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Sanjeev Jeeva Murder: बनना चाहता था डॉक्टर, हालात ने बना दिया कंपाउंडर, मालिक ने सौंपा ऐसा काम, फिर बन गया बड़ा 'डॉन'

Sanjeev Jeeva Murder Case: एक दिन ऐसा आया जिसने संजीव माहेश्वरी की पूरी जिन्दगी बदल दी, और वो अब बन गया संजीव उर्फ जीवा उर्फ डॉक्टर। वो कंपाउंडर गया तो था अपने मालिक के लिए पैसों की वसूली करने लेकिन जब वह वापस आया जो वह अपने नसीब की नई इबारत लिख चुका था।

Ashish Pandey
Published on: 7 Jun 2023 6:22 PM GMT (Updated on: 7 Jun 2023 10:24 PM GMT)
Sanjeev Jeeva Murder: बनना चाहता था डॉक्टर, हालात ने बना दिया कंपाउंडर, मालिक ने सौंपा ऐसा काम, फिर बन गया बड़ा डॉन
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Sanjeev Jeeva Murder Case (Photo- Social Media)

Sanjeev Jeeva Murder Case: राजधानी लखनऊ में बुधवार को भरी अदालत में माफिया संजीव जीवा को पेशी के दौरान एक युवक ने गोली मार कर हत्या कर दी। संजीव जीवा एक दुर्दांत अपराधी थी। अपराध जगत में यह ऐसा नाम था जिसने कई हत्याओं को अंजाम दिया था। जानिए कौन था संजीव जीवा...कक्षा में हर सवाल का जवाब होता था उसके पास, पढ़ने में वह अव्वल था, उसके टैलेंट की अध्यापक और छात्र भी तारीफ करते थे। उसका सपना था कि वह डाक्टर बने, लेकिन उसके परिवार के की माली हालत ऐसी नहीं थी कि वो उसे पढ़ा सकें। इस तरह वह अपने सपने कुर्बान कर दिया और जिंदगी गुजारने के लिए वो एक झोलाछाप डॉक्टर के यहां कंपाउंडर की नौकरी करने लगा। यहां हम बात कर रहे हैं माफिया संजीव माहेश्वरी का, जिसको लोग संजीव जीवा के नाम से जानते थे। संजीव यूपी के शामली जिले के नगर कोतवाली क्षेत्र के गांव आदमपुर का रहने वाला था। संजीव रोजाना सुबह 10 बजे शंकर दवाखाना पहुंचता, दवाएं पीसता और दवाओं की पुड़िया बनाकर मरीजों को देना उसकी रोजमर्रा की जिंदगी का एक हिस्सा बन गया था। एक दिन ऐसा आया जिसने संजीव माहेश्वरी की पूरी जिन्दगी बदल दी, और वो अब बन गया संजीव उर्फ जीवा उर्फ डॉक्टर। वो कंपाउंडर गया तो था अपने मालिक के लिए पैसों की वसूली करने लेकिन जब वह वापस आया जो वह अपने नसीब की नई इबारत लिख चुका था।

देखें संजीव जीवा का मर्डर वीडियो (Sanjeev Jeeva Murder in Lucknow)

वसूली करने गया वापस आया तो कुख्यात अपराधी बनकर

संजीव हर रोज की तरह उस दिन भी शंकर दवाखाना पहुंच गया। वहां मरीजों का आना शुरू हो गया था, लेकिन उस दिन संजीव के डॉक्टर मालिक ने अपने कंपाउन्डर को दवा पीसने की जगह एक दूसरा काम सौंप दिया। संजीव को डॉक्टर ने बताया कि एक व्यक्ति ने उससे उधार लिया था लेकिन वापस नहीं कर रहा है। डाक्टर ने उसे पैसे वसूल कर लाने को कहा। फिर क्या था संजीव गया और जब लौटा तो खाली हाथ नहीं पूरे पैसे वसूल कर लाया और डॉक्टर के हाथ पर रख दिये। इस एक घटना ने संजीव का हौसला बढ़ा दिया और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक नए अपराधी का जन्म हुआ।

चल दिया जुर्म के रास्ते पर, अपने ही डॉक्टर मालिक को किया अगवा

संजीव के सपने दवा की पुड़िया बनाने तक सीमित नहीं रह गए थे। अब उसको कंपाउंडर से जरायम की दुनिया का डॉक्टर बनना था। एक झटके में वसूली करने का गुण सीखने वाले कंपाउंडर संजीव ने जुर्म के रास्ते पर अपना पहला कदम उस डॉक्टर पर चोट करके रखा जिसने उसे इस रास्ते पर पहला कदम रखवाया था। संजीव का साहस अब बढ़ गया था उसने अपने ही डॉक्टर मालिक को अगवा कर लिया और फिरौती के लिए बड़ी रकम ली उसके बाद उसे छोड़ा। इस घटना के बाद संजीव ने अपहरण की गुर भी सीख लिया। संजीव में 1992 में बड़ा हाथ मारते हुए कोलकाता के एक बड़े व्यापारी के बेटे का अपहरण कर लिया और ऐसी फिरौती मांगी की न केवल यूपी और कोलकता बल्कि पूरे देश में सनसनी मच गई।

व्यापारी से बेटे को छोड़ने के बदले में संजीव ने दो करोड़ की मांग रखी थी। फिर क्या था ये खबर आग की तरह शामली से निकल कर उस मुजफ्फरनगर तक पहुंच गयी जहां केवल गन्ने की नहीं बल्कि असलहों की भी खेती हुआ करती थी। संजीव की यह कहानी जब मुजफ्फरनगर के हाईप्रोफाइल क्रिमिनल रवि प्रकाश तक पहुंची तो उसने संजीव को अपना शागिर्द बना लिया। संजीव को पहली बार शातिर डॉन का साथ मिला और उसका ग्राफ तेजी से बढ़ने लगा। रवि के संपर्क में आने के बाद जीवा जुर्म की दुनिया के नए नए हथकंडे सीखता गया। अपराध के दांव पेंच सिखते जा रहे संजीव ने हरिद्वार के नाजिम गैंग का साथ पकड़ा। उसके बाद वो सतेंद्र बरनाला नाम के एक गैंगस्टर के लिए काम करने लगा। अब संजीव दूसरों के लिए काम नहीं करना चाहता था वह बड़ी छलांग लगाने के मूड में था, इसलिए उसने अब अपना गैंग बना लिया। रवि प्रकाश, जितेंद्र उर्फ भूरी और रमेश ठाकुर जैसे खूंखार अपराधी उसके गैंग में जुड़ गए।

मायावती के रक्षक का बना भक्षक

90 के दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिमी यूपी तक मुख्तार अंसारी, ब्रजेश सिंह, मुन्ना बजरंगी, बदन सिंघ बद्दो और भोला जाट जैसे माफियायों का दबदबा हुआ करता था। उस समय संजीव जीवा अपने छोटे से गैंग को चलाकर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचना चाह रहा था। अब जीवा के मन में पूरे यूपी में अपना परचम लहराने का था। जीवा ने इसके लिए ऐसा काम कर दिया जो बड़े-बड़े अपराधी सोच भी नहीं सकते थे, उसने वह कर दिया जिससे पूरे उत्तर प्रदेश में भूचाल आ गया। संजीव जीवा ने उस बीजेपी नेता की हत्या कर दी जिसने कभी पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की जान बचाई थी। तारीख 10 फरवरी 1997, बीजेपी के उभरते हुए नेता और विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी फर्रुखाबाद के शहर कोतवाली स्थित अपने घर से कुछ दूरी पर एक तिलक समारोह में गए थे।

लौटते समय ब्रह्मदत्त जैसे ही अपनी गाड़ी में बैठने लगे तभी संजीव ने अपने साथियों रमेश ठाकुर और बलविंदर सिंह के साथ मिलकर उन पर अंधाधुंध फायरिंग कर उनकी हत्या कर दी। इस हमले में ब्रह्मदत्त द्विवेदी के गनर बीके तिवारी की मौत हो गई। हत्याकांड में सपा विधायक विजय सिंह का नाम सामने आया। जिन ब्रह्मदत्त की हत्या संजीव जीवा ने की थी उनके सियासी कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी अंतिम यात्रा में अटल बिहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेता शामिल हुए थे। यह भी कहा जाता है कि संजीव ने जिन ब्रहम्मदत्त की हत्या की थी उन्होंने गेस्टहाउस कांड के दौरान मायावती की जान बचाई थी। जून 1995 में गेस्ट हाउस कांड के समय मायावती कमरा नंबर 1 में बंद थीं, मायावती ने गेस्ट हाउस के कमरे से मदद के लिए कई लोगों को फोन लगाया, लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की, तब संकटमोचन बन कर ब्रह्मदत्त गेस्टहाउस पहुंचे और पुलिस के पहुँचने तक मायावती के कमरे के बाहर मोर्चा संभाले रहे। इसके बाद से मायावती उन्हें अपना भाई मानती रहीं।

फिर हर माफिया की नजर में छा गया

ब्रह्मदत्त द्विवेदी की हत्या के बाद संजीव हर माफिया की नजरों में छा चुका था। मुख्तार हो या ब्रजेश सिंह सभी की चाहत संजीव जीवा को अपने गैंग में शामिल करने की होने लगी थी, लेकिन जीवा का एक रोल मॉडल था वह था मुन्ना बजरंगी यह वोे मुन्ना बजरंगी था जिसके आतंक से पूरा पूर्वांचल कांपता था। संजीव जीवा मुख्तार अंसारी के सबसे भरोसेमंद शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी के साथ जुड़ गया और उसका अपराध जगत का बेताज बादशाह बनने का सपना पूरा होने के करीब पहुंच गया। संजीव मुन्ना के इशारे पर एक के बाद एक हत्या की वारदातों को अंजाम देने लगा। संजीव अब माफिया मुख्तार अंसारी के खास शूटर्स में शुमार हो चुका था।

कृष्णानंद राय के सीने में दागी 400 गोलियां

बात साल 2005 की, उत्तर प्रदेश में एक ऐसी घटना को अंजाम दिया गया जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। 25 नवंबर 2005 को गाजीपुर के मोहम्मदाबाद इलाके में बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन कर वापस लौट रहे थे तभी सामने से एक गाड़ी उनकी गाड़ी के सामने रुकती है। गाड़ी से 8 लोग नीचे उतरते हैं और एके-47 से गोलियों की बौछार कर देते हैं। विधायक कृष्णानंद राय के शरीर का शायद ही ऐसा अंग रहा हो जहां गोलियां न लगी हों। कहा जाता है कि कृष्णानंद राय को मारने के लिए 400 राउंड गोलियां चलाई गई थीं। इस शूटआउट में कृष्णानंद समेत 7 लोगो की मौत हुई थी। इस नृशंस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी और संजीव जीवा का नाम सामने आया।

और जेल को बना लिया ऐशगाह

कृष्णनंद राय की हत्या के बाद संजीव जीवा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। यूपी पुलिस और आम लोगों को लगा कि अब उत्तर प्रदेश में गोलियों की तड़तड़ाहट खत्म हो जाएगी, लेकिन संजीव ने जेल को अपनी ऐशगाह बना लिया था। बाराबंकी जेल में बंद जीवा का बाकायदा दरबार लगता था। जेल से ही संजीव लोगों की सुपारी लेता और अपने शूटर से उनकी हत्या करवाता था। साल 2013 में संजीव बाराबंकी की जेल में बंद था। संजीव बैरक में कम जेल अस्पताल में ज्यादा रहा। यही नहीं उसके दरबार में रोज दर्जनों लोग उससे मिलने आते थे। बताया जाता था कि वो व्यापारियों से रंगदारी मांगने के लिए उन्हें जेल बुलाया करता था।

गलती से करवाई कंबल व्यापारी की हत्या

2017 में हरिद्वार के कंबल व्यवसायी अभिषेक दीक्षित की घर से दुकान जाते समय तीन बदमाशों ने गोली मार कर हत्या कर दी। इस हत्याकांड के तार संजीव जीवा से जाकर जुड़े। इस सनसनीखेज हत्याकांड ने यूपी और उत्तराखंड में हड़कंप मचा दिया। व्यापारी की हत्या करने वाले शूटर की गिरफ्तारी हुई तो पता चला कि इस हत्याकांड को संजीव के कहने पर अंजाम दिया गया था। यही नहीं जिस अभिषेक दीक्षित की हत्या की गई थी वो भी गलती से हो गयी थी। टार्गेट कोई और था लेकिन हत्या किसी और की हो गई। दरअसल, 6 मार्च 2017 को रोज की तरह शाम को निर्मला छावनी हरिद्वार के रहने वाले कंबल व्यापारी अमित दीक्षित घर से दुकान जा रहे थे। तभी शूटर मुजाहिद उर्फ खान, शूटर शाहरुख उर्फ पठान और विवेक ठाकुर उर्फ विक्की ने अभिषेक के ऊपर गोलियों की बारिश कर दी। जिसमें अभिषेक दीक्षित की मौके पर ही मौत हो गयी। इस हत्याकांड ने उत्तराखंड और यूपी में तहलका मचा दिया।

मुन्ना की हत्या के बाद डर गया था

आखिरकार संजीव जीवा पुलिस के हत्थे चढ़ गया। कोर्ट ने बीजेपी विधायक ब्रह्मदत्त की हत्या के लिए उसे आजीवन कैद की सजा सुनाई है। फिलहाल संजीव जीवा लखनऊ सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। मुन्ना बजंरगी की बागपत जेल में हत्या होने के बाद दूसरों को अपनी दहशत से डराने वाला संजीव जीवा खुद डरने लगा था। कोर्ट में उसकी पत्नी ने जीवा की सुरक्षा के लिए गुहार भी लगाई थी। संजीव जीवा की शामली में 21 बीघा जमीन प्रशासन ने कब्जे में ले ली। संजीव के साथ काम करने वाले उसके सभी साथी आज या तो जेल में हैं या मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं या मर चुके हैं। संजीव जीवा को बुधवार को लखनऊ में कोर्ट में पेशी के दौरान गोली मार कर हत्या कर दी।

Ashish Pandey

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