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चिलचिलाती धूप, कठिन रोजा और प्रवासी श्रमिकों की खिदमत
यह लोग बाराबंकी की सीमा पर खड़े होकर वहां से निकलने वाले हर प्रवासी मजदूरों को भोजन - पानी उपलब्ध करा रहे हैं | पहले यह लोग कस्बों में इकठ्ठा होकर लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहे थे अब यह जिले की सीमा से होकर निकलने वाले मजदूरों को भोजन - पानी उपलब्ध करा रहे हैं |
बाराबंकी: एक तरफ रमजान का कठिन रोजा ऊपर से चिलचिलाती धूप में प्रवासी मजदूरों की खिदमत करते इन रोजेदारों का काम किसी तपस्या से कम नहीं है | यह लोग बाराबंकी की सीमा पर खड़े होकर वहां से निकलने वाले हर प्रवासी मजदूरों को भोजन - पानी उपलब्ध करा रहे हैं | पहले यह लोग कस्बों में इकठ्ठा होकर लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहे थे अब यह जिले की सीमा से होकर निकलने वाले मजदूरों को भोजन - पानी उपलब्ध करा रहे हैं |
मजदूरों के भूँख की चिंता में चिलचिलाती धूप में खड़े हैं
बाराबंकी-लखनऊ की सीमा पर खड़े यह नौजवान पवित्र रमज़ान के रोजेदार है और यहाँ से होकर गुजरने वाले प्रवासी श्रमिकों को भोजन और पानी उपलब्ध करा रहे हैं | इन्हे अपनी चिंता नहीं है बल्कि प्रवासी मजदूरों के भूँख की चिंता में चिलचिलाती धूप में खड़े हैं | इन युवाओं में कुछ समाजसेवी हैं और कुछ लोग राजनैतिक दल से जुड़े हुए हैं और रमजान के रोजे की वजह से सभी खुद भूंखे हैं मगर इस समय इनका लक्ष्य केवल लोगों की भूँख को शांत करना है |
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नगर पंचायत बेलहरा के चेयरमैन प्रतिनिधि मोहम्मद अयाज ने बताया कि हम पहले इंसान हैं और बाद में हिन्दू मुसलमान हैं | हम लोग शाम को जब घर जाते हैं तो हमें इस बात का मानसिक संतोष होता है कि हमने कुछ अच्छा किया |
कोई भूंखा न रहने पाए
समाजवादी पार्टी के नेता के तौर पर इस काम में हाथ बंटा रहे मोहम्मद साफे जुबेरी ने बताया कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि कोई भूंखा न रहने पाए और हम लोग उन्ही के आदेश को ध्यान में रखकर यह भोजन - पानी का प्रबन्ध कर रहे हैं | रोजेदारों के लिए भी हम उनके रोजा खोलने का प्रबंध कर रहे हैं |
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