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इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति की नियुक्ति को लेकर रास में दिये अपने उत्तर को लेकर घिरे शिक्षा राज्य मंत्री

Prayagraj News: शिक्षा राज्य मंत्री ने कांग्रेस पार्टी के शासन काल की तरह ही राज्यसभा में उत्तर देकर सबको चौंका दिया है। सवाल इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को लेकर पूछा गया था।

Yogesh Mishra
Published on: 26 April 2023 9:56 PM IST (Updated on: 27 April 2023 1:27 AM IST)
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति की नियुक्ति को लेकर रास में दिये अपने उत्तर को लेकर घिरे शिक्षा राज्य मंत्री
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शिक्षा राज्य मंत्री ने आप पार्टी सांसद संजय सिंह के सवाल का दिया जवाब(Pic: Newstrack)

Prayagraj News: सत्ता का चरित्र कभी नहीं बदलता। चाहे जिस भी पार्टी की सत्ता हो। इस बात को सच साबित किया है देश के शिक्षा राज्य मंत्री ने। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के शासन काल की तरह ही राज्यसभा में उत्तर देकर सबको चौंका दिया है। सवाल इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति को लेकर पूछा गया था। सवाल पूछने वाले सांसद का नाम आम आदमी पार्टी के संजय सिंह है। जबकि उनके सवाल का उत्तर देने वाले मंत्री का नाम डॉ. सुभाष सरकार है। जो केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री हैं। राज्य मंत्री ने यह उत्तर इसी साल के बीते 29 मार्च, 2023 को दिया है।

“ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के विनियम 2018 के अनुसार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के लिए नियुक्त किया जाना वाला व्यक्ति एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद होना चाहिए। जिसके पास विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के रूप में न्यूनतम दस वर्ष का अनुभव या किसी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के रूप में दस वर्ष का अनुभव हो या एक प्रतिष्ठित शोध और/ या अकादमिक प्रशासनिक संगठन में अकादमिक नेतृत्व का प्रदर्शन करने के प्रमाण के साथ दस साल का अनुभव हो।” यह बात शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने संजय सिंह के लिखित सवाल के जवाब में कहा है।

दिलचस्प यह है कि इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति संगीता श्रीवास्तव द्वारा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तय मानक पूरे करने के जवाब में खुद मंत्री ने कहा है कि 2002 में संगीता श्रीवास्तव को व्याख्याता बनाया गया। 4 फ़रवरी, 2015 को आयोजित एक चयन समिति में संगीता श्रीवास्तव को कैरियर एडवांस स्कीम के तहत पात्रता की तिथि से प्रोफ़ेसर के रूप में पदोन्नत कर दिया गया था। मंत्री इसी के बाद यह भी कहते हैं कि कुलपति के पद के विज्ञापन अंतिम तिथि से पहले प्रोफ़ेसर के रूप में दस साल की सेवा पूरी कर ली थी।

इसमें समझने की बात यह है कि अगर 2002 में संगीता श्रीवास्तव व्याख्याता बनती हैं। तो नियम के मुताबिक़ असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफ़ेसर बनने में उन्हें बारह साल लगना चाहिए। एसोसिएट प्रोफ़ेसर से प्रोफ़ेसर बनने में 3 साल का समय लगता है। मंत्री ने जब खुद यह माना है कि 4 जनवरी, 2015 को प्रोफ़ेसर बनने की चयन समिति की बैठक हुई। जिसमें उन्हें प्रोफ़ेसर बनाया गया। लेकिन इसमें उनने यह नुक़्ता भी लगा दिया कि पात्रता की तिथि से चयन समिति ने उन्हें प्रोफ़ेसर माना। पर यह तिथि क्या है, यह शिक्षा राज्य मंत्री बताने से कन्नी काट गये।



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Yogesh Mishra

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