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Interview: पिछली सरकारों ने चीनी मिलें बेचीं हमने नई लगाई
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से जुडऩे के साथ ही छात्र राजनीति और उसके बाद भाजपा की युवा इकाई की राजनीति करने वाले सुरेश राणा ने संगठन में कई जिम्मेदारियों का निर्वहन किया है। उन्होंने पहली बार थाना भवन विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 2012 में पहली बार चुनाव लड़ा और जीता। सुरेश राणा ने 2017 का विधानसभा चुनाव फिर जीता और योगी सरकार में गन्ना विकास मंत्री बने। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बंद पड़ी चीनी मिलों को खुलवाने के साथ ही गन्ना किसानों का भुगतान भी दिलवाने का काम किया। 'अपना भारत' के श्रीधर अग्निहोत्री ने सुरेश राणा से वार्ता की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश।
यूपी में गन्ना किसानों के भुगतान की समस्या काफी पुरानी है। इसके समाधान में राज्य सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं?
यूपी में योगी सरकार आने के बाद बाद पहली बार किसी भी सरकार में इतना भुगतान नहीं हुआ। जब हम सरकार में आए तो गन्ना किसानों का छह साल का बकाया भुगतान था। हमने 77 हजार करोड़ का भुगतान किया। अब तक 92 प्रतिशत गन्ने का भुगतान कर दिया है और जो बचा है, उसे जल्द से जल्द पूरा कर दिया जाएगा। इसके अलावा हमने डेढ़ दर्जन से ज्यादा चीनी मिलों को चलाने का काम किया है। चीनी मिलों की क्षमता वृद्वि का काम इस सरकार में किया गया है। जब हम सरकार में आए थे तो गन्ने का क्षेत्रफल 20 लाख हेक्टेयर था मगर हमने इसका क्षेत्रफल बढ़ाकर 28 लाख हेक्टेयर कर दिया है।
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किसानों की उपज में गन्ना माफिया का बहुत हस्तक्षेप रहता है। उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी है?
- पहले गन्ना माफियाओं का एक नेटवर्क हुआ करता था जिसे तोडऩे का काम योगी सरकार में किया गया है। दो लाख नौ हजार फर्जी सट्टïे (बांड) जो गन्ना माफिया चलाते थे उसे बंद करने का काम योगी सरकार में किया गया है। अब लखनऊ से केन्द्रीयकृत पारदर्शी व्यवस्था की गयी है जिसके कारण एक भी पर्ची कोई माफिया हासिल नहीं कर सकता है। इसका लाभ गन्ना किसानों को मिल रहा है। इसके अलावा हमने गन्ने की ढुलाई का भी दाम कम कर दिया है।
गन्ना किसानों की बिगड़ी हालत के लिए भाजपा सरकार पिछली सपा-बसपा सरकारों को क्यों दोषी बताती है ?
देखिए.....ये बात पूरी तरह से सत्य है कि सपा और बसपा सरकारों के कारण ही गन्ना किसानों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। लेकिन योगी सरकार के कुशल प्रबन्धन के कारण ही गन्ना किसानों की हालत में अब सुधार हुआ है। सपा-बसपा की सरकारों में किसानों को एक तरह से बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया गया था। 10 चीनी मिलें सपा की सरकारों में बंद हुईं थीं और 19 चीनी मिलें बसपा की सरकार में बंद हुईं। जबकि हमने डेढ़ दर्जन से ज्यादा चीनी मिलों को चलाने का काम किया है। एक ही महीने तीन चीनी मिलें चलाने का काम किया।
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प्रदेश में खांडसारी के लाइसेंस जारी न होने की गन्ना किसानों की एक पुरानी समस्या रही है।
- प्रदेश में 25 साल से खांडसारी के नए लाइसेेंस नहीं बने थे लेकिन योगी सरकार आने के बाद अब तक 100 से ज्यादा खांडसारी के नए लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं जिसकी क्षमता लगभग 30 हजार टीसीडी के बराबर है। नई छह चीनी मिलों के बराबर यह क्षमता होगी। इससे किसानों के पास अब विकल्प भी होगा। अब गन्ना किसान अपना गन्ना मिल के अलावा खांडसारी को भी दे सकेगा जिससे कुटीर उद्योग बढ़ेगा और रोजगार के अवसर बनेंगे। इसलिए गन्ना किसानों का मोह अब फिर से इस क्षेत्र में बढऩे की पूरी संभावना है।
एथेनाल को लेकर राज्य सरकार बड़े-बड़े दावे करती है आखिर इस क्षेत्र में ऐसा क्या किया गया है ?
- यह दावा नहीं, हकीकत है कि यूपी एथेनाल के क्षेत्र में नम्बर एक राज्य बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बायोफिल पालिसी लागू किए जाने के बाद कि 10 प्रतिशत एथेनाल की ब्राडिंग पेट्रो पदार्थों में की जाएगी। एथेनाल का उत्तर प्रदेश ने सर्वाधिक उत्पादन किया जिसके कारण इसे देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक 81 करोड़ का टारगेट मिला है।
नागरिक संशोधन विधेयक को लेकर प्रदेश में बड़ा उपद्रव हुआ। इस पर आप क्या कहना है?
- साफ है कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी हमेशा उपद्रवियों के साथ खड़ी रहती है। जो आतंकवादियों के मुकदमे वापस लेने की मांग कर सकते हों उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है। मुजफ्फरनगर दंगे को, जिसे सपा सरकार में सत्ता में बैठे लोगों के संरक्षण में करवाया गया, उसे प्रदेश की जनता अब तक भूली नहीं है। नागरिक संशोधन कानून किसी की नागरिकता लेने का नहीं बल्कि देने का काम करता है लेकिन कुछ लोगों ने भ्रम फैलाने का काम किया है। क्योंकि ऐसे लोगों के एजेण्डे में विकास शामिल नहीं है। यह लोग केवल अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम करते हैं। लेकिन भाजपा संगठन ने अब जन जागरूकता के तहत एक अभियान चलाने का काम शुरू किया है जिससे सरकार के इन फैसलों के बारे में जनता को सच्चाई का पता चल सके।