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नीति आयोग की रिपोर्ट पर UP के स्वास्थ्य मंत्री की सफाई, इनको बताया दोषी

नीति आयोग की जारी रिपोर्ट में यूपी की स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा संबंधी खबर पर उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने आज कहा कि नीति आयोग के द्वारा उप्र. के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जो आकड़े प्रस्तुत किये गये है वह वर्ष 2017-18 के हैं।

Dharmendra kumar
Published on: 26 Jun 2019 9:38 PM IST
नीति आयोग की रिपोर्ट पर UP के स्वास्थ्य मंत्री की सफाई, इनको बताया दोषी
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लखनऊ: नीति आयोग की जारी रिपोर्ट में यूपी की स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा संबंधी खबर पर उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने आज कहा कि नीति आयोग के द्वारा उप्र. के स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जो आकड़े प्रस्तुत किये गये है वह वर्ष 2017-18 के हैं, जबकि प्रदेश में भाजपा की सरकार वर्ष 2017 में बनी थी।

उन्होंने कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार को उस समय ज्यादातर व्यवस्थायें विरासत के रूप मंे मिली थीं। स्वास्थ्य मंत्री ने बुधवार को कहा कि यूपी में भाजपा सरकार के गठन के बाद स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए वर्ष 2017 में अधिकारियों के स्थानान्तरण किये गये थे। इसीलिए नीति आयोग की रिपोर्ट में अधिकारियों की निरन्तरता के बिन्दु पर उप्र. को कम अंक प्राप्त हुए हैं। वर्तमान सरकार द्वारा कई नई व्यवस्थायें लागू की गयीं हैं, जिनके अब बेहतर परिणाम दिख रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट में आरएनटीसीपी कार्यक्रम में वर्ष 2015-16 की तुलना में गिरावट काफी अधिक पायी गयी है। इस बारे में उन्होंने साफ किया कि तत्कालीन राज्य क्षय रोग अधिकारी ने कार्यक्रम में लापरवाही की और इसीलिए उसे वर्ष 2018 में ही पद से हटा दिया गया था। मंत्री ने कहा कि इसके बाद स ेअब इस कार्यक्रम में लगातार सुधार हो रहा है। वर्ष 2018-19 के आकंड़ों में क्षय रोग नियंत्रण में यूपी का प्रतिशत 82 हो गया है।

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स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जन्म पंजीकरण, एएनसी पंजीकरण जैसी सुविधाओं के आकंड़े मुख्यतः पोर्टल पर उपलब्ध आकड़ों पर आधारित है, जिसमें सुधार का प्रयास लगातार जारी हैं और अब इन आॅकड़ों की जिला व राज्य स्तर पर मासिक समीक्षा होगी। उन्होंने कहा कि इस मामले में 15 जिलों के अधिकारियों के तबादले की कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने बताया कि केवल कमी ही नहीं नीति आयोग की इस रिपोर्ट में प्रदेश द्वारा 14 महत्वपूर्ण मानकों में प्रगति भी दिखायी गयी है।

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राज्य में ईएचआरएमएस (मानव सम्पदा) को सफलतापूर्वक लागू करते हुये करीब एक लाख 30 हजार स्वास्थ्य कर्मियों का डाटा फीड किया गया है। प्रथम संदर्भन इकाई (एफआरयू) में भी यूपी ने अच्छी प्रगति की है। लक्ष्य कार्यक्रम के माध्यम से मातृ स्वास्थ्य व शिशु स्वास्थ्य से सम्बन्धित मानकों में अपेक्षित सुधार लाने के लिए लेबररूम तथा ओटी का आधुनिकीकरण किया गया है।

राज्य सरकार द्वारा महत्वाकांक्षी जनपदों तथा अन्य जनपदों में रिक्त पदों को भरने हेतु विशेष प्रयास किये हैं, जिसमें वाक-इन-इण्टरव्यू तथा बिड माडल के द्वारा चिकित्सकों की नियुक्ति शामिल है। जहां-जहां एएनएम की रिक्तियां थीं, वहां-वहां संविदा से इन पदों को भरा गया है। नीति आयोग से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार रिक्तियों की संख्या कम हुई है।



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