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Hapur News: छह सेंटीमीटर कम हुया गंगा का जलस्तर, गिरावट के बाद भी ग्रामीणों की मुश्किलें कम नहीं

Hapur News: ग्रामीणों को सताने लगी है बीमारियां फैलने की आशंका, मवेशियों के चारा जुटाने में भी हो रही दिक्कत।

Avnish Pal
Published on: 18 July 2023 5:22 PM IST
Hapur News: छह सेंटीमीटर कम हुया गंगा का जलस्तर, गिरावट के बाद भी ग्रामीणों की मुश्किलें कम नहीं
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Hapur News: पहाड़ों पर बारिश थमने व बिजनौर बैराज से कम पानी छोड़ने के कारण ब्रजघाट गंगा के जलस्तर में कुछ कमी आई है। लेकिन खादर क्षेत्र के ग्रामीणों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ग्रामीणों को अभी भी बाढ़ की आशंका सता रही है। वहीं जंगलों में जलभराव होने से संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाने की मांग की जा रही है।

येलो अलर्ट के निशान को पार कर पहुँचा जलस्तर-

मानसून आरंभ होने के बाद से लगातार पहाड़ों और मैदानों में हो रही बारिश ने गंगा खादर क्षेत्र के ग्रामीणों की नींद उड़ाई हुई है। करीब एक माह से गंगा उफान पर है जो येलो अलर्ट को पार कर चुकी है। वहीं कुछ दिनों से जलस्तर में उतार-चढ़ाव भी हो रहा है। गंगा के उफान के चलते खादर क्षेत्र के सैकड़ों बीघा जंगल में पानी भर गया है। वहीं सपर्क मार्गों तक भी पानी पहुँच गया है।

जलस्तर में छह सेंटीमीटर आई गिरावट-

मंगलवार को जलस्तर में मामूली गिरावट होने पर भी जलभराव से कोई राहत नहीं मिल सकी है। किसान पशुओं को चारा उपलब्ध करने के लिए जलभराव के बीच खेतों में काम कर रहे हैं। बाढ़ कन्ट्रोल रूम मेरठ के अनुसार मंगलवार को ब्रजघाट गंगा के जलस्तर में छह सेंटीमीटर की गिरावट दर्ज की गई है। जिसके चलते जलस्तर 197.55 मीटर पर है, इसके साथ ही बिजनौर बैराज से भी फिलहाल डिस्चार्ज में कमी आई है।

खादर क्षेत्र के ग्रामीण राहुल, जोगेंद्र, रत्न सिंह ने बताया कि प्रतिवर्ष गंगा नदी की बाढ़ से क्षेत्र की हजारों बीघे फसल नष्ट हो जाती है। पर प्रशासन फसल के मुआवजे के नाम पर कुछ नहीं देता है। वहीं खेतों में पानी भरने से चारे का संकट गहरा गया है। गहराई वाले खेतों में जलस्तर कम होने के बाद भी काफी समय तक पानी रुका रहता है इससे फसल नष्ट हो जाती है। गांवों के जंगलों में तो पानी लबालब भरा है। इस कारण से मवेशियों के लिए चारे की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है। लोेग घरों में कैद हो कर रह गए हैं।



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