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Sonbhadra News: अनाधिकृत कोल डिपो पर अधिकारियों की तय हो सकती है जवाबदेही, एनजीटी के निर्देश के बाद भी नहीं लिया एक्शन

Sonbhadra News: एक तरफ जहां मिलावटी कोयले के कारोबार का मामला गरमाया हुआ है। वहीं, सलईबनवा में अनाधिकृत तरीके से कोल डिपो के मामले को लेकर भी बड़ा खुलासा सामने आया है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 27 Aug 2023 11:26 PM IST
Sonbhadra News: अनाधिकृत कोल डिपो पर अधिकारियों की तय हो सकती है जवाबदेही, एनजीटी के निर्देश के बाद भी नहीं लिया एक्शन
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अनाधिकृत कोल डिपो पर अधिकारियों की तय हो सकती है जवाबदेही: Photo-Newstrack

Sonbhadra News: एक तरफ जहां मिलावटी कोयले के कारोबार का मामला गरमाया हुआ है। वहीं, सलईबनवा में अनाधिकृत तरीके से कोल डिपो के मामले को लेकर भी बड़ा खुलासा सामने आया है। बताया जा रहा है कि एनजीटी की तरफ से मई माह में इसको लेकर रेलवे विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कार्रवाई के निर्देश तो दिए ही गए थे, दो माह के भीतर रिपोर्ट मांगी गई थी। बावजूद अब तक न तो कोई कार्रवाई सामने आई, न ही एनजीटी के यहां कोई रिपोर्ट भेजी गई।

सलईबनवा स्टेशन पर बड़ी मात्रा में अवैज्ञानिक तरीके से कोयले का भंडारण

अब जब सलईबनवा रेलवे साइडिंग पर मिलावटी कोयले के कारोबार के साथ ही अनाधिकृत कोल डंपिंग का भी मामला सामने आया है तो इसको लेकर कार्रवाई की आवाज उठाने लगी है। बताते चलें कि सलईबनवा रेलवे स्टेशन के पास प्राकृतिक नालों का बहाव बनाए रखने के लिए एक याचिका एनजीटी में दाखिल की थी। याचिकाककर्ता की तरफ से यहां सीमेंट फैक्ट्री का निर्माण कर रही कंपनी पर प्राकृतिक जल निकासी को अवरूद्ध करने का आरोप लगाया था। इसको देखते हुए एनजीटी ने संयुक्त समिति गठित कर रिपोर्ट तलब की। इस समिति की तरफ से दाखिल की गई रिपोर्ट में बताया गया कि सलईबनवा स्टेशन पर बड़ी मात्रा में अवैज्ञानिक तरीके से कोयले का भंडारण किया गया है। रेलवे साइडिंग क्षेत्र के पास लगे कोयले के ढेर के बारे में स्टेशन अधीक्षक के पास भी इससे संबंधित कोई रिकार्ड नहीं पाया गया, न ही डंप किए गए कोयले के बारे में किसी स्वामित्व की जानकारी मिली। इस डंपिंग से बारिश के समय प्राकृतिक नालों का प्रवाह औीर पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित होने की बात कही गई।

जल अधिनियम के प्रावधानों के तहत पर्यावरण मानदंडों का सीधा उल्लंघन

रिपोर्ट के क्रम में गत 17 मई को एनजीटी की मुख्य पीठ ने मामले की सुनवाई की और निर्देशित किया कि रेलवे साइडिंग के पास अवैज्ञानिक तरीके से और बगैर किसी स्वामित्व के किए गए कोयला भंडारण को साफ करने के लिए रेलवे प्राधिकारी कार्रवाई करें। पीठ ने कहा कि यह रिपोर्ट रेलवे साइडिंग पर पर्यावरण मानकों के उल्लंघन को दर्शाती है। नाले के प्रवाह को बाधित करने वाले कोयले की डंपिंग जल अधिनियम के प्रावधानों के तहत पर्यावरण मानदंडों का सीधा उल्लंघन है। इसके उल्लंघनों को रोकने और उनका समाधान करने के लिए रेलवे जिम्मेदार हैं। राज्य पीसीबी भी इस पर एक्शन ले सकता है। निर्देश दिया गया कि मामले में रेलवे प्रशासन के खिलाफ आगे की कार्रवाई करें और दो महीने के भीतर आदेश के अनुपालन का हलफनामा दाखिल करें। निर्देश में कहा गया कि रेल प्रशासन भी इस ट्रिब्यूनल के समक्ष अपना जवाब दाखिल करने के लिए स्वतंत्र होगा। राज्य पीसीबी को भी इस मामले में रेलवे प्रशासन को निर्देश जारी करने एवं आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए। साथ ही, निर्देश की प्रति यूपीपीसीबी के साथ पूर्व मध्य रेलवे के जीएम को भेजी गई। बावजूद अब तक जहां इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं आई है।

एनजीटी के संज्ञान में लाया जाएगा मामला

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिषेक चौबे का कहना है कि इन सारे तथ्यों को एनजीटी में आगे चलकर सुनवाई के दौरान रखा जाएगा। साथ ही उन्होंने कोयले के मिलावट में शामिल लोगों के खिलाफ पीएमएलए एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग की। कहा कि कोल भंडारण का यह मामला आर्थिक अपराध से जुड़ा हुआ है। इसलिए कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।



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Kaushlendra Pandey

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