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राजनाथ आज यूपी को बनाएंगे रक्षा क्षेत्र का नया मैन्यूफैक्चरिंग हब
आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारतीय नौसेना 'नेवल इनोवशन एण्ड इण्डीजनाइजेशन आर्गनाइजेशन, एनआईआईओ' के अन्तर्गत 'नेवल टेक्नोलॉजी एक्सलरेशन कॉन्सिल' का गठन किया गया है।
लखनऊ: आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारतीय नौसेना 'नेवल इनोवशन एण्ड इण्डीजनाइजेशन आर्गनाइजेशन, एनआईआईओ' के अन्तर्गत 'नेवल टेक्नोलॉजी एक्सलरेशन कॉन्सिल' का गठन किया गया है। साथ ही 'टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एक्सलेशन सेल' का भी गठन किया गया है।
इस योजना का ऑनलाइन उद्घाटन आज, 13 अगस्त 2020 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में करेंगे।
इस दौरान जनरल विपिन रावत, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, एडीसी और प्रमुख डिफेन्स स्टाफ उपस्थित रहेंगे।
भारतीय नौसेना और यूपीडा के बीच "डिफेंस कॉरिडोर में सहयोग हेतु" एम.ओ.यू. हस्ताक्षर किया जायेगा।
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भारतीय नौसेना के उत्तर प्रदेश डिफेन्स इण्डिस्ट्रियल कॉरिडोर में प्रतिभाग करने से उद्योग, एमएसएमई एवं स्टार्ट-अप उद्योगों का खरीददारों से सीधा सम्पर्क होगा।
इसके परिणामस्वरूप भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूर्ण करने में सुगमता होगी। इस योजना के माध्यम से स्वदेशीकरण में सुगमता के साथ ही साथ डिफेन्स उत्पादन इको सिस्टम में और भी उद्योग जुड़ेंगे।
रक्षा उद्योग का नया मैन्यूफैक्चरिंग हब उत्तर प्रदेश
घरेलू रक्षा विनिर्माण इकाईयों को 4 लाख करोड़ रुपये के कार्य मिलेंगे। छह जनपदों के 5,072 हेक्टेयर क्षेत्रफल में डिफ़ेंस कॉरीडोर स्थापित हो रहा है, बुंदेलखण्ड को इससे सबसे अधिक लाभ होगा।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य में यूपी का विशेष योगदान होगा। लखनऊ, कानपुर, आगरा, चित्रकूट, झांसी और अलीगढ़ में डिफेंस कॉरीडोर बनेंगे। इससे बुंदेलखण्ड के झांसी और चित्रकूट की तस्वीर ही बदल जाएगी।
घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए केन्द्र सरकार ने 101 सैन्य उपकरणों, हथियारों और वाहनों के आयात पर 2024 तक रोक लगाई है। अब इनका निर्माण घरेलू स्तर पर किया जाएगा।
इस निर्णय का सबसे अधिक लाभ उत्तर प्रदेश को मिलेगा। प्रदेश की रक्षा विनिर्माण क्षेत्र से जुड़ी औद्योगिक इकाइयों के प्रोत्साहन में यह मील का पत्थर साबित होगा।
उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना लखनऊ, कानपुर, आगरा, झांसी, चित्रकूट और अलीगढ़ जनपदों में की जा रही है। राज्य सरकार ने इन जनपदों के सम्पूर्ण भौगोलिक क्षेत्र को डिफेन्स कॉरिडोर में समाहित किया है।
उत्तर प्रदेश में वर्तमान में अलीगढ़, कानपुर, झांसी एवं चित्रकूट जिलों में 1,289 हेक्टेयर से भी ज्यादा भूमि रक्षा कॉरिडोर की स्थापना के लिए अधिग्रहित कर ली गई है।
अलीगढ़ रक्षा कॉरिडोर में अधिग्रहित भूमि निवेशकों को आंवटित कर दी गई है। साथ ही और भूमि अधिग्रहित करने के प्रयास तेज हैं। अलीगढ़ नोड की पूरी ज़मीन निवेशकों को आवंटित कर दी गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार बीते वर्षों से ही घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए बड़े और कड़े कदम लगातार उठा रही है।
उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना 6 जनपदों के 5,072 हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जा रही है। इस कॉरीडोर का सबसे अधिक लाभ बुंदेलखण्ड को होगा।
झांसी में 3,025 हेक्टेयर, कानपुर में 1,000 हेक्टेयर, चित्रकूट में 500 हेक्टेयर और आगरा में 300 हेक्टेयर भूमि पर कॉरिडोर के नोड्स स्थापित किये जा रहे हैं। इसके अलावा इस डिफेंस कॉरीडोर का विशेष हिस्सा लखनऊ और अलीगढ़ जनपदों में भी स्थापित किया जा रहा है।
यूपीडा ने आईआईटी, बीएचयू एवं कानपुर के सहयोग से 'सेन्टर ऑफ एक्सीलेन्स' की स्थापना की है, जो भारतीय नौसेना के सहयोग से उद्योग-विद्या
संस्थान एवं उपभोक्ताओं के बीच एक मजबूत कड़ी का काम करेगा।
गौरतलब है कि भारत के रक्षा उद्योग क्षेत्र में बहुत ही तेजी से बदलाव आ रहे हैं।
बीते दिनों रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, मालवाहक विमान, पारंपरिक पनडुब्बियां, तोपें, कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, क्रूज मिसाइलें सहित 101 विभिन्न उपकरणों व हथियारों के आयात पर पाबंदी लगाई है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस निर्णय से अगले कुछ वर्षों में घरेलू रक्षा उद्योग को लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक के कार्य मिलेंगे।
इससे पूर्व 'मेक इन इंडिया' योजना के तहत देष के अन्दर उत्तर प्रदेश और तमिलनाडू राज्य में रक्षा उद्योग कॉरिडोर की घोषणा इस आषय से की गयी है कि रक्षा उत्पादन की क्षमता को प्रोत्साहित कर विदेशों पर निर्भरता कम करते हुए राष्ट्र को रक्षा क्षेत्र में भी 'आत्मनिर्भर' बनाया जा सके।
उत्तर प्रदेश में स्थापित रक्षा उद्योग कॉरिडोर एक 'ग्रीन फील्ड' परियोजना है, जिसके तहत रक्षा उत्पादन क्षेत्र की इकाइयों को और सुदृढ़ करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने अनेक प्रोत्साहन एवं सब्सिडी की व्यवस्था की है।
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बता दें कि उत्तर प्रदेश में पहली बार फरवरी 2020 में आयोजित हुए डेफ एक्सपो-2020 में 50,000 करोड़ रुपये के एमओयू हस्ताक्षरित किये। इसके अन्तर्गत विभिन्न संस्थाओं ने प्रदेश के रक्षा क्षेत्र में निवेश करने में विशेष रुचि ली है।
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