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सोनभद्र हत्याकांड: 1955 से चला आ रहा है जमीन विवाद, यह है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में जमीनों के कब्जे की घटनाएं कोई नई बात नही यह अलग बात है कि आज बड़ी बात हो गयी। यदि जमीनों के विवाद के मामले देखा जाए तो वनभूमि के कब्जे और आदिवासियों को बेदखल करने का मामला शुरू से चला आ रहा है।

Dharmendra kumar
Published on: 17 July 2019 5:45 PM GMT
सोनभद्र हत्याकांड: 1955 से चला आ रहा है जमीन विवाद, यह है पूरा मामला
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सोनभद्र: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में जमीनों के कब्जे की घटनाएं कोई नई बात नहीं है। यह अलग बात है कि आज इतनी बड़ी दिल दहला देने वाली बात हो गयी। यदि जमीनों के विवाद के मामले देखे जाए तो वनभूमि के कब्जे और आदिवासियों को बेदखल करने का मामला शुरू से चला आ रहा है। चाहे खनन का खेल या कल कारखानों की स्थापना भैस वही ले गया जिसके हाथ लाठी रही।

घोरावल में इस बड़ी घटना के बारे में बताया जाता है कि यह मामला सन 1955 से चला आ रहा है। जानकारी के मुताबिक बिहार के एक प्रशासनिक अधिकारी और तत्कालीन ग्राम प्रधान ने उम्भा की लगभग 600 बीघा जमीन को अपने नाम कराने का प्रयास शुरू कर दिया था। जबकि गांव के आदिवासी इसके पहले से ही इन जमीनों पर काबिज रहे हैं।

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उक्त अधिकारी द्वारा तहसीलदार के माध्यम से 1955 में जमीन को आदर्श कोआपरेटिव सोसायटी के नाम करा लिया। जबकि उस समय तहसीलदार को नामान्तरण का अधिकार नही था। उसके बाद पूरी जमीन को अधिकारी ने 6 सितम्बर 1989 को अपने पत्नी और पुत्री के नाम करा दिया। जबकि कानून के अनुसार सोसायटी की जमीन किसी व्यक्ति के नाम नही हो सकती।

इसी जमीन में लगभग 200 बीघा जमीन आरोपी प्रधान यज्ञदत्त द्वारा 17 अक्टूबर 2010 को अपने रिश्तेदारों के नाम करा दिया गया। उसके बावजूद आदिवासियों का जमीन पर कब्जा बरकरार रहा। नामान्तरण के खिलाफ ग्रामीणों ने एआरओ के यहां शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन 6 फरवरी 2019 को एआरओ ने ग्रामीणों के खिलाफ आदेश दिया। ग्रामीणों ने उसके बाद जिला प्रशासन को भी अवगत कराया लेकिन उनकी एक नही सुनी गयी और दुष्परिणाम आज सामने है।

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ग्रामीण बताते है कि करीब 10 से 15 ट्रैक्टरों पर सवार एक पक्ष के सौ से भी ज्यादा लोग उक्त जमीन के कब्जे के लिए सुबह आये जबकि एक अन्य वाहन पर स्वार एक दर्जन से ज्यादा लोग भी वहां पहुंचे। नियति दोनों की साफ थी कि जिसकी लाठी भैंस उसी की होगी । लेकिन इतनी बड़ी बात हो जाएगी किसी को भी अंदेशा नहीं था।

विवाद शुरू होते ही दोनों पक्ष अपने अपने अंदाज से शुरू हो गए तब तक गोलियों की तड़तड़ाहट ने पूरा स्वरूप ही बदल दिया । अफरातफरी और कोहराम से हो गया । सौ नम्बर को भी बुलाया गया किंतु बेअसर। तबतक जई जाने जा चुकी थी और कई गम्भीर और मरने की कगार पर । हालांकि सौ नम्बर द्वारा अपने उच्चधिकारियों को अब्गत कराकर फोर्स मंगवाई जिसे पुलिस अधीक्षक स्वयं लेकर पहुचे और घायलों को अस्पताल भिजवाया।

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बहरहाल सोनभद्र के इतिहास में जमीनी विवाद का यह सबसे बड़ा और अति गम्भीर मसला बन चुका है। पुलिस अब इसे अपराध मानकर विवेचना करेगी दोषी दण्डित होंगे लेकिन आगे यह खतरनाक खेल पूरी तरह थम जाएगा या अब और गम्भीर होगा लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

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