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सचिवालय में बड़ा खिलवाड़: सुरक्षा पर भारी चूक, लापरवाह अधिकारियों का कारनामा
विधानसभा सचिवालय भवन के गेट नंबर सात पर शनिवार को फर्जी प्रवेश पत्र के इस्तेमाल का मामला पकड़ा गया। सचिवालय के सुरक्षाकर्मियों ने एक एसयूवी पर वाहन पास को संदिग्ध मानकर जांच किया तो पता चला कि प्रवेश पास पर वाहन का जो नंबर दर्ज है वह वाहन पर दर्ज नहीं है।
अखिलेश तिवारी
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सचिवालय की सुरक्षा से बडा खिलवाड़ किया जा रहा है। शनिवार को दो वाहनों को अनधिकृत पास के जरिये सचिवालय में प्रवेश करते हुए पकडा गया। संविदा समीक्षा अधिकारी के नाम से पास लेकर घूम रहे युवक को सचिवालय सुरक्षा के अधिकारियों ने बाद में यह कहकर छोड़ दिया कि पास फर्जी नहीं है लेकिन सचिवालय के जानकारों के अनुसार संविदा समीक्षा अधिकारी का कोई पद ही प्रदेश सरकार में सृजित नहीं है।
विधानसभा सचिवालय में फर्जी प्रवेश पत्र का इस्तेमाल
विधानसभा सचिवालय भवन के गेट नंबर सात पर शनिवार को फर्जी प्रवेश पत्र के इस्तेमाल का मामला पकड़ा गया। सचिवालय के सुरक्षाकर्मियों ने एक एसयूवी पर वाहन पास को संदिग्ध मानकर जांच किया तो पता चला कि प्रवेश पास पर वाहन का जो नंबर दर्ज है वह वाहन पर दर्ज नहीं है। दिल्ली में रजिस्टर्ड इस टोयोटा फार्च्यूनर के साथ रोके गए युवक ने अपना नाम अभय प्रताप सिंह निवासी विनीत खंड गोमती नगर बताया है।
पास अजय कुमार सिंह ओएसडी के नाम से
सचिवालय कर्मियों ने पाया कि वाहन पास अजय कुमार सिंह ओएसडी के नाम से जारी किया गया है और वाहन का नंबर भी उस फार्च्यूनर का नहीं है जिस पर युवक सवार मिला है। पकडे गए युवक ने अपना पहचान पत्र दिखाया है जिस पर अभय प्रताप सिंह समीक्षा अधिकारी संविदा लिखा गया है। यह पास सितंबर महीने में जारी किया गया है और दिसंबर 2020 तक मान्य है।
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एक घंटे बाद पकडा गया दूसरा मामला
संविदा समीक्षा अधिकारी की गाडी जिस गेट नंबर सात पर पकड़ी गई है उसी गेट पर एक घंटे बाद ही दूसरी गाड़ी भी पकड़ी गई है। मुख्य भवन के सुरक्षाकर्मी अभय कुमार पाडेय ने ही दूसरा मामला भी पकड़ा है। पकड़ी गई दूसरी गाड़ी पर सचिवालय वाहन पास स्कैन करके इस्तेमाल किया जा रहा था। सुरक्षाकर्मियों ने दोनों ही मामलों की सूचना सचिवालय सुरक्षा अधिकारियों को दी है।
अधिकारियों ने किया मामला रफा-दफा
सचिवालय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ के मामलों के पकड में आने के बावजूद सुरक्षा अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। मुख्य सुरक्षा अधिकारी जिला जीत चौधरी ने बगैर मामले की एफआईआर कराए वाहन छोड़ दिया है। न्यूज ट्रैक संवाददाता के पूछने पर मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि संदेह के आधार पर सुरक्षाकर्मियों ने रोका था लेकिन यह फर्जी पास का मामला नहीं है। पकड़ा गया युवक सचिवालय में संविदा समीक्षा अधिकारी के पद पर तैनात है।
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पहले भी पकडे जाते रहे हैं फर्जी पास के मामले
सचिवालय सुरक्षा के साथ लंबे समय से खिलवाड़ होता रहा है। इससे पहले भी मुख्य सुरक्षा अधिकारी ने पूर्व विधायक के नाम का कूट रचित वाहन पास का मामला बगैर कार्रवाई किए छोड़ दिया था। शनिवार को जो मामला पकड़ा गया वह इस लिए भी बेहद अहम है कि गाड़ी नंबर और पास पर पड़ा नंबर भिन्न है और समीक्षा अधिकारी (संविदा) नाम का कोई पद नहीं है। गेट नंबर सात पर लगे सीसीटीवी रिकार्डिंग में घटना दर्ज हो चुकी है। इसके बावजूद मामले को रफा-दफा करने में संकोच नहीं किया गया।
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यह हाल तब है जबकि सचिवालय का फर्जी प्रवेश पास बनवाकर वाहनों के प्रवेश करने के कई मामले पकड़े जा चुके हैं। पशुपालन टेंडर घोटाले में तो फर्जीवाड़ा करने वालों ने सचिवालय में कार्यालय भी बना रखा था जबकि पिछले दिनों गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर की हत्या मामले में भी सचिवालय प्रवेश के फर्जी पास का मामला सामने आया है। सचिवालय समेत विभिन्न विभागों में नौकरी दिलाने का गैंग संचालित करने वालों के पास भी सचिवालय के वाहन पास पाए गए थे।
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