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रामपुर में प्रियंका बोलीं: कृषि कानून से भी बड़ा जुल्म है किसानों को आतंकवादी कहना
अपने पिता और दादी की शहादत को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि मुझे अपने अनुभव से मालूम है कि एक शहीद का परिवार उसकी शहादत को कभी भूल नहीं सकता। वह शहादत को हमेशा के लिए अपने दिल में रखता है।
अखिलेश तिवारी
रामपुर। गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में किसान ट्रैक्टर रैली में जान गंवाने वाले रामपुर के नवरीत सिंह की अंतिम अरदास में शामिल होने पहुंचे कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि जिस मकसद के लिए नवरीत सिंह ने शहादत दी है उसे हम सब मिलकर पूरा करेंगे उन्होंने कहा जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते हैं तब तक संघर्ष जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि देश के किसानों के साथ सबसे बड़ा जुल्म तीनों काले कानून के तौर पर किया गया है लेकिन इससे भी बड़ा जुल्म है कि आंदोलन करने वाले किसानों को आतंकवादी बताया जा रहा है।
प्रियंका गांधी का संबोधन
लगभग 7 मिनट के अपने बेहद संक्षिप्त संबोधन में प्रियंका गांधी ने किसानों के मर्म को छूने की कोशिश की है। अपने पिता और दादी की शहादत को याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि मुझे अपने अनुभव से मालूम है कि एक शहीद का परिवार उसकी शहादत को कभी भूल नहीं सकता। वह शहादत को हमेशा के लिए अपने दिल में रखता है। उस शहादत से उसके दिल में सिर्फ एक तमन्ना जागती है कि अपने प्यारे की शहादत व्यर्थ ना हो और मैं जानती हूं कि आप सब के दिल में यही तमन्ना है।
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नवरीत 25 साल के थे- प्रियंका
प्रियंका गांधी ने आगे कहा कि नवरीत 25 साल के थे। मेरा बेटा 20 साल का है। आपके भी नौजवान बेटे हैं जो उत्साह में, अपना उत्साह दिखाने के लिए किसानों के साथ खड़े होने के लिए वहां चले गए और उनके साथ ऐसा हादसा हुआ कि वह वापस नहीं आए। क्यों गए थे वहां? कोई राजनीतिक साजिश नहीं थी कि वहां गए थे. इसलिए गए कि उनके दिल में दुख था। उनके दिल में किसानों की पीड़ा थी।
'जुल्म करना पाप है'
अपने संबोधन में प्रियंका कहती है कि उनको मालूम था कि जुल्म हो रहा है और गुरु गोविंद सिंह ने कहा है कि जुल्म करना पाप है और जुल्म को सहना उससे भी बड़ा पाप है। हो सकता है कि यही सोचते हुए एक नौजवान बच्चा दिल्ली से इतनी दूर से दिबदीबा से दिल्ली पहुंचा कि वह रैली में शामिल होगा। यह उम्मीद रखते हुए कि उसकी सुनवाई होगी। हो सकता है कि यही सोचते हुआ एक नौजवान बच्चा दिल की बात से कि सब इकट्ठा होंगे तो सरकार सुनेगी और जो दिल की बात है, किसान की बात है। उसके लिए सरकार के दरवाजे खुलेंगे और सुनवाई होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सबसे बड़ा जुल्म है तीन कानून
केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, मैं यह कह सकती हूं कि आज अगर सबसे बड़ा जुल्म हो रहा है तो यह तीन कानून है जिनको सरकार को वापस लेना चाहिए। लेकिन सरकार यह कानून वापस नहीं लेना चाहती है। यह किसानों के साथ बहुत बड़ा जुल्म हो रहा है।लेकिन इससे बड़ा जुल्म यह कर रहे हैं कि जब यह शहीदों को आतंकवादी कहते हैं और किसान के आंदोलन को अपने लिए एक राजनीतिक साजिश की तरह पर देखते हैं।
'यह मौका नहीं है कि हम राजनीतिक बात करें'
किसानों का समर्थन करते हुए प्रियंका ने कहा कि यह बहुत बड़ा जुल्म है क्योंकि अगर यह नेता देश के किसान देश के गरीब का दुख दर्द नहीं सुन सकता। जब आवाज उठाई तो उसे तरह-तरह के नाम कहलाए जाते हैं । कभी यह नहीं कहा जाता कि हां तुम मेरे साथी हो मेरे देशवासी हो तुम्हारे दिल में जो दर्द है, मेरा दर्द है। आओ मैं तुम्हारी बात सुन लूंगा। अगर वह नेता ऐसे नहीं कर सकते हैं तो किसी काम के नहीं रहे।
'यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है'
आज यह मौका नहीं है कि हम राजनीतिक बात करें लेकिन हम ऐसा जुल्म सह नहीं सकते हैं जो सच्चाई है वह सच्चाई रहेगी। यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है एक सच्चा आंदोलन है आप का आंदोलन है किसानों का आंदोलन है इस देश के एक- एक देशवासी का आंदोलन है इसलिए मैं आज यहां आई क्योंकि मैं इस परिवार को कहना चाहती हूं कि आप अकेले नहीं हैं।
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किसान के साथ है हर देशवासी
आपके साथ इस देश का एक-एक वासी देशवासी खड़ा है चाहे वह किसी भी धर्म का हो। इस देश के कोने कोने का किसान आपके साथ खड़ा है आज हमारे साथ यहां आए हुए हजारों पश्चिमी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के किसान कार्यकर्ता आए हैं जो आपके साथ हैं। मैं सरदार हरदीप सिंह से कहना चाहता हूं कि आप के पोते की शहादत को हम व्यर्थ नहीं होने देंगे यही कहने के लिए मैं यहां आई हूं और मेरी आशा है कि आप सबके मन में भी यही बात है कि अब इस आंदोलन को तब तक जारी रखेंगे जब तक कि यह सरकार 3 काले कानून वापस नहीं लेती है।
वाहेगुरु जी के लगे नारे
प्रियंका के यह कहने पर भीड़ की ओर से -बोले सो निहाल के नारे लगते हैं तो प्रियंका भी सत श्री अकाल कहकर साथ देती हैं। लगातार नारे लगने लगते हैं तो वह वाहेगुरु जी की फतेह वाहेगुरु जी दा खालसा कहकर अपनी बात को पूरी करती है..
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