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नोएडा के खनन माफिया की जेल में रासुका के तहत निरुद्ध रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतम बुद्ध नगर के खनन माफिया भूपेंद्र की रासुका के तहत निरुद्ध अवैध करार देते हुए रद्द कर दी है। और कहा है कि यदि अन्य केस में वान्छित न हो तो उन्हें तत्काल रिहा किया जाए।
अन्य केस में वांछित न होने पर तत्काल रिहा करने का निर्देश
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतम बुद्ध नगर के खनन माफिया भूपेंद्र की रासुका के तहत निरुद्ध अवैध करार देते हुए रद्द कर दी है। और कहा है कि यदि अन्य केस में वान्छित न हो तो उन्हें तत्काल रिहा किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने दिया है।
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अन्य कई मामलों मे जेल में बंद
याचिका पर अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह यादव ने बहस की। याची को 6 जून 2019 को गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी ने रासुका के तहत तीन माह के लिए निरुद्ध किया। इस समय वह अन्य कई मामलों मे जेल में बंद था।
बाद में 3 माह की अवधि को बढ़ाकर छह माह कर दिया गया। इन दोनों आदेशों को चुनौती दी गई। याची अधिवक्ता का कहना था कि याची रासुका लगाते समय जेल में बंद था। तीन ऐसे अन्य मुकदमे थे, जिसमें उसके जेल से बाहर आने की संभावना नहीं थी और न ही उसने जमानत अर्जी दाखिल की थी।
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रासुका कानून के तहत जिलाधिकारी का दायित्व है कि निरूद्धि आदेश पारित करते समय सभी तथ्यों पर विचार करें। और निरुद्ध व्यक्ति के जेल से बाहर आने की संभावना पर सकारण आदेश पारित करें। जिलाधिकारी ने संपूर्ण तथ्यों पर विचार नहीं किया।
जिला अधिकारी का मानना था कि यमुना व हिंडन नदी के द्वाब में याची अपने पिता सहित अन्य लोगों के साथ अवैध खनन कर रहा हैं। खनन रात में मशीनों द्वारा किया जाता है। इस खनन से नदी का पर्यावरण बिगड़ रहा है।
इसी मामले में सीचपाल धीरज कुमार ने 12 जुलाई 18 को एफआईआर भी दर्ज कराई थी। जिलाधिकारी को इस बात पर संतुष्ट हो जाना चाहिए कि जेल में बंद कैदी छूट सकता है और छूट जाने के बाद वह अपराध करेगा। कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होगी। जिलाधिकारी के आदेश में इन तथ्यों का अभाव है। जिस पर कोर्ट ने आदेश को रद्द कर दिया है।
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