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Saharanpur News: इस्लाम नहीं देता लव जेहाद और धर्मांतरण की इजाजत, जानिए क्या बोले इस्लामिक स्कॉलर
Saharanpur News: इस्लामिक स्कॉलर कारी अबरार जमाल ने लव जिहाद पर फतवों की नगरी के नाम से मशहूर दारुल उलूम देवबंद द्वारा फतवा जारी करने से इनकार करने पर कहा कि इन्हीं लोगों की वजह से मजहब इस्लाम को बदनामगी का शिकार होना पड़ रहा है।
Saharanpur News: लव जिहाद और धर्मांतरण की इस्लाम इजाजत नहीं देता। ऐसा करने वालों से इस्लाम बदनाम हो रहा है। ये कहना है इस्लामिक स्कॉलर अबरार जमाल का। उनके मुताबिक उलेमाओं का फर्ज है कि वह लोगों को समझाएं कि ऐसा ना करें इनसे गुरेज करें इससे इस्लाम और मुसलमान बदनाम हो रहा है। इस्लामिक स्कॉलर कारी अबरार जमाल ने लव जिहाद पर फतवों की नगरी के नाम से मशहूर दारुल उलूम देवबंद द्वारा फतवा जारी करने से इनकार करने पर कहा कि इन्हीं लोगों की वजह से मजहब इस्लाम को बदनामगी का शिकार होना पड़ रहा है। वरना मजहब-ए-इस्लाम का स्पष्ट रोल रहा है कि मजहब इस्लाम ऐसे कृत्यों की इजाजत नहीं देता।
बिना मर्जी रिलेशनशिप तक की इस्लाम में इजाजत नहीं, कत्ल तो दूर की बात
इस्लामिक स्कॉलर अबरार जमाल ने कहा कि मजहब इस्लाम तो रिलेशनशिप बनाने की इजाजत ही नहीं देता। कत्ल और यह सब तो बाद की चीज है। जिस तरह कुछ मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कों की रूपरेखा अपनाकर गैर मुस्लिम लड़कियों से दोस्ती करते हैं। फिर उनका शोषण करते हैं, फिर उनका कत्ल करते हैं, यह ट्रेड पूरे देश में चल रहा है। लव जेहाद को लेकर इस्लाम का बिल्कुल स्पष्ट रूप से कहना है इस्लाम इसकी बिल्कुल इजाजत नहीं देता। दीन में बिल्कुल स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इस तरह के मामले में बिल्कुल गुंजाइश नहीं है। लड़की को बेरहमी से कत्ल कर दिया तो कत्ल की बिल्कुल गुंजाइश नहीं है।
इंसान करे कत्ल तो होता है पूरी इंसानियत का कत्ल
उन्होंने कहा कि कुरान-ए-पाक में कहा गया है कि एक इंसान अगर एक इंसान का कत्ल करता है तो पूरी इंसानियत का कत्ल होता है। यदि एक इंसान की जिंदगी बचाई जाती है तो यही अच्छा माना जाता है। लेकिन दुर्भाग्य से कुछ भटके हुए हमारे ही मुस्लिम समाज के नवयुवक अपनी पहचान छुपाकर साहिल को मोहित बनाकर रहीम को अंकित बनाकर इस तरह का फ्रॉड रखते हैं। जिससे पूरा मुस्लिम समाज बदनाम होता है।
धर्मांतरण को लेकर कठोर कानून बने
उन्होंने कहा कि धर्मांतरण को लेकर कठोर कानून बनना चाहिए। मुस्लिम समाज इसे धर्म के चश्मे से देख रहा है। इस देश में अतीक जैसे गुंडे माफिया की हत्या होती है तो इसे लोगों ने धर्म के चश्मे से देखा और दूसरी और जब उमेश पाल की हत्या होती है, तब उसे धर्म के चश्मे से नहीं देखा गया। क्या उमेश पाल किसी का बेटा नहीं था। क्या उससे पहले जिनकी हत्या की वह किसी के बेटे नहीं थे। यह कट्टरता कैसे खत्म हो, हमारे उलेमा इकराम इसके लिए पहल करें मस्जिदों से ऐलान करें। नौजवानों को समझाएं मुस्लिमों और नौजवानों के बीच जाकर यह मैसेज आम करें कि इससे इस्लाम बदनाम होता है। इनसे गुरेज कीजिए।