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Sonbhadra News: स्कॉलरशिप सहित अन्य मसलों पर उदासीनता से भड़के छात्र, दिया धरना, नोंकझोंक के बीच की जमकर नारेबाजी
Sonbhadra News: राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ओबरा के छात्रों से जुड़ी मांगों को लेकर शनिवार को कालेज परिसर में देर तक तनातनी की स्थिति बनी रही। मांगों को लेकर मिलने पहुंचे छात्रनेताओं से किसी बात को लेकर प्राचार्य की नोंकझोंक हो गई।
Sonbhadra News: राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ओबरा के छात्रों से जुड़ी मांगों को लेकर शनिवार को कालेज परिसर में देर तक तनातनी की स्थिति बनी रही। मांगों को लेकर मिलने पहुंचे छात्रनेताओं से किसी बात को लेकर प्राचार्य की नोंकझोंक हो गई। इससे अचानक से कालेज का माहौल गरमा उठा। वहीं इसको लेकर भड़के छात्र नेता कालेज परिसर में ही मांगों के अविलंब माने जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठ गए। रह-रहकर नारेबाजी से माहौल तल्ख होता रहा। पहुंचे तहसीलदार ओबरा ने प्राचार्य और छानेताओं के बीच वार्ता कराकर किसी तरह मामले को शांत कराया, इसके बाद छात्र धरने से उठने को तैयार हुए। चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वह आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
स्कॉलरशिप और हॉस्टल की व्यवस्था को लेकर छात्रों में नाराजगी
बताते हैं कि छात्रनेता प्रशांत यादव, अभिषेक अग्रहरी, अनुज सिंह, आदर्श गुप्ता, सत्येंद्र, अभिषेक सेठ, सिद्धांत, अमन, मुकेश, आशीष, विशाल, रिशु, विकांक आदि शनिवार को छात्र संघ चुनाव, छात्रों के स्कॉलरशिप, हॉस्टल की व्यवस्था ठीक कराने जाने, वार्षिक खेल आदि से जुड़े मसलों को लेकर प्राचार्य डा. प्रमोद कुमार से मुलाकात करने के लिए पहुंचे थे।
बताते हैं कि इस दौरान प्राचार्य ने मांगों को लेकर उदासीनता भरा रवैया अख्तियार किया। इससे छात्रनेता नाराज हो गए और नारेबाजी करते हुए कालेज परिसर में ही चौनल गेट के पास धरने पर बैठ गए। माहौल को तल्ख होने की सूचना पाकर पहुंचे तहसीलदार सुशील कुमार नें प्राचार्य और छात्र नेताओं के बीच वार्ता कराई। लगभग एक घंटे तक वार्ता चली। इस दौरान बीच में कई बार दोनों पक्षों में नोंकझोंक की स्थिति बनती रही।
छात्र नेताओं के हितों की लंबे समय से अनदेखी
महाविद्यालय के प्राचार्य की तरफ से सभी समस्याओं का समय से निवारण कराए जाने का आश्वासन दिया गया तब जाकर छात्रनेता धरना समाप्त करने को तैयार हुए। उनका कहना था कि कॉलेज प्रशासन छात्र नेताओं के हितों की लंबे समय से अनदेखी कर रहा है। इसको लेकर की जा रही अनदेखी पर भी उदासीनता भरा रवैया अख्तियार किया जा रहा है। मजबूरन धरने का रास्ता अख्तियार करना पड़ा। मांगों को लेकर आवाज उठा रहे छात्रनेताओं का कहना था कि अगर कालेज प्रशासन समस्याओं का समय से निवारण नहीं करता है तो छात्र मजबूरन बड़े आंदोलन का निर्णय लेने के लिए बाध्य हो जाएंगे।