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राम मंदिर आनदोलन की कहानी बिश्व हिंदू परिषद की जुबानी

आरएसएस व विश्व हिंदू परिषद के अवाहन पर सन 1992 में पूरे भारत से मंदिर निर्माण के लिए कारसेवक पहुंचे थे । उस दौरान उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से भी उस आंदोलन में भाग लेने के लिए कारसेवक गए हुए थे।

Roshni Khan
Published on: 14 Nov 2019 8:41 AM GMT
राम मंदिर आनदोलन की कहानी बिश्व हिंदू परिषद की जुबानी
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रजनीश कुमार मिश्र

गाजीपुर: आरएसएस व विश्व हिंदू परिषद के अवाहन पर सन 1992 में पूरे भारत से मंदिर निर्माण के लिए कारसेवक पहुंचे थे । उस दौरान उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से भी उस आंदोलन में भाग लेने के लिए कारसेवक गए हुए थे।

उन्हीं कार सेवकों में से एक ब्लॉक मुख्यालय के स्थानीय गांव बाराचवर के विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता चंद्रमा कुशवाहा भी गये हुए थे। चंद्रमा कुशवाहा बताते हैं कि उस दिन को याद करके आज भी जोश भर आता है।

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1990 जब कार सेवको पर चलाई गई थी गोलियां

विहिप कार्यकर्ता चंद्रमा कुशवाहा बताते हैं ।कि जब 1990 में विश्व हिंदू परिषद व आर एस एस के अवाहन पर पूरे भारत से कारसेवक अयोध्या के लिए कुच किया था ।जिसमें गाजीपुर से भी कारसेवक गए हुए थे,उस कारसेवकों में मैं भी था। लेकिन पुलिस ने अयोध्या पहुंचने से पहले ही कारसेवकों को पकड़ लिया। विहिप कार्यकर्ता ने बताया कि प्रशासन के लाख कोशिशों के बावजूद भी लाखों की तादाद में कारसेवक अयोध्या पहुंच गए वहां शांति से पहुंचे कारसेवकों पर तत्कालीन सरकार के आदेश पर पुलिस ने गोली चलाई ।जिसमें बहुत से कारसेवक मारे गए और बहुत से घायल हुए।

1992 जब मंदिर निर्माण के लिए पहुंचे थे कार सेवक

विश्व हिंदू परिषद कार्यकर्ता चंद्रमा कुशवाहा बताते हैं कि सन 1992 में मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन हुआ था। जिसमें गाजीपुर से तो बहुत से कारसेवक पहुंचे थे ।लेकिन बाराचवर ब्लॉक से सिर्फ मैं ही गया हुआ था। हम लोग 12:15 बजे उस स्थान पहुंच गए जहां राम मंदिर था ।जिसे लोग बाबरी मस्जिद कहते थे, चंद्रमा कुशवाहा ने बताया कि गगनभेदी नारों के साथ मस्जिद के ढांचे पर कुछ कारसेवक चढ़ गए ।और शाम होते होते वहां बने मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया गया ।

लाहोरी ईंटों से बना था राम मंदिर

चंद्रमा कुशवाहा बताते हैं कि मंदिर का निर्माण लाहौरी ईटों से किया गया था । विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता चंद्रमा कुशवाहा ने बताया कि मंदिर के दिवाल के गिरने के बाद वहां से मैं भी 1 ईट लेकर आया था ।जो लाहोरी ईट था। जब गांव में मंदिर बनने लगा तो उसी में उस ईट को को दे दिया।

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चांद मार्का ईट से बना था मस्जिद का दीवार

चंद्रमा कुशवाहा ने बताया कि पुराने राम मंदिर को गिराकर नव निर्माण करने हम लोग गए हुए थे ।जब मस्जिद के ढांचे को गिराया जा रहा था तब देखा तो मंदिर का दीवार जो लाहौरी ईटों से बना था। और आधे दीवाल के ऊपर चांद मार्का ईट से मस्जिद का दीवाल बनाया गया था ।।

प्रस्तुत है बातचीत के कुछ अंश

बाबरी विध्वंस के समय अयोध्या गए थे तो क्या देखा

सुबह 12:15 बजे हम लोग उस स्थान पर पहुंच और शांति श्री राम लला का पुराना मंदिर लाहोरी ईटो से बना था। और उसके ऊपर बाबर ने चांद मार्का ईट से मस्जिद का दीवाल बनाया था और ऊपर जो गुंबद था उसे कार सेवकों द्वारा थोड़ा जाने लगा। शाम होते होते वहां बने मस्जिद को तोड़ दिया गया।

गांव व क्षेत्र से कितने लोग गए थे

उस समय जिले से तो बहुत से कार्य सेवक मंदिर आंदोलन में गए हुए थे। लेकिन बाराचवर ब्लॉक से सिर्फ मैं ही गया था।

फैसला आने के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं

रामलला के पक्ष में फैसला आने से मैं गर्व महसूस कर रहा हूं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सभी वर्गों ने स्वागत किया है।

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आगे क्या इरादा है

फैसला आने के बाद वहां राम मंदिर बनेगा और पूजा-पाठ फिर से शुरू हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार उस जगह पर भव्य मंदिर बनाया जाएगा और सभी धर्मों के लोग मिलजुलकर व भाई चारे के साथ रहेंगे।

राम मंदिर आंदोलन की कोई ऐसी घटना जिसे याद कर आप सिहर उठते हो

6 दिसंबर 1990 का को काला दिन जब शांति से कार सेवा कर रहे हैं ।कारसेवकों पर पुलिस में तत्कालीन मुख्यमंत्री के आदेश पर गोलियां चलाई । जिसमें कोलकाता से आए कोठारी बंधुओं के साथ अन्य कार सेवक कार सेवा करते हुए मारे गए।

कोई ऐसी घटना जो आपको रोमांचित करती हो

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद काफी खुशी महसूस हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में उस जगह पर राम मंदिर बनाया जाए और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए दूसरे जगह जमीन दिया जाए ।ताकि सभी लोग शांति सौहार्द के साथ रहे इस फैसले से मुझे काफी खुशी मिली है।

अब आप क्या कहना चाहेंगे

फैसला आने के बाद वहां राम मंदिर बनेगा और मुसलमान भाई सरकार की दी हुई जमीन पर मस्जिद बनाएंगे हम सभी लोग मिलजुल कर रहेंगे।

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आप विश्व हिंदू परिषद से कब से जुड़े हैं

मैं 1985 या 86 में विश्व हिंदू परिषद से जुड़ा था और आज तक विहिप के लिए कार्य कर रहा हूं।

Roshni Khan

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