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शबनम का बेखौफ आशिक: मौत से नहीं लगता डर, यहां इतनी जल्दी नहीं होती फांसी

प्रेमिका शबनम के कहने पर उसके परिवार को मौत के घाट उतारने वाले सलीम को भले ही फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है, पर उसपर मौत का खौफ बिल्कुल नजर नहीं आ रहा है।

raghvendra
Published on: 4 March 2021 8:55 AM GMT
शबनम का बेखौफ आशिक: मौत से नहीं लगता डर, यहां इतनी जल्दी नहीं होती फांसी
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प्रयागराज। प्रेमिका शबनम के कहने पर उसके परिवार को मौत के घाट उतारने वाले सलीम को भले ही फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है, पर उसपर मौत का खौफ बिल्कुल नजर नहीं आ रहा है। प्यार में परवान चढ़े सलीम और शबनम ने वर्ष 2008 में छह लोगों की हत्या कर दी थी और तभी से दोनों जेल में बंद हैं। लेकिन हैरत की बात यह है कि हत्यारे सलीम को जेल में किसी बात की चिंता नहीं है। वह कहता है कि किस बात की चिंता, इस देश में इतनी जल्दी फांसी नहीं दी जाती। अभी ऐसा होने में कई वर्ष लग जाएंगे। क्योंकि इससे बचने के हमारे पास अभी कई विकल्प बचे हैं। बताते चलें कि प्रेमिका शबनम के कहने पर सलीम ने उसके मां—बाप, भाई—बहन और भतीजे की हत्या कर दी थी।

इतना आसान नहीं है फांसी

खबरों की मानें तो अपने साथ रह रहे बंदियों से सलीम कहता है कि यहां फांसी मिलना इतना आसान नहीं है। कहा जा रहा है कि वर्ष 2020 के नवंबर में सलीम को अपनी दया याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए उसे नैनी जेल से ऑफिस लाया गया था। इस दौरान उससे एक जेल अधिकारी ने कहा कि अब तो तुम फांसी के करीब पहुंच चुके हो, तो उसने कहा था— साहब यहां फांसी होना इतना आसान नहीं है। इससे बचने के कई रास्ते मौजूद है। फांसी होने में वर्षों गुजर जाएंगे। साथ ही उसने मजे लेते हुए कहा कि साहब आप परेशान न हों, अभी ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है।

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शायरियां लिखता है सलीम

खबरों की मानें तो जब राषट्रपति रामनाथ कोविंद ने उसकी प्रेमिका शबनम की दया याचिका खारिज की थी, तब सलीम परेशान हो गया था। लेकिन बाद में फांसी की तारीख आगे बढ़ते ही वह उछल पड़ा। बताया जा रहा है वह जेल में शायरियां लिखता रहता है।

गौरतलब है कि सलीम और शबनम एक—दूसरे को काफी पसंद करते थे और शादी करना चाहते थे। लेकिन शबनम के घरवाले इस शादी के खिलाफ थे। इस दौरान शबनम गर्भवती हो गई, जिस पर प्यार में नाकाम होता देख शबनम ने अपने प्रेमी के साथ परिवार की हत्या का षडयंत्र रच डाला। शबनम के कहने पर सलीम ने मिलकर उसके पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया था।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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