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Rajya Sabha Bypoll: हरद्वार दुबे के निधन से रिक्त हुई राज्यसभा सीट पर उपचुनाव घोषित, 15 सितंबर को होगी वोटिंग
Rajya Sabha Bypoll: भाजपा के राज्यसभा सदस्य हरद्वार दुबे के निधन से रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है। चुनाव आयोग ने मंगलवार को इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी।
Rajya Sabha Bypoll: भाजपा के राज्यसभा सदस्य हरद्वार दुबे के निधन से रिक्त हुई सीट पर उपचुनाव का ऐलान हो गया है। चुनाव आयोग ने मंगलवार को इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी। हरद्वार दुबे का गत 26 जून को निधन हो गया था। आयोग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस राज्यसभा सीट के लिए 15 सितंबर को मतदान कराया जाएगा।
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पांच सितंबर तक दाखिल होंगे नामांकन पत्र
आयोग की ओर से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक 5 सितंबर तक नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकेंगे। इसके अगले दिन 6 सितंबर को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी जबकि नाम वापसी की आखिरी तारीख 8 सितंबर होगी। जरूरी होने पर 15 सितंबर को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक मतदान कराया जाएगा।
अभी तक उपचुनाव के लिए किसी भी पार्टी की ओर से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया गया है। वैसे भाजपा की ताकत को देखते हुए इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जीत तय मानी जा रही है। अब यह देखने वाली बात होगी कि समाजवादी पार्टी की ओर से कोई प्रत्याशी उतारा जाता है या नहीं।
बलिया में जन्म,आगरा को बनाया कार्यक्षेत्र
भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद हरद्वार दुबे के निधन से यह सीट रिक्त हुई है। वे काफी समय से बीमार चल रहे थे और राजधानी दिल्ली के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनका अगर 26 जून को निधन हो गया था। वे मूल रूप से बलिया के रहने वाले थे मगर उन्होंने आगरा को अपना कार्यक्षेत्र बना लिया था।
उनका जन्म 1 जुलाई, 1949 को बलिया के हुसैनाबाद में हुआ था। युवावस्था के दौरान ही वे विद्यार्थी परिषद के साथ जुड़ गए थे। आगरा में सक्रिय होने के बाद भी उन्होंने विद्यार्थी परिषद के लिए काम जारी रखा था। उन्होंने इस संगठन में मंत्री पद पर रहते हुए संगठन को मजबूत बनाने का प्रयास किया।
भाजपा को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका
उनकी संगठन क्षमता और सक्रियता को देखते हुए बाद में भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनाव में उतारने का फैसला किया। भाजपा के टिकट पर उन्होंने सबसे पहले 1989 में आगरा छावनी सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल करने में कामयाब रहे। 1991 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने एक बार फिर उनमें भरोसा जताया और वे जीत कर फिर विधानसभा पहुंचे। कल्याण सिंह की सरकार में उन्हें वित्त राज्य मंत्री के रूप में काम करने का भी मौका मिला। हालांकि विवादों के कारण उन्होंने एक साल बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
2005 में उन्होंने खैरागढ़ विधानसभा सीट से किस्मत आजमाई थी मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद वे संगठन में सक्रिय बने रहे और पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्हें 2011 में प्रवक्ता और 2013 में प्रदेश उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप गई। नवंबर 2020 में पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। हालांकि बीमारी के कारण वे अपना कार्यकाल नहीं पूरा कर सके। अब उनके निधन से रिक्त हुई सीट पर चुनाव आयोग की ओर से उपचुनाव की घोषणा की गई है।