×

बसपा नेता हत्याकांड: विधायक सुशील सिंह बुरा फंसे, अब होगी फिर से जांच

बसपा नेता रामबिहारी चौबे हत्याकांड को लेकर सैयदराजा के भाजपा विधायक सुशील सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के चौबेपुर थाना क्षेत्र के श्रीकंठपुर निवासी बसपा नेता रामबिहारी की हत्या में भाजपा विधायक को मिली क्लीनचिट को दरकिनार करते हुए मामले की फिर से जांच करने का आदेश दिया दिया है।

Newstrack
Published on: 15 Dec 2020 4:31 AM GMT
बसपा नेता हत्याकांड: विधायक सुशील सिंह बुरा फंसे, अब होगी फिर से जांच
X
बसपा नेता हत्याकांड में विधायक सुशील सिंह की मुश्किलें बढ़ीं, भूमिका की फिर से होगी जांच

नई दिल्ली: बसपा नेता रामबिहारी चौबे हत्याकांड को लेकर सैयदराजा के भाजपा विधायक सुशील सिंह की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के चौबेपुर थाना क्षेत्र के श्रीकंठपुर निवासी बसपा नेता रामबिहारी की हत्या में भाजपा विधायक को मिली क्लीनचिट को दरकिनार करते हुए मामले की फिर से जांच करने का आदेश दिया दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए पहले की गई जांच को दिखावा और सच्चाई को छिपाने वाला बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया है।

ये भी पढ़ें: सपाइयों का साहस इस MLC की वजह से टूट गया, दुबक गए जोशीले कार्यकर्ता

क्लोजर रिपोर्ट दरकिनार, एसआईटी का गठन

जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने बसपा नेता के हत्याकांड में विधायक सुशील सिंह को पुलिस द्वारा दी गई क्लोजर रिपोर्ट को दरकिनार करते हुए मामले की फिर से जांच करने का आदेश दिया है।

सर्वोच्च अदालत ने एसआईटी का गठन करते हुए जांच की निगरानी का भी फैसला किया है। एसआईटी की अगुवाई आईपीएस सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज करेंगे और उन्हें पसंद के अफसरों को एसआईटी में रखने की छूट भी अदालत की ओर से दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को दो माह में मामले की जांच का काम पूरा करने का निर्देश दिया है।

suprime court

पूरी जांच दिखावा, सच्चाई छिपाने की कोशिश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में वाराणसी पुलिस के कामकाज पर भी अंगुली उठाई है। इस मामले में काफी समय तक जांच लंबित थी और 7 सितंबर 2018 को अदालत की ओर से नोटिस जारी किए जाने के बाद नवंबर 2019 में सुशील सिंह के खिलाफ मामला को बंद कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यह पूरी जांच एक दिखावा लगती है और इस मामले में जांच से अधिक सच्चाई छिपाने की कोशिश की गई है। बसपा नेता के बेटे ने इस मामले में याचिका दायर करके जांच में की गई खामियों का जिक्र किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच और क्लोजर रिपोर्ट की प्रवृत्ति को गैर जिम्मेदाराना बताया है।

इस तरह मामले में आया था विधायक का नाम

बसपा नेता की हत्या में भाजपा विधायक सुशील सिंह का नाम इस मामले में गिरफ्तार किए गए एक शूटर और वादी के बयान के आधार पर शामिल किया गया था। बसपा नेता की 4 दिसंबर 2015 की सुबह दो बदमाशों ने घर में घुसकर अंधाधुंध फायरिंग करके हत्या कर दी थी। इस दौरान दो अन्य बदमाश बसपा नेता के दरवाजे के पास ही खड़े थे। यह हत्याकांड पूर्वांचल में कई महीनों तक सुर्खियों में था।

File Photo

बसपा नेता ने पहले ही जताई थी आशंका

बाद में पुलिस ने इस मामले में 6 अप्रैल 2017 को शूटर अजय मरदह, आशुतोष और राजू बिहारी को गिरफ्तार किया था। इसके बाद बसपा नेता के पुत्र अमर नाथ चौबे और राजू बिहारी के बयान के आधार पर सुशील सिंह का नाम मुकदमे में आपराधिक साजिश रचने के आरोपी के तौर पर शामिल किया गया था। बसपा नेता के बेटे अमरनाथ चौबे का कहना है कि उनके पिता ने हत्या से पहले पुलिस और प्रशासन के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर अपनी जान को सुशील सिंह से खतरा बताया था।

उन्होंने कहा कि उनके पिता की हत्या के मुकदमे की विवेचना आठ निवेशकों ने की थी। उनके व शूटर के बयान और पिता के पत्र को खारिज करते हुए चौबेपुर थाने की पुलिस ने विधायक सुशील सिंह को क्लीनचिट दे दी।

ये भी पढ़ें: चीखों से गूंजा इटावा: हुआ दर्दनाक हादसा, मौत से पसरा मातम

पुलिस पर साक्ष्यों की अनदेखी का आरोप

बसपा नेता के बेटे ने कहा कि हमारी ओर से पुलिस को साक्ष्य और तथ्य उपलब्ध कराए गए थे मगर पुलिस की ओर से लगातार इनकी अनदेखी की गई। पुलिस के इस रवैये के कारण मैंने 2018 में इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। दूसरी ओर पुलिस लगातार यह कहते रही कि इस मामले में कुछ भी नहीं बचा है। इसलिए अदालत की शरण में जाने पर भी कोई फायदा नहीं होने वाला है। बसपा नेता के बेटे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें न्याय की उम्मीद जगी है।

अंशुमान तिवारी

Newstrack

Newstrack

Next Story