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साऱथी का गौरवः राम ऱथ को चलाया तो बन गए पीएम, अब करेंगे भूमिपूजन

कभी राम जन्मभूमि आंदोलन का कुशल नेतृत्व करने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की रामरथ यात्रा के सारथी बने नरेंद्र मोदी को इस बात को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि 30 साल बाद जिस राम रथ यात्रा में वह आडवाणी जी के साथ चल रहे हैं उस आंदोलन के पूरे होने के बाद भाजपा की केंद में पूर्ण बहुमत की सरकार आने पर वह प्रधानमंत्री होते हुए इस मंदिर की आधारशिला रखेंगे।

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Published on: 20 July 2020 6:44 AM GMT
साऱथी का गौरवः राम ऱथ को चलाया तो बन गए पीएम, अब करेंगे भूमिपूजन
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नई दिल्ली। कभी राम जन्मभूमि आंदोलन का कुशल नेतृत्व करने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी की रामरथ यात्रा के सारथी बने नरेंद्र मोदी को इस बात को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि 30 साल बाद जिस राम रथ यात्रा में वह आडवाणी जी के साथ चल रहे हैं उस आंदोलन के पूरे होने के बाद भाजपा की केंद में पूर्ण बहुमत की सरकार आने पर वह प्रधानमंत्री होते हुए इस मंदिर की आधारशिला रखेंगे।

मोदी का अवतरण इसी रथ यात्रा से हुआ

बताते चलें कि उस रथ यात्रा के रथी थे आज की भाजपा के भीष्म पितामह लालकृष्ण आडवाणी सारथी थे।नरेंद्र मोदी जो आज देश के प्रधानमंत्री हैं, जो उस समय गुजरात भाजपा के संगठन महामंत्री हुआ करते थे। असल में राष्ट्रीय स्तर पर मोदी का अवतरण इसी रथ यात्रा के जरिए हुआ था।

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ऐसे निकाली गई रथ यात्रा

इस दौर में केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व वाली जनता दल की सरकार थी और उसे भाजपा का समर्थन हासिल था। विश्व हिंदू परिषद के राम जन्मभूमि मुख्य आंदोलन को भाजपा ने अपना समर्थन दिया उसके बाद पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक रामरथ यात्रा निकलने का निर्णय लिया । इस लंबी यात्रा को पूरे देश में समर्थन मिला लेकिन इस बीच जब यह यात्रा बिहार के समस्तीपुर पहुंची तो जनता दल सरकार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया ।

उसके बाद भाजपा ने जनता दल सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया और वीपी सिंह की सरकार सत्ता से बाहर हो गई । इस चुनाव में भाजपा को प्रथम चरण के वोटिंग में जंपर लोकसभा की सीटें मिली परंतु दूसरे चरण के चुनाव के पहले ही राजीव गांधी की हत्या हो गई जिसके बाद चली सहानुभूति लहर नहीं केंद्र में कांग्रे स्कोर सत्ता में बैठा लिया । यह बात अलग है इस यात्रा के बाद जहां आडवाणी देश की राजनीति में इस पर आ गए वही नरेंद्र मोदी की भी देश में एक बड़ी पहचान बनी ।इसके बाद डॉ मुरली मनोहर जोशी ने जब एकता यात्रा शुरू की तो एक बार फिर मोदी इस यताके शमिल हुए।

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बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने लिया था फैसला

बताते चलें कि 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ से भगवान शिव का आशीर्वाद लेकर सारथी नरेंद्र मोदी की राम रथ यात्रा ने देश भर में राम मंदिर की ऐसी लौ जगाई जिसकी परिणति बीते साल सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हो गई। जिसमें अयोध्या की विवादित जमीन को श्रीराम की जन्मस्थली करार दे दिया गया| इसके साथ ही अरबों हिंदुओं की आस्था के प्रतीक राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हो गया।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री, लखनऊ

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