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नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने की अर्जी का 6 माह में हो निस्तारण: हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नजूल की भूमि को फ्री होल्ड करने में प्रशासनिक अधिकारियों की निर्णय लेने में अनावश्यक विलंब को गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने एक परमादेश जारी कर प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों व एडीएम नजूल को निर्देश दिया है।

Dharmendra kumar
Published on: 22 Aug 2019 9:53 PM IST
नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने की अर्जी का 6 माह में हो निस्तारण: हाईकोर्ट
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नजूल की भूमि को फ्री होल्ड करने में प्रशासनिक अधिकारियों की निर्णय लेने में अनावश्यक विलंब को गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने एक परमादेश जारी कर प्रदेश के सभी जिला अधिकारियों व एडीएम नजूल को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने जिलों मे नजूल से फ्री होल्ड करने की विभिन्न शासनादेशो के तहत दी गई अर्जियो को एक नियत समय के अन्तर्गत तय करें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी दशा मे तय करने का समय 6 माह से अधिक का नहीं होना चाहिए।

यह आदेश जस्टिस एस के गुप्ता व जस्टिस पंकज भाटिया की खंडपीठ ने प्रयागराज के डाक्टर अशोक तेहलियानी की याचिका को मंजूर करते हुए दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश मे स्पष्ट किया है कि यह आदेश लीज होल्डर्स के लम्बित मामलों मे भी लागू होगा।

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अदालत ने यह आदेश पारित कर हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिए कि वह इस आदेश की कापी प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी को भेजे ताकि चीफ सेक्रेटरी सभी जिला अधिकारियों व सभी सम्बन्धित अधिकारियों को सूचित करें, जिससे आदेश का अनुपालन सुनिश्चित हो।

सरकारी वकील को भी कोर्ट ने इस आदेश की कापी प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी को भेजने को कहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों का यह दायित्व है कि वह एक नियत समय के अन्तर्गत ऐसी दाखिल अर्जी पर आदेश पारित करें।

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याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया है कि याची के नजूल भूमि की फ्री होल्ड डीड जो हेस्टिंग्स रोड ( न्याय मार्ग) मे स्थित है, चार्ज लेकर तीन माह मे निष्पादित किया जाय। इस केस में याची के पूर्वजों ने फ्री होल्ड करने की अर्जी 1973 मे दी थी। इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ।

याची ने बाद में 1999 में फ्री होल्ड करने की अर्जी दी जिस पर 6 वर्ष बाद निर्णय लिया गया। केस दाखिल करने पर 12 वर्ष बाद सरकार ने जवाब दाखिल किया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश मे कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों का निर्णय लेने मे अनावश्यक विलम्ब अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।



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Dharmendra kumar

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