राज्यसभा चुनाव: कैसे होती है वोटिंग, यहां जानें पूरी प्रक्रिया

राज्यसभा सदस्यों का चुनाव 'अप्रत्यक्ष चुनाव' प्रक्रिया के तहत होता है। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोग नहीं, बल्कि उनके चुने हुए विधानसभा प्रतिनिधि यानी कि विधायक वोट करते हैं।

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Published on: 28 Oct 2020 8:18 AM GMT
राज्यसभा चुनाव: कैसे होती है वोटिंग, यहां जानें पूरी प्रक्रिया
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राज्यसभा चुनाव: कैसे होती है वोटिंग, यहां जानें पूरी प्रक्रिया

लखनऊ। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में दो सदन हैं। एक लोकसभा और एक राज्यसभा। लोकसभा चुनाव के बारे में तो आम जनता को सामान्यतः जानकारी है पर राज्यसभा चुनाव के बारे में कम जानकारी रहती है। इन दिनों यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होने जा रहे हैं जिसे लेकर राजनीतिक दलों में गुणाभाग का खेल चल रहा है पर आमजन इससे अंजान है।

आईए आपको इस चुनाव प्रक्रिया के बारे में बताते हैं

संविधान के अनुच्छेद 80 के मुताबिक राज्यसभा में कुल 250 सदस्य हो सकते हैं। इनमें से 12 सदस्य मनोनीति किए जाते हैं। बाकी 238 सदस्यों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि चुनते हैं। मनोनीत होने वाले सदस्यों को राष्ट्रपति साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक कामों में विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले को चुनते हैं। राज्यसभा में सीटों का बंटवारा राज्यों की जनसंख्या के मुताबिक होता है। चूंकि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या सबसे ज्यादा है। इसलिए वहां से सबसे ज्यादा 31 राज्यसभा सदस्य चुने जाते हैं।

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राज्यसभा सदस्यों का चुनाव 'अप्रत्यक्ष चुनाव' प्रक्रिया

राज्यसभा सदस्यों का चुनाव 'अप्रत्यक्ष चुनाव' प्रक्रिया के तहत होता है। इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लोग नहीं, बल्कि उनके चुने हुए विधानसभा प्रतिनिधि यानी कि विधायक वोट करते हैं। जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व होगा और विधायक एक ही वोट डालते हैं जो एक उम्मीदवार से दूसरे उम्मीदवार को ट्रांसफर हो सकता है। वोटों का ट्रांसफर दो तरह में होता है। पहली, जब उम्मीदवार को जीतने के लिए जितने जरूरी हैं, उससे ज्यादा वोट मिले हों. दूसरा, जब किसी उम्मीदवार को इतने कम वोट मिले हों कि उसके पास कोई मौका ही न हो।

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वोटिंग प्रक्रिया

हर विधायक का वोट एक ही बार गिना जाता है। इसलिए वो हर सीट के लिए वोट नहीं कर सकते हैं। बैलट पेपर पर उम्मीदवारों के नाम होते हैं और विधायक इन नामों पर अपनी वरीयता के मुताबिक 1,2,3,4 और ऐसे ही आगे के अंक लिख देते हैं। जब विधायक किसी उम्मीदवार को पहली वरीयता देता है, तो उम्मीदवार को पहली वरीयता का वोट मिल जाता है। उम्मीदवार को जीतने के लिए ऐसे ही एक तय नंबर के पहली वरीयता वोट चाहिए होते हैं। ये तय नंबर राज्य की कुल विधानसभा सीटों और वहां से राज्यसभा में जाने वाले सांसदों की संख्या पर निर्भर करता है।

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उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सदस्यों का चयन

उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सदस्यों का चयन होना है। इसमें 1 जोड़ने से यह संख्या 11 होती है। अब कुल सदस्य 403 हैं तो उसे 11 से विभाजित करने पर 36.66 आता है। इसमें फिर 1 जोड़ने पर यह संख्या 37.66 हो जाती है। यानी उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद बनने के लिए उम्मीदवार को 37 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी। इसके अलावा वोट देने वाले प्रत्येक विधायक को यह भी बताना होता है कि उसकी पहली पसंद और दूसरी पसंद का उम्मीदवार कौन है। इससे वोट प्राथमिकता के आधार पर दिए जाते हैं। यदि उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता का वोट मिल जाता है तो वो वह जीत जाता है नहीं तो इसके लिए चुनाव होता है।

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पहली वरीयता के वोट उम्मीदवार को बनाते हैं विजयी

राज्यसभा सीट जीतने के लिए उम्मीदवार को पहली वरीयता के वोट चाहिए होते हैं। इसके पश्चात यदि सदस्यों के लिए वोटिंग होती है तो सबसे कम वोट मिलने वाले उम्मीदवार के वोटों को दूसरी वरीयता के अनुसार अन्य उम्मीदवारों को ट्रान्सफर कर दिया जाता है। यह सिलसिला तब तक चलता है जब तक उम्मीदवार विजयी नहीं हो जाए। इसीलिए चुनाव होने की स्थिति में विधायकों द्वारा अन्य वरीयता के मतों का महत्व बहुत बढ़ जाता है।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

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