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Sonbhadra News: रामगुलाम हत्याकांड के दोषी को उम्रकैद, खेत में गाय जाने पर लाठी-डंटे से पीटकर ले ली थी जान

Sonbhadra News: इस मामले में सगे भाई हत्या के आरोपी थे लेकिन एक की विचारण के दौरान मौत हो गई। वहीं दूसरे भाई को पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलों के आधार पर दोषी पाया गया।

Kaushlendra Pandey
Published on: 16 May 2023 1:36 AM IST
Sonbhadra News: रामगुलाम हत्याकांड के दोषी को उम्रकैद, खेत में गाय जाने पर लाठी-डंटे से पीटकर ले ली थी जान
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Court sentenced life imprisonment to Ramgoolam murder case (Photo-Social Media)

Sonbhadra News: महज खेत में गाय जाने की बात पर लाठी-डंडे से पीटकर की गई हत्या के मामले में दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। इस मामले में सगे भाई हत्या के आरोपी थे लेकिन एक की विचारण के दौरान मौत हो गई। वहीं दूसरे भाई को पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और अधिवक्ताओं की तरफ से पेश की गई दलीलों के आधार पर दोषी पाया गया। 13 वर्ष पूर्व के इस हत्याकांड की सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम खलीकुज्जमा की अदालत ने सुनवाई की। दोषसिद्ध पाकर दोषी जियाउल हक को उम्रकैद और 24 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड अदा न करने पर छह माह की अतिरिक्त कैद भुगतने के लिए कहा। जेल में बिताई गई अवधि सजा में समाहित की जाएगी।

पूरी घटना

अभियोजन कथानक के मुताबिक तत्कालीन चोपन थाना क्षेत्र (मौजूदा समय में अनपरा थाना क्षेत्र) के रणहोर गांव निवासी छोटेलाल पुत्र रामधानी ने गत 18 अप्रैल 2010 को चोपन थाने पहुंचकर एक तहरीर दी थी। उसके जरिए पुलिस को अवगत कराया था कि 17 अप्रैल 2010 की दोपहर साढ़े 12 बजे उसकी गाय पास के खेत-खलिहान में चली गई। इससे खफा होकर रणहोर गांव निवासी जियाउल हक और उसके भाई एनुल हक ने उसके लड़के अंबिका प्रसाद, चचेरे भाई श्यामनारायण, हरिनारायण, चाची भगवती देवी और चाचा रामगुलाम की लाठी डंडे से जमकर पिटाई कर दी। प्राणघातक चोट लगने की वजह से चाचा रामगुलाम की मौत हो गई। तहरीर के आधार पर सगे भाइयों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने प्रकरण विवेचना की गई। दोनों भाइयों के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने का दावा करते हुए चार्जशीट अदालत को प्रेषित कर दी गई, जहां चली सुनवाई और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर दोषसिद्ध पाया गया। चूंकि ऐनुल हक की दौरान विचारण की मौत हो गई थी। इसके कारण उसके खिलाफ सजा का निर्धारण नहीं हो सका। वहीं दूसरे भाई जियाउल हक को मामले में उम्रकैद के साथ ही 24 हजार अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अभियोजन पक्ष की तरफ से मामले की पैरवी अपर जिला शासकीय अधिवक्ता कुंवर वीर प्रताप सिंह ने की।



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