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Sonbhadra News: बस्ती से सटे बांस के बगीचे से उठी लपटें, घंटों रही अफरा-तफरी

Sonbhadra News: आग की लपटें इतनी भयावह थीं कि ग्रामीण भी देर तक आग बुझाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। दमकल दस्ता भी आग बुझाने को लेकर देर तक जूझता रहा।

Kaushlendra Pandey
Published on: 9 May 2023 9:06 PM GMT
Sonbhadra News: बस्ती से सटे बांस के बगीचे से उठी लपटें, घंटों रही अफरा-तफरी
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आग बुझाते स्थानीय लोग (Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: शाहगंज थाना क्षेत्र के खजूरी खुर्द गांव में सोमवार की दोपहर बाद बस्ती से सटे बांस के बगीचे में लगी भीषण आग देर शाम तक अफरा-तफरी मचाए रही। आग की लपटें इतनी भयावह थीं कि ग्रामीण भी देर तक आग बुझाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। दमकल दस्ता भी आग बुझाने को लेकर देर तक जूझता रहा। हवा के रुख को देखते हुए भी ग्रामीणों में बेचैनी की स्थिति बनी रही। शाम को जाकर आग पर पूरी तरह से काबू पाया जा सका, तब जाकर लोगों ने राहत के सांस ली।

बताते हैं कि दोपहर ढाई बजे के करीब खजुरी खुर्द गांव की बस्ती से सटे बांस के बगीचे में लपटें उठती दिखीं तो हड़कंप मच गया। देखते ही देखते आग पूरे के बगीचे में फैल गई। ग्रामीणों ने आग बुझाने का प्रयास लेकिन लपटों की मार के चलते ग्रामीण पीछे हट गए। इसके बाद मामले की जानकारी अग्निशमन विभाग को दी गई। पहुंचे फायर ब्रिगेड दस्ते ने कड़ी मशक्कत कर आग पर काबू पाया। फायरकर्मी राजेंद्र कुशवाहा, लालचंद, सुरेश कुमार योगी, महेंद्र कुमार, रामदेव यादव, श्रीकांत ने आग को काबू पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

बांस के बगीचे में तीन साल में दसवीं बार लगी आग

बताते हैं कि इस बांस के बगीचे में विगत तीन वर्षों में दसवीं बार आग लगी है। ग्रामीणों का आरोप है कि हर बार आग लगाई गई लेकिन घटनाक्रम को लेकर कोई जांच न होने से आग लगाने का क्रम बना हुआ है। ललित कुमार, सुरेंद्र नाथ, आशीष श्रीवास्तव का कहना था कि बांस का बगीचा हम लोगों का काफी पुराना है लेकिन पिछले तीन वर्ष में 10 से 11 बार बांस के बगीचे में आग लगा दी गई, उनका आरोप है कि कोई व्यक्ति जानबूझकर गर्मी के महीनों में ही आग लगाता है। इसकी सूचना भी कई बार प्रशासनिक अमले को दी गई लेकिन उस व्यक्ति की शिनाख्त न होने की वजह से कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही। मामले में जांच की गुहार लगाई गई है ताकि बार-बार आग लगने की घटना और उसके चलते बस्ती में आग लगने के बनते खतरे से बचा जा सके।

Kaushlendra Pandey

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