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राम मंदिर निर्माण में संतों की अनदेखी: बन रहा कलह की वजह, शुरु हुईं बैठकें

लखनउ से सटे अयोध्या में आज राममंदिर निर्माण को लेकर सन्तों के बीच दिगम्बर अखाड़े में बैठक हुई। इस दौरान संत उनकी अनदेखी किये जाने से नाराज नजर आये। मामले में संत कल शाम 4 बजे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास महराज से मिलकर मांग पत्र देंगे। मन्दिर

Shivani Awasthi
Published on: 31 May 2020 12:03 AM IST
राम मंदिर निर्माण में संतों की अनदेखी: बन रहा कलह की वजह, शुरु हुईं बैठकें
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अयोध्या। श्री राम मंदिर आंदोलन मे सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष करने वाले लोगों के भारत सरकार द्वारा ट्रस्ट बनाए जाने के बाद उपेक्षा होने का मामला अयोध्या में धीरे-धीरे फिर सुलगने लगा है।

राममंदिर निर्माण को लेकर सन्तों के बीच दिगम्बर अखाड़े में बैठक

लखनउ से सटे अयोध्या में आज राममंदिर निर्माण को लेकर सन्तों के बीच दिगम्बर अखाड़े में बैठक हुई। इस दौरान संत उनकी अनदेखी किये जाने से नाराज नजर आये। मामले में संत कल शाम 4 बजे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास महराज से मिलकर मांग पत्र देंगे। मन्दिर निर्माण में सन्तों को शामिल करने की मांग करेंगे। आज की बैठक में रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ राम विलास बेदान्ती, निर्वाणी आणि अखाड़े के श्रीमहंत धर्म दास, रसिकपीठाधीश्वर महन्थ जनमेजय शरण महराज, दिगम्बर अखाड़े के श्रीमहंत सुरेश दास, महंत भरत दास, महंत अवधेश दास सहित दो दर्जन से अधिक सन्त शामिल रहे।

राम जन्म भूम तीर्थ ट्रस्ट में संतों की अनदेखी पर नाराजगी

गौरतलब है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा राम मंदिर पक्ष के में अपना निर्णय सुनाने के बाद ट्रस्ट के गठन की जिम्मेदारी भारत सरकार को सौंपी थी। जिस के निर्देश पर भारत सरकार द्वारा श्री राम जन्म भूम तीर्थ ट्रस्ट का गठन किया गया। जिसमें अयोध्या के प्रमुख संत महंत नृत्य गोपाल दास जी को शामिल नहीं किया गया।

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तभी से यहां ट्रस्ट के गठन में अयोध्या के संतों को शामिल न करने को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया था। उस दौरान विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने नृत्य गोपालदास से भेंट कर लोगों को शांत रहने की अपील के साथ मामले को दबा दिया था, लेकिन बाद में ट्रस्ट की बैठक के उपरांत महंत नृत्य गोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद फिर एक बार अयोध्या में ट्रस्ट मैं स्थानीय साधु संतों की आवाज दब सी गई।

मंदिर आंदोलन में हजारों नेताओं और संतों ने लिया हिस्सा

राम मंदिर के आंदोलन को लेकर परमहंस दास हनुमानगढ़ी के अभी रामदास निर्मोही अखाड़ा के महंतों के अलावा डॉ रामविलास वेदांती पूर्व सांसद विनय कटियार जैसे हजारों नेताओं ने हिस्सा लिया था। लेकिन ट्रस्ट का गठन जिस प्रकार किया गया उसको लेकर स्थानीय स्तर पर काफी असमंजस की स्थिति बनी रही।

एक दूसरे से लोग सवाल जरूर करते हैं। राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में समतलीकरण को लेकर शुरू हो चुका है। रामलला को अस्थाई मंदिर में शिफ्ट कर पूजा अर्चन का काम स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया जा चुका है । अब तक संभावना व्यक्त की जा रही थी।

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पीएम मोदी करने वाले थे मंदिर निर्माण का शिलान्यास

मंदिर निर्माण का शिलान्यास भारत सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कराया दिया गया होता, परंतु देश में कोरोना जैसी महामारी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा। इसलिए स्थानीय स्तर पर मंदिर निर्माण की कड़ी में समतलीकरण का काम किया जा रहा है। समतलीकरण के खुदाई के दौरान पत्थरों के निकलने पर जहां विश्व हिंदू परिषद के लोग उसे मंदिर से जोड़ते हैं तो वही उसे कुछ लोग बौद्ध धर्म से जोड़ते हुए उस पर सवाल खड़ा कर रहे हैं जो एक बार फिर विवाद का विषय बन रहा है। बौद्ध धर्म के लोग उसे एक ऐतिहासिक धरोहर मानते हुए उसको संग्रहालय में रखने की आवाज उठा रहे हैं।

साधु संतों को शामिल न करना बनता जा रहा कलह

फिलहाल अयोध्या में राम मंदिरट्रस्ट में स्थानीय साधु संतों को शामिल ना करना एक अंतर कलह बनता जा रहा है और दिन प्रतिदिन राम मंदिर धार्मिक केंद्र ना बंद कर एक राजनीतिक केंद्र बनने की तरफ अग्रसर हो रहा है।

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जैसा कि ट्रस्ट के गठन से प्रतीत होता है कि ट्रस्ट में जो भी साधु संत हैं उनका भविष्य ज्यादा दिन तक नहीं है और वह इस ट्रस्ट में नाम मात्र के हैं। ट्रस्ट के मुख्य कर्ता-धर्ता के रूप में गृहस्थ जीवन यापन करने वाले लोग हैं जबकि राम मंदिर का स्वरूप एक धार्मिक है। वहां पर मुख्य कर्ता-धर्ता साधु संतों को ही होना चाहिए। इसी कारण अयोध्या किस राम मंदिर को ट्रस्टी और मीडिया के लोगों की कार्यशैली पूरी तरीके से राज नैतिक लगती है।

अयोध्या से नाथ बख्श सिंह

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