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Kisan Andolan: सरकार को छोड़नी होगी तानाशाह की छवि, हर हाल में ये करना होगा

पंजाब और खासकर सिखों के लिए संघीय व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण रही है | कई राजनैतिक पार्टियाँ और संगठन इस बात को समझाने में सफल रहें है कि "मोदी सिख समुदाय के साथ तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहे हैं",

Roshni Khan
Published on: 26 Jan 2021 5:24 PM IST
Kisan Andolan: सरकार को छोड़नी होगी तानाशाह की छवि, हर हाल में ये करना होगा
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Kisan Andolan: सरकार को छोड़नी होगी तानाशाह की छवि, हर हाल में ये करना होगा (PC: social media)

नई दिल्ली: किसान बिलों पर लगातार बढ़तें गतिरोध ने सभी का ध्यान आकर्षित किया है, नत सुप्रीम कोर्ट को भी इस मामले पर हस्तक्षेप करना पड़ा | बनायी गयी कमेटी से भी किसान संगठन सहमत नहीं है | उन्होंने स्पष्ट किया है कि समस्त किसान बिलों को वापस किया जाये | मूल रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान इस बिल का विरोध कर रहें है | पंजाब के किसान इस संगठन को लीड कर रहें है | अब तक 40 से अधिक किसानों की मौत भी हो चुकी है, जो न केवल अत्यंत दुखद है बल्कि यह घटना इस बात पर भी सोचने पर बल दे रही है की आखिर विरोध के पीछे क्या कारण है ? इसका समाधान क्या है ? वर्तमान में चल रहें गतिरोध से यह स्पष्ट है की इसमे सिख समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका है |

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पंजाब और खासकर सिखों के लिए संघीय व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण रही है

पंजाब और खासकर सिखों के लिए संघीय व्यवस्था बहुत महत्वपूर्ण रही है | कई राजनैतिक पार्टियाँ और संगठन इस बात को समझाने में सफल रहें है कि "मोदी सिख समुदाय के साथ तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहे हैं", जबकि वास्तविक सच्चाई यह है की किसान बिल सिर्फ पंजाब के किसानों के लिए नहीं है, बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए है | ज्यादातर सिख नहीं चाहते कि उन पर कोई रौब जमाये, सिखों की इसी नब्ज को पहचानते हुए भड़काने वाले लोग सिखों को यह भी स्मरण दिलाने का पूरा प्रयास कर रहे है कि, सिखों ने लगातार तानाशाही का विरोध किया है और वही भड़काने वाले लोग मोदी को उसी जगह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं जहाँ पर चार सौ वर्ष पहले औरंगजेब और चालीस साल पहले इंदिरा गांधी को खड़ा किया गया था |

farmer-rally farmer-rally (PC: social media)

विश्व व्यापर संगठन में सरकार के वादे की पूर्ति के लिए भी यह जरुरी है

सरकार और सिखों के बीच पहले से ही चल रहे मुश्किल सम्बन्ध को कृषि कानून ने और मुश्किल में डाल दिया है | सिखों के अलावा आम लोगों के मन में भी यह धारणा घर करती जा रही है कि सरकार का अहंकार चरम पर है, जबकि किसान बिल के तह में जाने पर आप स्वयं समझ पायेगे की देश के लिए यह कितना जरुरी है | विश्व व्यापर संगठन में सरकार के वादे की पूर्ति के लिए भी यह जरुरी है | वास्तव में ब्यूरोक्रेसी अहंकार की पराकाष्ठा पार कर रही है और इसका दुष्परिणाम सरकार भुगत रही है | इससे पहले इतना बड़ा विरोध इस सरकार का कभी नहीं हुआ |

कई वर्षो से टूट रहा हिन्दू समाज आपस की जोड़ तोड़ की राजनीति में अपनी कई शाखाओं को सूखने से बचा नहीं पाया | जिस तरह दलितों को हिन्दुओं से तोड़ने में कुछ लोग कामयाब हुए उसी तरह सिखों की उपेक्षा भी हमें बीतते समय क़े साथ आज बहुत भरी पड़ रही है | कांग्रेस से नफरत करने वाला सिख समुदाय आज भाजपा की मोदी सरकार को शत्रु बना बैठा है इसके पीछे कारण अज्ञानता के साथ-साथ कई नकारात्मक शक्तियों का सहयोग भी है | इसमें कही चूक हो गई और अन्य समुदायों क़े बीच बैठे ठेकेदारों ने उन्ही सिखों को हिंदुत्व की बात करने वालों क़े खिलाफ भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी है |

कमजोर नसों को दबाकर उन्हें भड़काया गया है

ये भड़काने वाले तत्व सिखों को यह समझाने में कामयाब होते दिखते है कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सिखों की अलग पहचान को मानने से इंकार करती है और सिख गुरुओं खासकर गुरु गोविन्द सिंह को खुद से जोड़ती है और उन्हें हिन्दू हस्ती कि तौर पर पेश करती है | सिख एक कर्मठ, कर्म प्रधान और खुलकर जीवन का आनंद उठाने वाला समुदाय है उनका फालतू क़े आंदोलनों से क्या लेना देना ? साफ-साफ दिख रहा है और सभी अच्छी तरह समझ भी आ रहा है कि उनकी कमजोर नसों को दबाकर उन्हें भड़काया गया है और भाजपा क़े हिंदुत्व शब्द में से उन्हें काटकर अलग दिखने का पूर्व नियोजित षड़यंत्र भी रचा गया है |

प्रधानमंत्री के गुरूद्वारे में जाने के बाद कई बातों पर विराम लगा है

हालाँकि प्रधानमंत्री के गुरूद्वारे में जाने के बाद कई बातों पर विराम लगा है | और आप इतिहास देखेगे तो पायेगे की भाजपा हमेशा किसानों की हितैशी रही है | उसके कार्य किसानों की आय में वृद्धि करने के रहे है | ये साजिश राजनैतिक पार्टी क़े द्वारा बहुत पहले ही आज़ादी क़े बाद से ही शुरू कर दी गयी थी, जिसमें से एक प्रमुख था कि सारे मज़ाक वाले चुटकुले सिखों क़े ऊपर बनाये गए | इसमें कोई संदेह नहीं है कि भाजपा ने इन सबको रोकने में काफी हद तक सफलता भी पायी है परन्तु अभी तक सिख समुदाय के बीच उपजे अविश्वास को विश्वास में परिवर्तित नहीं कर पायी है |

farmer-rally farmer-rally (PC: social media)

सिखों को दोबारा स्वयं से जोड़ा जा सकता है

वर्तमान में बहुत ही सीमित विकल्प है जिनमे सिखों को दोबारा स्वयं से जोड़ा जा सकता है | इसमें एक तो सभी गुरुद्वारों में मंदिरों की तरह आना जाना एक सामान्य कार्यकलाप मानकर भाजपा क़े सभी नेताओं का दर्शन हेतु समय समय पर आना जाना हो | देश भर क़े प्राचीन गुरुद्वारों को जीर्णोद्वार हेतु आर्थिक सहायता प्रदान किये जाय, लंगर आदि क़े कार्यक्रमों क़े लिए भाजपा क़े नेता कार्यकर्ता आदि अपना पूर्ण सहयोग पूर्ण रूप से समर्पित होकर दें | सरकार को चाहिए कि पंजाब क़े नेताओं / किसानों से लगातार संवाद करती रहे भले ही वह एक तरफ़ा ही क्यों न हो | पाकिस्तान को भी अब चेता दिया जाय कि करतारपुर साहब गुरूद्वारे की सुनियोजित रूप से यदि वह देखभाल करने में असमर्थ है तो उसे भी भारत में मिलाने में देर नहीं की जाएगी |

उनका क्रोध स्वाभाविक प्रतीत होता है

सिख धर्म गुरुओं क़े त्याग और बलिदानों को सबको बताने क़े लिए पाठ्यक्रमों में पूरी जगह दी जाय और उनके बारे में सबको बताने क़े लिए व्यापक रूप से प्रचार प्रसार किये जाय | सिख समुदाय धर्म क़े साथ कर्म प्रधान भी रहा है और सरल निश्छल मन का यह समुदाय सदैव हिन्दुओं की ढाल बन कर मुस्तैद रहा और जब उनको हमसे उपेक्षा का अहसास होता है तो उनका क्रोध स्वाभाविक प्रतीत होता है | आज चल रहे गतिरोध को समाप्त करने में कोई महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है तो वह एक मात्र सिख समुदाय ही है | इनकी सरलता क़े भरपूर लाभ सारे देशद्रोही तत्व ले रहे हैं, जिनमे मुगलिस्तान का पुनः सपना देखने वाले समुदाय, खालिस्तान की मांग करने वाले राजनैतिक दल और सदा से देश की संस्कृति और सभ्यता का नाश करने वाले पार्टी और तत्व शामिल हैं |

सिखों और अब जाटों का गठजोड़ जिसकी प्रबल सम्भावना दिख रही है

सरकार को अपनी तानाशाह की छवि को तोड़ते हुए हर हाल में हर स्तर पर विनम्रता दिखानी होगी क्योंकि सिख लगातार आगे बढ़ रहे है और मोदी सरकार मुख्य शत्रु बनी दिखाई दे रही है चिंता यह है कि सिखों और अब जाटों का गठजोड़ जिसकी प्रबल सम्भावना दिख रही है कहीं नियंत्रण से बाहर होकर सर्वनाश न कर दे जिसकी भरपाई हिन्दू समाज क़े साथ-साथ सम्पूर्ण भारत देश क़े लिए भी असंभव हो जाये | 26 जनवरी के दिन किसानों के प्रदर्शन को रोकना भी एक बड़ी चुनौती है |

farmer farmer-rally (PC: social media)

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कही ऐसा न हो की कुछ उपद्रवी मौके का लाभ उठाकर किसान संगठनों को बदनाम कर दे | किसान संगठनो को भी सतर्क रहने की जरूरत है | इस विवाद को सिख समुदाय के अलावा कोई समाप्त नहीं कर सकता और यह तभी संभव है जब उनकी बातों को बिना किसी पक्षपात के सुना जाये और देश हित में उन्ही से इसका समाधान माँगा जाये | विशवास करिए सरकार या देश का मस्तक सिख समुदाय कभी झुकने नहीं देगा, बशर्ते सरकार उनसे ही समाधान की मांग करें |

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

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