित महानगर अध्यक्ष राघवेन्द्र चौबे और जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल को लेकर काफी विरोध है। दोनों को अजय राय गुट का माना जाता है। दोनों पदाधिकारियों को लेकर दूसरे गुट ने मोर्चा खोल दिया है।

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विरोधियों का आरोप है कि दोनों पदाधिकारियों का कांग्रेस की विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है। राघवेन्द्र चौबे शिवसेना की पैदाइश हैं तो राजेश्वर पटेल अपना दल और बसपा के रास्ते कांग्रेस में पहुंचे। प्रियंका गांधी जब वाराणसी दौरे पर पहुंची तो एयरपोर्ट पर कांग्रेसियों ने खुलकर राघवेन्द्र चौबे के खिलाफ भड़ास निकाली। कुछ कांग्रेसियों ने उन्हें जमीन और मकान के नाम पर पंचायत करने वाला बताया। इन हालातों में उनसे पार्टी को खड़ा करने की उम्मीद नहीं की जा सकती तो दूसरी ओर जिलाध्यक्ष का कोई खास जनाधार नहीं है।

नवनिर्वाचित पदाधिकारियों पर लग रहे आरोपों से प्रियंका गांधी खासी नाराज दिखीं। मीडिया रिपोट्र्स की मानें तो इस बाबत उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष लल्लू सिंह से पूछताछ की तो उन्हें भी जवाब देते नहीं बना। लल्लू सिंह ने सचिवों की रिपोर्ट के आधार पर महानगर अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष की नियुक्ति का हवाला दिया। सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी के आदेश के बाद लल्लू सिंह 13 जनवरी को वाराणसी पहुंचे और नाराज कार्यकर्ताओं से बात की।

सीएए के बहाने यूपी में पैर जमाने की कोशिश

गुटबाजी और अंदरूनी कलह के बावजूद प्रियंका अपने मिशन में जुटी हुई हैं। उन्हें उम्मीद है कि सीएए के बहाने वह मुस्लिम वर्ग को रिझाने में कामयाब होंगी। यही कारण है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर योगी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोडऩा चाहती है। इसी के मद्देजनर प्रियंका गांधी एक दिवसीय दौरे पर वाराणसी दौरे पर पहुंची थीं। इस दौरान प्रियंका गांधी ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों और बीएचयू के छात्रों से मुलाकात की। पंचगंगा घाट स्थित श्रीमठ पर उन्होंने प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की।

उन्होंने कहा कि जो कानून हमारे लोकतंत्र और संविधान की मूल भावना को चुनौती देते नजर आते हैं, हमें सड़क पर उतरकर उनका विरोध करने से हिचकना नहीं चाहिए। कांग्रेस पार्टी छात्रों, किसानों, नौजवानों सहित समाज के सभी वर्गों के साथ खड़ी है। कांग्रेस पार्टी एक ऐसी लीगल सेल बनाएगी जो सीएए के विरोध में देशभर में जेल जाने वाले लोगों को मुकदमा लडऩे में विधिक सहायता दे सके। सीएए को जनविरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी सीएए के विरोध में जेल जाने वालों के साथ खड़ी है। कांग्रेस की सरकार आएगी तो सभी के मुकदमे खत्म किए जाएंगे। प्रियंका गांधी ने अपने दौरे की शुरुआत राजघाट स्थित रविदास मंदिर में दर्शन पूजन के साथ की। इसके बाद वो नाव के जरिये पंचगंगा घाट पहुंचीं। इस दौरान कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ा हुआ था।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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