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खुला रामपुर रियासत का असलहाखाना तो आंखें खुली और बोलती बंद हो गई, जानें क्यों

रामपुर रियासत के आखिरी शासक नवाब रजा अली खां की जायदाद के बंटवारे की प्रक्रिया के तहत सोमवार रियासतकालीन असलहाखाने की दरवाजे खुली तो सबकी आंखें खुली रह गईं। इसमें सोना और चांदी जड़ित हथियार मिले हैं।

suman
Published on: 4 Feb 2020 4:19 AM GMT
खुला रामपुर रियासत का असलहाखाना तो आंखें खुली और बोलती बंद हो गई, जानें क्यों
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रामपुर: रामपुर रियासत के आखिरी शासक नवाब रजा अली खां की जायदाद के बंटवारे की प्रक्रिया के तहत सोमवार रियासतकालीन असलहाखाने की दरवाजे खुली तो सबकी आंखें खुली रह गईं। इसमें सोना और चांदी जड़ित हथियार मिले हैं। पहले दिन सर्वे का काम पूरा नहीं हो सका। पहले दिन 4 सौ हथियारों की ही गिनती की जा सकी। गिनती दो दिन और चलेगी।

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रियासत के अंतिम नवाब रजा अली खां की जायदाद के बंटवारे की प्रक्रिया कोर्ट के आदेश पर चल रही है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने रजा अली खां की संपत्ति का बंटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कानून के मुताबिक सभी वारिसों में करने का आदेश दिया था। इसको लेकर जिला जज की कोर्ट को बंटवारे की प्रक्रिया को पूरा करने का आदेश दिया गया है।

जिला न्यायालय के आदेश पर नवाब की निजी संपत्ति का सर्वे किया जा रहा है। जिला न्यायालय ने असलहाखाने खोलने के आदेश जारी किए थे। इसके लिए जिलाधिकारी आन्जनेय कुमार सिंह एसडीएम मान सिंह पुंडीर, सीओ विद्या शुक्ल और शस्त्रों के जानकार राशिद खां व आमिर खां को कमेटी में शामिल किया था। एडवोकेट कमिश्नर मुजम्मिल हुसैन व सौरभ सक्सेना ने कमेटी की मौजूदगी में सोमवार को दोपहर बाद आर्मरी के ताले खुलवाए गए। यहां नवाब खानदान के सदस्य भी थे। जो ताले नहीं खुल सके, उन्हें तोड़ दिया गया।

जो हथियार मिले उनमें तलवारें, खंजर, भाले, पिस्टल, बंदूकें, रायफल और अन्य हथियार शामिल हैं। शस्त्रों की संख्या हजारों में है। एडवोकेट कमिश्नर के साथ साथ आर्मरी में मिले शस्त्रों की सूची प्रशासन भी बना रहा है।आर्मरी से जो शस्त्र मिले हैं, उनमें लंदन, हौलेंड, जर्मनी, अमेरिका, स्पेन, जापान आदि देशों की प्रमुख कंपनियों के शस्त्र शामिल हैं। इनमें रामपुर में बने शस्त्र शामिल हैं।

रियासत के अंतिम नवाब की आर्मरी में सोमवार को जो हथियार मिले हैं उसमें से अधिकांश खराब हो चुके हैं। अधिकांश हथियार विदेशों में बने हैं, जो वहां से मंगाए गए थे। तलवारों का निर्माण स्थानीय स्तर पर किया गया था। ये हथियार पिछले कई दशकों से आर्मरी में बंद हैं। देखरेख के अभाव में अधिकांश हथियार खराब हो चुके हैं, तलवारों पर जंग लग चुकी है। पिस्टल और बंदूक की मूठ में जो लकड़ी है उसमें दीमक लग चुकी है।

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रामपुर रियासत

असलहाखाने खुलने के मौके पर पूर्व सांसद बेगम नूरबानो, पूर्व मंत्री नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां, पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की बहू नवाबजादी सबा दुररेज अहमद, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बदर दुररेज अहमद के बेटे जुलनूर अहमद, निगहत आब्दी, एडवोकेट कमिश्नर अरुण प्रकाश सक्सेना, वरिष्ठ अधिवक्ता हर्ष गुप्ता, संदीप सक्सेना, पूर्व मंत्री के पीआरओ काशिफ खां, अधिवक्ता सुयश गुप्ता, दानिश कमर, शकेब अब्बास और शबाब हुसैन मौजूद रहे।

रामपुर रियासत का भारतीय गणराज्य में विलय होने के वक्त रजा अली खां ने अपनी आर्मरी के अधिकांश हथियार सरकार को सौंप दिए थे। कुछ हथियारों को निजी तौर पर अपने पास रख लिया था। जिनकी संख्या भी हजारों में है। इन हथियारों की गिनती की जाएगी। इसके बाद इसका रजा अली खां के वारिसों में बंटवारा हो सकता है।

संसद ने आयुध संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत एक लाइसेंस पर अब केवल दो हथियार तक रखने का प्रावधान किया गया है। अभी तक एक लाइसेंस पर तीन हथियार रखने का प्रावधान है।

आयुध संशोधन विधेयक 2019 में प्रावधान किया गया है कि अगर किसी को अपने अपने पूर्वजों से विरासत में कई शस्त्र मिले हैं, तो ऐसे शस्त्रों को अपने घर में रख सकता है, लेकिन उसे निष्क्रिय करना होगा।

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