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Sonbhadra News: लोढ़ी टोल प्लाजा की वैधता पर अलग-अलग दावे, वन विभाग ने कहा, शर्तों का उल्लंघन कर किया गया निर्माण
Sonbhadra News: उपसा का दावाः सब कुछ सही, 22 को एनजीटी करेगी फैसला
Sonbhadra News: वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पर जिला मुख्यालय क्षेत्र के लोढ़ी में निर्मित किए गए टोला प्लाजा की वैधता को लेकर अलग-अलग दावे सामने आए हैं। इसको लेकर एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) मे चल रही सुनवाई और उसके क्रम में, ट्रिब्यूनल को दी गई जानकारी में वन विभाग की तरफ से लोढ़ी में टोल निर्माण और भवनों के निर्माण को अनियमित बताया गया है। वहीं, सड़क निर्माण के दौरान, टोल प्लाजा निर्माण को लेकर वन विभाग की तरफ से तय किए गए शर्तों का उल्लंघन कर, निर्माण किए जाने की बात कही गई है। वहीं, उपसा (उत्तर प्रदेश स्टेट हाइवे अथारिटी) की तरफ से दाखिल किए गए जवाब में, संयुक्त समिति की तरफ से पेश की गई जांच रिपोर्ट और वन विभाग के दावे दोनों पर सवाल उठाते हुए, निर्माण को सही ठहराया गया है। अब सभी की निगाहें 22 अगस्त को एनजीटी की मुख्य पीठ में प्रकरण को लेकर होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई हैं।
डीएफओ का दावाः निर्माण में कई शर्तों का किया गया है उल्लंघनः
डीएफओ सोनभद्र की तरफ से एनजीटी में दाखिल की गई जानकारी में बताया गया है कि लोढ़ी स्थित टोला प्लाजा का निर्माण एसीपी टोलवेज प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से किया गया है। दावा किया गया है कि इसको लेकर तय किए गए करार के पैरा/शर्त संख्या 8, 11 और 18 का उल्लंघन करते हुए आवासीय कॉलोनी और कार्यालय का निर्माण हुआ है। शर्त संख्या आठ में कोई भी श्रमिक शिविर स्थापित न करने, शर्त संख्या 11 में ओवरबर्डन को बाहर न डालकर नामित डंपिंग स्थलों पर ही निपटान और शर्त संख्या 18 में उपयोगकर्ता एजेंसी को साइट पर काम करने वाले मजदूरों और कर्मचारियों अधिमानतः ईंधन ही उपलब्ध कराने की हिरायत दी गई है, ताकि आस-पास के वन क्षेत्रों पर किसी भी क्षति और दबाव से बचा जा सके।
- पैरा सात और 19 के पालन पर भी उठाए गए सवालः
डीएफओ की तरफ से दाखिल जवाब में कहा गया है कि विशेष सचिव उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से 31 मार्च 2014 को एक एनओसी जारी की गई है, जिसमें पैरा 7 कहता है कि निर्माण प्रस्ताव की लेआउट योजना केंद्र सरकार की पूर्वानुमति के बिना परिवर्तित नहीं की जाएगी। वहीं, पैरा 19 में कहा गया है कि प्रत्यावर्तित वन भूमि का सीमांकन 54 फीट ऊंचे मजबूत कंक्रीट के खंभों द्वारा किया जाएगा। निर्माण व्यय परियोजना की लागत में शामिल होगा। सीमांकन के दोनों तरफ सीरियल नंबर भी अंकित किए जाएंगे। इसको लेकर भी सवाल उठाते हुए, शर्तों के उल्लंघन का दावा किया गया है।
निर्माण होना था बायीं तरफ, कर दिया गया दायीं तरफ:
डीएफओ की तरफ से यह भी बताया गया है कि वन भूमि पर निर्माण की मंजूरी देते समय तय की गई शर्तों के अनुसार, टोल प्लाजा प्रशासनिक भवन/टीपी-02 का निर्माण बाईं ओर (एलएचएस) करने का प्रस्ताव था लेकिन टोल प्लाजा प्रशासनिक भवन संवर्धित परियोजना राजमार्ग के दाहिनी तरफ पड़ रहा है।
- संयुक्त समिति की रिपोर्ट गलत:
उपसा की तरफ से दाखिल जवाब में कहा गया है कि टोला प्लाजा निर्माण को लेकर संयुक्त समिति की तरफ से जो रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है, वह गलत तथ्यों पर आधारित है। दावा किया गया है कि निर्माण नियमों और दी गई स्वीकृति के क्रम में किया गया है। वहीं,
रिपोर्ट को लेआउट की गलत रीडिंग पर आधारित बताया गया है।
संयुक्त समिति की रिपोर्ट में, इको सेंसटिव जोन एरिया में निर्माण के लिए अनुमति का कोई रिकॉर्ड न होने के मसले पर कहा गया है कि यह परियोजना ईआईए के दायरे में नहीं आती। इसलिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं थी। संबंधित जमीन श्रमिक शिविर या आवासीय भवन निर्माण से भी इंकार किया गया है। इसको लेकर सूचना 2019 में मांगने और याचिका 2022 में दाखिल करने की बात पर भी सवाल उठाए गए हैं।
- 22 को एनजीटी को करनी है मामले की सुनवाई
बता दें कि लोढ़ी में निर्मित टोला प्लाजा, प्रशासनिक भवन एवं अन्य निर्माण को अवैध बताते हुए अधिवक्ता आशीष चौबे की तरफ से एनजीटी की तरफ से याचिका दाखिल की गई है। संयुक्त समिति की रिपोर्ट में इको सेंसिटिव जोन में निर्माण होने और ले आउट की अनदेखी करने का दावा किया गया है। इसको दृष्टिगत रखते हुए, एनजीटी ने 22 अगस्त को सुनवाई की तिथि तय की है। सुनवाई के समय डीएम और डीएफओ को उपस्थित रहने और उपसा के अधिकृत प्रतिनिधि को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में सहयोग देने के लिए निर्देशित किया गया है।