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मानवता शर्मसार: जिंदा जली 10 साल की मासूम, शव पहुचाने से भागा स्वास्थ्य विभाग

शाहजहांपुर के थाना जलालाबाद के गुनारा गांव निवासी शमीम अपनी पत्नी और 2 बच्चों के साथ झोपड़ी में रहते हैं। शमीम मेनहत मजदूरी करके परिवार का पेट पालते हैं। उनके घर में बिजली का कनेक्शन भी नही है। बीती रात अचानक झोपड़ी में आग लग गई।

Vidushi Mishra
Published on: 24 Feb 2021 10:47 AM GMT
मानवता शर्मसार: जिंदा जली 10 साल की मासूम, शव पहुचाने से भागा स्वास्थ्य विभाग
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10 साल की बच्ची अपने परिवार के साथ घर में सो रही थी। झोपड़ी में अचानक आग लगी और मां बाप घर के बाहर भागे, लेकिन 10 साल की बच्ची को भूल गए।

शाहजहांपुर। 10 साल की बच्ची अपने परिवार के साथ घर में सो रही थी। झोपड़ी में अचानक आग लगी और मां बाप घर के बाहर भागे, लेकिन 10 साल की बच्ची को भूल गए। झोपड़ी खाक होने के बाद बच्ची की याद आई, लेकिन तब तक बच्ची पूरी तरह से जल चुकी थी। गरीब परिवार की बच्ची का शव घर तक पहुचाने के लिए स्वास्थ विभाग के पास वाहन नही है। जबकि शवों को पहुचाने के लिए जिला अस्पताल में 2 वाहन खड़े रहते हैं, लेकिन सीएमओ ने जिम्मेदारी अस्पताल के सीएमएस पर डाल दी और सीएमएस फोन नही उठा रहे हैं।

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आग की चपेट में परिवार

थाना जलालाबाद के गुनारा गांव निवासी शमीम अपनी पत्नी और 2 बच्चों के साथ झोपड़ी में रहते हैं। शमीम मेनहत मजदूरी करके परिवार का पेट पालते हैं। आर्थिक स्थित से बेहद कमजोर शमीम के घर में बिजली का कनेक्शन भी नही है। बीती रात शमीम अपने परिवार के साथ झोपड़ी में सो रहे थे। अचानक झोपड़ी में आग लग गई।

आग लगने के बाद शमीम अपनी पत्नी और 3 बच्चों को झोपड़ी के बाहर ले आए, लेकिन वह अपनी 10 साल की बेटी रायना को झोपड़ी के अंदर भूल गए। लेकिन कुछ ही मिनट में झोपड़ी जलकर खाक हो गई और उसके बाद बेटी की याद आई और जब बेटी को ढूंढा तो, बेटी बिस्तर में जली लिपटी थी।

आग लगने से शमीम की झोपड़ी के आसपास लगभग पांच झोपड़ी और भी जल गई थीं। पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने रात में ही मौके पर पहुचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। उस वक्त भी बच्ची का शव टैम्पू से पोस्टमार्टम हाउस तक लाया गया था।

girl dead फोटो-सोशल मीडिया

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बात करने का कहकर पल्ला झाड़ लिया

आज पोस्टमार्टम होने के बाद शव को घर तक ले जाना था, लेकिन परिवार के पास गाड़ी भी नही थी और न ही पैसे थे। मृतक बच्ची का घर मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। ऐसे में पड़ोसी गांव के रहने वाले जनपद रत्न से सम्मानित हो चुके वकार खान ने परिवार की मजबूरी को बेहद करीब से समझा और अपनी कार लेकर पोस्टमार्टम हाउस पहुच गए।

वकार खान का कहना है कि, उन्होंने सीएमओ से बच्ची का शव घर तक पहुचाने के लिए शव वाहन या एंबुलेंस देने की गुहार लगाई थी, लेकिन उन्होंने सीएमएस से बात करने का कहकर पल्ला झाड़ लिया था।

जब सीएमएस से बात की तो, उन्होंने कहा था कि, शव वाहन लावारिस लाशों के लिए है। आरोप है कि, सीएमएस ने कहा था कि, अगर कोई गाड़ी बच्ची के घर की तरफ जाएगी तो, शव को पहुचवा दिया जाएगा। और अगर कोई गाड़ी नही गई तो, कोई व्यवस्था नही है।

सीएमओ एसपी गौतम ने बताया कि, पोस्टमार्टम हाउस पर आने के बाद पुलिस की जिम्मेदारी होती है, और वाहन देने के लिए सीएमएस से बात करना होगी। वहीं सीएमएस से बात करने की कोशिश की तो, उनका फोन नही उठा।

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रिपोर्ट- आसिफ अली

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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