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कानून व्यवस्था पर अखिलेश का तंज, CM योगी को लेकर कही इतनी बड़ी बात
अखिलेश ने कहा कि प्रदेश के अन्नदाता की भाजपा सरकार को परवाह नहीं। किसानों के प्रति नफरत रखना, उन्हें आतंकवादी और गुण्डा बताना भाजपा की ओछी मानसिकता का प्रदर्शन है। खेती, किसान, गांव में रहने वालों और गरीबों के लिए भाजपा में कोई हमदर्दी नहीं।
लखनऊ: प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर करारा हमला बोला है। उन्होंने व्यंग करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था सुधारने के लिए सरकार को भी मुख्यमंत्री का इंतजार है। वह अभी नाम बदलने के अभियान में बाहर घूम रहे हैं। उनके लौट कर आने तक सरकार के अधिकारी भी लाचार हैं।
उन्होंने रविवार को सोशल मीडिया पर जारी बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश में पत्रकार को जिंदा जला देने व बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामलों में सरकारी अधिकारी और सरकार दोनों ही लाचार हैं। उन्होंने कहा कि सरकार आखिर क्या करे जब प्रदेश के मुख्यमंत्री दूसरे राज्यों में देशाटन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपराधियों के आगे नतमस्तक है। विकास कार्य अवरूद्ध हैं। किसान आंदोलित है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री जी देशाटन पर हैं। अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने के बजाय उनका मन स्टार प्रचारक बनकर दूसरे राज्यों में जाने और उनके शहरों के नाम बदलवाने में ज्यादा लगता है।
''खेती, किसान, गांव और गरीब की BJP में हमदर्दी नहीं''
अखिलेश ने कहा कि प्रदेश के अन्नदाता की भाजपा सरकार को परवाह नहीं। किसानों के प्रति नफरत रखना, उन्हें आतंकवादी और गुण्डा बताना भाजपा की ओछी मानसिकता का प्रदर्शन है। खेती, किसान, गांव में रहने वालों और गरीबों के लिए भाजपा में कोई हमदर्दी नहीं। उन्हें चिंता है तो बस कारपोरेट घरानों की कि कैसे उनकी झोलियां भरी जाएं और प्रदेश की सम्पत्ति उनकी मर्जी से बंधक बनाई जाए।
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उन्होंने कहा कि किसानों को आतंकवादी कहकर अपमानित करना भाजपा का निकृष्टतम रूप है। अगर भाजपा के अनुसार किसान आतंकवादी है तो भाजपाई कसम खाए कि उनका उगाया अन्न नहीं खाएंगे। भाजपा-आरएसएस की रीतिनीति ही यही है कि जनसामान्य के हितों के मुद्दों से ध्यान भटकाया जाए और व्यर्थ के मुद्दों में उलझाया जाए। गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा, बेकारी जैसी समस्याओं के निदान के उपाय सोचने की मुख्यमंत्री को फुरसत नहीं है। भाजपा सरकार के रहते हालात सुधरने वाले नहीं। जनता के जानमाल की रक्षा की कोई उम्मीद नहीं। शिक्षामित्रों की समस्याएं जस की तस हैं। 17000 अनुदेशकों को प्रतिमाह वेतन देने का वादा भाजपा ने किया, लेकिन दिया नहीं। विवश होकर वे आत्महत्या कर रहे हैं। हाल ही में सिद्धार्थनगर के बृजपाल ने फांसी लगा ली।
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UP में सबसे ज्यादा खतरे में पत्रकार
प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पत्रकार सबसे ज्यादा खतरे में है। कई पत्रकारों की जानें गई हैं। अभी 28 नवम्बर 2020 को ही बलरामपुर में पत्रकार राकेश सिंह निर्भीक और उनके साथी पिंटू साहू को जिंदा जला दिया गया। प्रयागराज के सोरांव थानान्तर्गत तेजोपुर गांव में शनिवार तड़के किसान हरिश्चन्द्र की हत्या कर लाश पुआल संग फूंक दी गई। कन्नौज की एक 15वर्षीय किशोरी को अगवा कर लखनऊ में उसके साथ दुष्कर्म हुआ। ग्रेटर नोएडा के एक गांव में चार बदमाशों ने एक मां के साथ उसकी बेटी व बेटे के सामने ही दुष्कर्म किया। बागपत में तांत्रिकों ने महिला से दुष्कर्म किया।
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अलीगढ़ में छेड़छाड़ से तंग छात्रा ने जहर खाकर जान दी। कुशीनगर के एक गांव की 11वर्षीय बच्ची का अपहरण कर रेप के बाद हत्या कर दी गई। बाराबंकी के रामनगर इलाके में अपहृत 19वर्षीय बेटी का बोरी में गला कटा शव मिला। बलिया में दलित मां-बेटी की घर में घुसकर हत्या की गई। आखिर जो सरकार लोगों को सुरक्षा और सम्मान पूर्वक जीने की गारन्टी नहीं दे सकती उसे सत्ता में बने रहने का क्या अधिकार है? मुख्यमंत्री को उत्तर प्रदेश को संवारने का दायित्व मिला था, उसकी देश भर में बदनामी कराने का नहीं।
रिपोर्ट: अखिलेश तिवारी
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