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ओबामा की किताब पर विवाद: राहुल-मनमोहन पर ऐसी टिप्पणी, कोर्ट तक पहुंचा मामला

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी पुस्तक मे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को अपरिपक्व छात्र और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के चयन को लेकर सोनिया गांधी के निर्णय पर टिप्पणी की थी।

Shivani
Published on: 14 Dec 2020 4:15 PM GMT
ओबामा की किताब पर विवाद: राहुल-मनमोहन पर ऐसी टिप्पणी, कोर्ट तक पहुंचा मामला
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प्रतापगढ़। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थानीय सिविल न्यायालय में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को लेकर दाखिल एक परिवाद पर सोमवार को सुनवाई हुई। मामला ओबामा को पुस्तक 'ए प्रामिस्ड लैण्ड' का है, जिसमे उन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी पर टिप्पणी की है।

ओबामा को सम्मन नोटिस के लिए कोर्ट मे दाखिल हुआ प्रत्यावेदन

स्थानीय सिविल न्यायालय में याचिकाकर्ता ऑल इण्डिया रूरल बार एसोशिएसन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल की ओर से दाखिल प्रत्यावेदन मे कोर्ट से बराक ओबामा को नई दिल्ली स्थित यूएस दूतावास के जरिये नोटिस सम्मन तामील कराए जाने की मांग उठाई गई।

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कोर्ट ने 23 दिसम्बर को सुनवाई की दी तारीख

वहीं सुनवाई करते हुए सिविल जज विनीत यादव ने परिवाद की पोषणीयता के विचारणीय बिंदुओं के तहत नोटिस सम्मन के भी क्षेत्राधिकार को देखने को कहा है। कोर्ट ने प्रत्यावेदन पर अगली सुनवाई के लिए 23 दिसंबर की तिथि तय की है।

ओबामा की किताब में राहुल गांधी और मनमोहन सिंह पर टिप्पणी

गौरतलब है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी पुस्तक मे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को अपरिपक्व छात्र और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के चयन को लेकर सोनिया गांधी के निर्णय पर टिप्पणी की थी।

रूरल बार एसोशिएशन के अध्यक्ष ने लगाया विदेशी राजनेताओं पर आरोप

मामले को लेकर रूरल बार एसोशिएसन के अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने इसे विदेशी राजनेता द्वारा भारतीय गणतंत्र के आंतरिक मामले मे आपत्तिजनक दखलनदाजी करार देते हुए सिविल कोर्ट मे परिवाद दाखिल किया गया है। परिवाद मे ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने ओबामा की टिप्पणी को भारत के आंतरिक शांति को प्रभावित करने का आपराधिक षडयंत्र करार देते हुए कोर्ट से पुलिस को एफआईआर दर्ज कराए जाने के निर्देश दिये जाने की फरियाद की है।

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कोर्ट मे याची की ओर से अधिवक्ता रमेश पाण्डेय व अनिल महेश तथा शहजाद अंसारी ने संयुक्त रूप से प्रत्यावेदन पर बहस कर पक्ष रखा।

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