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Swami Prasad Maurya: बाज नहीं आ रहे सपा के स्वामी, अब साधु-संतों को आतंकवादी बोल कर फंसे, किसके इशारे पर कर रहे बयानबाजी

Swami Prasad Maurya Controversial Statements: सपा नेता ने अब साधु-संतों को लेकर ऐसी टिप्पणी कर दी है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 23 May 2023 2:49 PM IST (Updated on: 28 May 2023 9:26 PM IST)
Swami Prasad Maurya: बाज नहीं आ रहे सपा के स्वामी, अब साधु-संतों को आतंकवादी बोल कर फंसे, किसके इशारे पर कर रहे बयानबाजी
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Swami Prasad Maurya Controversial Statements (Pic Credit - Twitter)

Swami Prasad Maurya Controversial Statements: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य का विवादित बयानों का सिलसिला जारी है। रामचरितमानस पर अपमानजनक टिप्पणी कर तीखा विरोध का सामना करने वाले स्वामी अभी रूकने के मूड में नहीं है। मानस विवाद के बाद से वे लगातार भड़काऊ और अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे हैं। मौर्य के निशाने पर भाजपा नेता और वे साधु-संत हैं, जिन्हें भगवा खेमे का माना जाता है। सपा नेता ने अब साधु-संतों को लेकर ऐसी टिप्पणी कर दी है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

गाजीपुर में बौद्ध जयंती समारोह में शामिल होने पहुंचे स्वामी प्रसाद मौर्य ने उन लोगों को जमकर लताड़ लगाई, जो हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो संविधान की कसम लेकर प्रधानमंत्री और मुख्ममंत्री बने हैं, आज वे संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं। हिंदू राष्ट्र की बात करना असंवैधानिक है क्योंकि ये संविधान में है ही नहीं। हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले देश के दुश्मन हैं और भारत को एकबार फिर बंटवारे की ओर ले जाना चाहते हैं।

साधु-संतों को कह दिया आतंकवादी

अपने बिगड़ैल बयानों के लिए कुख्यात स्वामी प्रसाद मौर्य यहीं नहीं रूके उन्होंने साधु-संतों को आतंकवादी तक बता दिया। मौर्य ने कहा कि जितने भ साधु-संत के भेष में हैं वो सारे आतंकवादी हैं। इन साधु संतों ने कहा था कि स्वामी प्रसाद मौर्य की जीभ काट देंगे। मुझे मारने की धमकी दी गई लेकिन सरकार ने इनके खिलाफ कुछ नहीं किया।

बागेश्वर बाबा पर बोला हमला

स्वामी प्रसाद मौर्य ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री को भी निशाने पर लिया। शास्त्री द्वारा अपने कार्यक्रमों में देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि देश में बाबा जैसे हजारों लोग हैं, जिनका संज्ञान देश की जनता नहीं लेगी। देश संविधान से चलेगा, किसी बाबा के बयान से नहीं। स्वामी ने बाबा बागेश्वर पर हमला बोलते हुए कहा कि मक्खी, मच्छरों के भिनभिनाने से बादलों की आवाज नहीं बदल सकती है।

बता दें कि मौर्य इससे पहले भी बाबा बागेश्वर पर हमलावर रहे हैं। पंडित शास्त्री के कथित चमत्कार के दावे पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा था कि अगर बाबा के पास सच में कोई चमत्कारिक शक्ति है तो वे चीन को भस्म क्यों नहीं कर देते।

सवर्णों पर फिर साधा निशाना

पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने सवर्णों पर एकबार फिर से निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह लोग हिंदू राष्ट्र इसलिए बनाना चाहते हैं ताकि हमें शूद्र बनाकर गुलामी करने को मजबूर कर सकें। मौर्य ने मनुस्मृति की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें 5 साल के ब्राह्मण को 100 साल के क्षत्रिय का पिता बताया गया है। उन्होंने कहा कि हिंदूओं में कथित नीत जाति और औरतों को पढ़ने नहीं दिया गया। अगर सभी हिंदू एक होते तो भारत गुलाम नहीं होता। मालूम हो कि मौर्य मानव विवाद के दौरान भी ब्राह्मणों और मनुस्मृति को लेकर गंभीर टिप्पणियां कर चुके हैं, जिसे लेकर संत-समाज उनके खिलाफ हो गया था। इसके खिलाफ जगह-जगह सवर्ण समुदाय के लोगों ने भी प्रदर्शन किया था।

किसके इशारे पर बोल रहे हैं स्वामी ?

भारतीय जनता पार्टी और हिंदुत्व के खिलाफ आक्रमक बयानबाजी कर रहे स्वामी प्रसाद मौर्य योगी सरकार के पहले कार्यकाल में एक कद्दावर मंत्री रहे हैं। बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले उन्हें बसपा से बीजेपी में लाया था। यहां न केवल उन्हें मंत्री बनाया गया बल्कि उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य को लोकसभा सांसद बनने का मौका भी दिया गया। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से ऐन पहले उन्होंने भगवा खेमे को छोड़कर साइकिल की सवारी शुरू कर दी। सपा के खेमे आते ही उन्होंने अपने पुराने ठिकाने को हिंदुत्व और राम मंदिर जैसे मुद्दे को लेकर घेरना शुरू कर दिया।

रामचरितमानस पर अपमानजनक टिप्पणी ने बाहर का सियासी तापमान तो गरमाया ही, सपा के अंदर भी भूचाल आ गया। पार्टी के सवर्ण नेताओं ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों का तीखा विरोध किया। यहां तक के शिवपाल यादव ने उनके बयानों से किनारा कर लिया। लेकिन इस मामले में मौर्य पर कार्रवाई तो दूर सपा के सवर्ण नेताओं को ही चूप करा दिया गया और कुछ को बयानबाजी के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य को राष्ट्रीय महासचिव बनाकर शिवपाल और आजम खान जैसे कद्दावर नेताओं की पंक्ति में ला खड़ा कर दिया।

इन सब कदमों से साफ हो गया कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को बीजेपी के साथ हिंदुत्व के नाम पर गईं पिछड़ी और दलित जातियों को सपा के साथ जोड़ने का काम सौंपा है। अखिलेश यादव खुद ऐसी टिप्पणियों और बयानों से परहेज कर रहे हैं, जिससे उनकी छवि जाति विशेष के लोगों के खिलाफ बने। जैसा कि आमतौर पर यूपी में सपा और बिहार में लालू की पार्टी राजद की एक छवि रही है। ये काम उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के कंधे पर डाला है। ऐसे में अगले आम चुनाव तक मौर्य अपने सियासी आका के उम्मीदों पर कितना खड़े हो पाते हैं, देखना दिलचस्प होगा।



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