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सपा ने कानपुर में खेला ओबीसी कार्ड, रामकुमार निषाद को बनाया उम्मीदवार

रामकुमार निषाद उन्नाव सदर विधासभा से विधायक भी रह चुके है। रामकुमार निषाद के पिता मनोहर लाल कानपुर लोकसभा से 1977 में भारतीय लोकदल पार्टी से सांसद भी रह चुके है। 

Aditya Mishra
Published on: 30 March 2019 9:23 AM GMT
सपा ने कानपुर में खेला ओबीसी कार्ड, रामकुमार निषाद को बनाया उम्मीदवार
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कानपुर: समाजवादी पार्टी ने कानपुर लोकसभा सीट पर ओबीसी कार्ड खेला है। राजकुमार निषाद को सपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। रामकुमार निषाद उन्नाव सदर विधासभा से विधायक भी रह चुके है। रामकुमार निषाद के पिता मनोहर लाल कानपुर लोकसभा से 1977 में भारतीय लोकदल पार्टी से सांसद भी रह चुके है।

कानपुर लोकसभा सीट पर सभी राजनैतिक पार्टियों का फोकस जनरल कैटेगरी के प्रत्याशी को मैदान में उतारने की होती है। लेकिन सपा बसपा गठबंधन होने के बाद समाजवादी पार्टी ने ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटरों को लुभाने के लिए बड़ा खेल खेला है। कानपुर का 50 फीसदी मुस्लिम वोटर समाजवादी पार्टी के साथ खड़ा है।

रामकुमार निषाद जाजमऊ वाजिदपुर के रहने वाले है। परिवार में पत्नी तारारानी, दो बेटे एकलव्य और अरिजीत है ,बेटी मोना की शादी हो चुकी है। रामकुमार निषाद ने कानपुर के डीएवी कॉलेज से बीएससी की थी। इसके बाद एलएलबी भी कानपुर से की थी।

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रामकुमार निषाद ने के पिता मनोहर लाल सक्रिय राजनीति में थे। आपातकाल के दौरान मनोहर लाल जेल भी गए थे। पिता से प्रेरणा लेते हुए रामकुमार निषाद सन 1974 में राजनीती में कूद पड़े। रामकुमार के पिता मनोहर लाल 1974 में छावनी विधानसभा से विधायक का चुनाव लड़े थे। पिता के साथ मिलकर रामकुमार ने चुनाव का संचालन किया था। 1975 में जब आपातकाल लगा था तो पिता के साथ इस आन्दोलन में कूद पड़े थे। आपातकाल में गिरफ्तार बंदियों के पैरवी की थी।

1977 में आपातकाल जब पिता मनोहर लाल को भारतीय लोकदल ने कैंडिडेट बनाया था। उस लोकसभा चुनाव का संचालन किया था जिसमे मनोहर लाल भारीमतो से जीते थे। इसके बाद कानपुर और उन्नाव की विधान सभा चुनावो का संचालन किया। इसके साथ ही उन्नाव की सदर विधानसभा चुनाव से विधायक भी बने।

कानपुर लोकसभा ब्राह्मण बहुल सीट है कांग्रेस और बीजेपी जैसी राष्ट्रीय पार्टिया जनरल कैंडीडेट को ही प्रत्याशी घोषित करती है। लेकिन सपा-बसपा गठबंधन होने के बाद सपा ने ओबीसी कार्ड खेल कर सभी की धड़कने बढ़ा दी है। दरसल कानपुर में ओबीसी और अनुसूचित जाति के साथ ही बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर भी है . ओबीसी और मुस्लिम वोटर कांग्रेस पार्टी को भी सपोर्ट करता है।

कानपुर में 5,16,594 सामान्य वोटर है जिसमे ब्राह्मण वोटरों की संख्या 2,90,772 है। क्षत्रिय वोटरों की संख्या 95,500 है ,वैश्य वोटरों की संख्या 90 ,772 है कायस्थ वोटरों की संख्या 39,500 है।

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अल्पसंख्यक वोटर

कानपुर में अल्पसंख्यक वोटरों की संख्या 4,07,182 है . जिसमे मुस्लिम वोटरों की संख्या 3,05661 है ,इसाई वोटरों की संख्या 22261 है ,वही सिक्ख पंजाबी वोटरों की संख्या 79.560 है।

अनुसूचित जाति

अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या 3,81 ,000 है . जिसमे चमार ,जाटव ,दोहरे ,अहिरवार की संख्या लगभग 01 लाख है . कोरी ,वर्मा वोटरों की संख्या 42 हजार के लगभग है। खटिक वोटर की संख्या 65,400 है। दिवाकर ,धोबी वोटरों की संख्या 42 हजार के करीब है।

ओबीसी वोटर

कानपुर में ओबीसी वोटरों की संख्या 2,90,721 है . ओबीसी में लगभग जातिया शामिल है । यदि इन आकड़ो पर नजर डाली जाए तो सपा ने अपना कैंडिडेट सपा बसपा गठबंधन को ध्यान में रखते हुए मैदान में उतारा है। बीजेपी और कांग्रेस को पिछले लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में ओबीसी वोटर समर्थन करते थे। लेकिन गठबंधन होने के बाद सपा मुस्लिम ,ओबीसी और अनुसूचित जाति के वोटरों को लुभाने का प्रयास किया है। सपा का कानपुर में बड़ी संख्या में मुस्लिम वोट बैंक है। सपा द्वारा ओबीसी कैंडिडेट उतारने से सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस का होने वाला है।

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Aditya Mishra

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