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राम मंदिर पर घमासान: इन पर भड़के अयोध्या के संत, मुहूर्त पर दिया करारा जवाब

अयोध्या में भूमि पूजन की तिथि को लेकर पैदा हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।

Newstrack
Published on: 24 July 2020 5:47 AM GMT
राम मंदिर पर घमासान: इन पर भड़के अयोध्या के संत, मुहूर्त पर दिया करारा जवाब
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अयोध्या: अयोध्या में भूमि पूजन की तिथि को लेकर पैदा हुआ विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए तय की गई 5 अगस्त की तिथि को अशुभ बताया है। शंकराचार्य के इस बयान के बाद अयोध्या के संत भड़क गए हैं और उन्होंने शंकराचार्य को जमकर खरी-खोटी सुनाई है। इस बीच भूमि पूजन पर रोक लगाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई है।

हालांकि इस बीच तमाम अन्य आध्यात्मिक जगत के प्रतिष्ठित संतों महात्माओं का भी कहना है कि जिन राम के नाम से बड़े बड़े कष्ट कट जाते हैं। जिनके नाम से हनुमान समुद्र लांघ जाते हैं। आत्मा की मुक्ति हो जाती है। शिव भी अनवरत जिनका ध्यान करते हैं ऐसे राम के जन्मभूमि मंदिर के लिए मुहूर्त की क्या जरूरत है। और वैसे भी मंदिर का शिलान्यास पहले ही हो चुका है। अब तो सिर्फ काम शुरू होना है। ऐसे में अड़ंगेबाजी वाली बातें बंद होनी चाहिए।

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अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमि पूजन के लिए 5 अगस्त की तारीख तय की गई है। जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने मुहूर्त पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाद्रपद में किया गया शुभारंभ विनाशकारी होता है। अयोध्या के संतों ने शंकराचार्य के तर्कों को खारिज किया है।

1989 में ही हो चुका है शिलान्यास

श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास का कहना है कि मंदिर का शिलान्यास ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल द्वारा 1989 में ही हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को तो सिर्फ आधारशिला रखकर मंदिर निर्माण का शुभारंभ करना है। उन्होंने कहा कि सभी संतों की यही इच्छा है कि पीएम तय तिथि के दिन मंदिर निर्माण का शुभारंभ कर दें।

पीएम के कार्यक्रम पर नहीं होगा असर

महंत कमल नयन दास ने कहा कि जब मंदिर का शिलान्यास 1989 में ही हो चुका है तो मुहूर्त व समय को लेकर जिसे जो कहना है, वह कहता रहे। उन्होंने कहा कि भूमि पूजन के खिलाफ कही जा रही बातों का पीएम के कार्यक्रम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राम के काज में हर समय शुभ तिथि है और 5 अगस्त को शुभ मुहूर्त में मंदिर निर्माण का शुभारंभ हो जाएगा।

पूरे भादो मास को पवित्र बताया

श्री राम जन्मभूमि के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि सनातन धर्म में मुख्य रूप से दो अवतार माने गए हैं। भगवान राम का अवतार चैत्र माह में होने के कारण यह पुराना माह शुभ माना जाता है। वही भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद में हुआ था और इसी कारण संपूर्ण भादो मास पवित्र माना जाता है। इस माह के दौरान किए गए किसी भी कार्य को हानिकारक नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा कि भूमि पूजन के बाद बिना किसी बाधा के भव्य राम मंदिर जल्दी ही तैयार होगा।

शंकराचार्य को शास्त्रार्थ की चुनौती

तपस्वी छावनी के महंत परमहंस दास ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को शास्त्रार्थ करने की चुनौती दी। हनुमानगढ़ी के पुजारी राजू दास का कहना है कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती भूमि पूजन के मुहूर्त पर विवाद खड़ा करके अपनी राजनीतिक रोटी सेकने में लगे हुए हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के काम के लिए किसी मुहूर्त को देखने की कोई जरूरत नहीं है। वे तो खुद ही शुभ मुहूर्त हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती कांग्रेस के इशारे पर मंदिर निर्माण की राह में बाधाएं खड़ा करने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

भूमिपूजन रोकने के लिए याचिका दाखिल

इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर राम मंदिर निर्माण के लिए 5 अगस्त को प्रस्तावित भूमिपूजन पर रोक लगाने की मांग की गई है। दिल्ली के पत्रकार साकेत गोखले की ओर से भेजी गई लेटर पीआईएल में भूमि पूजन को कोरोना की गाइडलाइन का उल्लंघन बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि भूमि पूजन में करीब 300 लोग इकट्ठा होंगे जो गाइडलाइन के विपरीत है।

कोरोना संकट के बीच भूमि पूजन पर सवाल

याचिका में कहा गया है कि भूमि पूजन होने से कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। याचिका में यह भी कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में किसी प्रकार की छूट नहीं दे सकती। कोरोना के संक्रमण को बचाने के लिए ही बकरीद पर सामूहिक नमाज की छूट नहीं दी गई है। याचिका में राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट के साथ ही केंद्र सरकार को भी विपक्षी के तौर पर पक्षकार बनाया गया है। इस तरह भूमि पूजन का मामला अब कानूनी पचड़े में भी फंसता नजर आ रहा है।

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मंदिर निर्माण में फंस सकता है कानूनी पेंच

इस बीच ज्योतिषाचार्य महर्षि सुषैन का कहना है कि राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और केंद्र सरकार की ओर से तय की गई 5 अगस्त की तारीख उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि 5 अगस्त को भूमि पूजन से राम मंदिर का निर्माण किसी न किसी कानूनी व कागजी कार्यवाही के पेंच में फंस सकता है। उन्होंने कहा कि इस दिन भूमिपूजन से राम मंदिर के निर्माण में बाधाएं पैदा हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि अखाड़ों भी असंतोष की भावना पैदा हो सकती है। राम मंदिर के नए डिजाइन के मुताबिक यह मंदिर तीन मंजिलों का होगा और ज्योतिषाचार्य महर्षि सुषैन का कहना है कि पहली और तीसरी मंजिल विवादित रहेगी।

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