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जानिए टी-18 ट्रेन कैसे बनी वंदे भारत एक्सप्रेस, दिलचस्प है इसकी कहानी

जब इच्छा शक्ति हो तो कामयाबी चरणों में होती है। इसी कारण हमारी टीम ने कड़ी मेहनत तथा इच्छा शक्ति से यह टी-18 ट्रेन (वन्दे भारत एक्सप्रेस) 18 माह के रिकार्ड समय में अक्टूबर 2018 में बन कर तैयार हो गई।

Dharmendra kumar
Published on: 31 Aug 2019 8:50 PM IST
जानिए टी-18 ट्रेन कैसे बनी वंदे भारत एक्सप्रेस, दिलचस्प है इसकी कहानी
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लखनऊ: जब इच्छा शक्ति हो तो कामयाबी चरणों में होती है। इसी कारण हमारी टीम ने कड़ी मेहनत तथा इच्छा शक्ति से यह टी-18 ट्रेन (वन्दे भारत एक्सप्रेस) 18 माह के रिकार्ड समय में अक्टूबर 2018 में बन कर तैयार हो गई। पूरा प्रोजेक्ट इसकी डिज़ाइन से लेकर निर्माण तक बिना किसी बाहरी सहायता तथा तकनीकी हस्तान्तरण के भारत में ही पूर्ण हुआ। इसकी तकनीकी और निर्माण पूरी तरह आईसीएफ में हुआ तथा बिना किसी बाहरी देश के सहयोग के पूरी तरह से भारत में ही पहली बार भारतीय रेल द्वारा पूरा किया गया।

यह बातें शनिवार को टी-18 ट्रेन (वन्दे भारत एक्सप्रेस)के जनक इंजीनियर सुधांशु मणि, जनरल मैनेजर, इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई ने उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन के एसोसिएशन के सभागार में एक चर्चा में कही।

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सुधांशु मणि ने बताया कि अगस्त 2016 को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई (आईसीएफ) में जनरल मैनेजर के रूप में ज्वाइन किया। मैंने पाया कि इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में लोगों में कार्य करने की इच्छा शक्ति है। मैंने आईसीएफ में आधुनिक ट्रेन बनाने का निर्णय लिया। इसकी संभावना पर कर्मचारी बहुत उत्साहित थे।

इंजीनियर सुधांशु मणि

उन्होंने कहा कि मैंने केन्द्रीय रेल्वे बोर्ड के समक्ष इसका प्रस्ताव रखा और उनसे इस प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने की अनुमति अप्रैल 2017 में प्राप्त करने में सफल हुआ। मैंने अपनी टीम को भरोसा दिलाया कि हम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की भारत में निर्मित आधुनिकतम ट्रेन बनाने जा रहे हैं। चूंकि मैं दिसम्बर 2018 में रिटायर होने जा रहे थे और यह निर्णय लिया कि यह ट्रेन आई सी एफ़ से 2018 में ही तैयार होकर बाहर आ जाए अत: इस ट्रेन का नाम टी-18 रखा।

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सुधांशु मणि ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के फलस्वरूप आईसीएफ 2017 में दुनिया में रेलवे कोच बनाने की सबसे बड़ी फैक्ट्री बन गई तथा इस वर्ष की प्रोडक्शन में बढ़ोत्तरी लगभग 33% हुई। जहां पर भारतीय रेल द्वारा विश्व स्तर का निर्माण कार्य कराये जा सकते हैं, जैसे कि टी-18 ट्रेन।

मणि ने बताया कि आईसीएफ ने विशिष्ट कोच, स्वचलित कोच बनाये। यह भारतीय रेल की एक मात्र कोच फ़ैक्ट्री है जिसने कई निर्यात में भी योगदान दिया, जैसे इस वर्ष श्रीलंका को डीज़ल इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव यूनिट का निर्यात किया जा रहा है। एक मात्र यूनिट जिसमें रिनिवेबल इनर्जी जैसे सोलर तथा विंड मिल स्थापित कर कार्बन उत्सर्जन शून्य स्तर पर किया गया।

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कार्यक्रम के अन्त में आरसी बरनवाल, प्रमुख अभियंता, लोक निर्माण विभाग ने अपने सम्बोधन में कहा कि मणि ने हम लोगों के समक्ष एक मिसाल प्रस्तुत की है कि यदि प्रयास किया जाए तो उच्चतम स्तर का निर्माण बिना बाहरी सहायता के भारत में भी किया जाना सम्भव है।

इन्द्रधनुषी सर्विसेज़ प्राइवेट लिमिटेड (आई एस पी एल) तथा उत्तर प्रदेश इंजीनियर्स एसोसिएशन के संयुक्त प्रयास से टी-18 ट्रेन (वन्दे भारत एक्सप्रेस) के जनक सुधांशु मणि, जनरल मैनेजर, इंटीग्रल कोच फ़ैक्ट्री, चेन्नई द्वारा टी-18 के निर्माण के विभिन्न पहलुओं पर प्रस्तुत की गई। इं सुधान्शु मणि 31 दिसम्बर 2018 को भारतीय रेलवे से सेवानिवृत्त होकर लखनऊ में रह रहे हैं।

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इस अवसर पर एसोसिएशन के पदाधिकरियों, विभिन्न विभाग के अभियंताओं, राइट्स संगठन के अधिकारियों तथा आई एस पी एल के पदाधिकारियों सहित 60 से अधिक लोगों ने प्रतिभाग किया।



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Dharmendra kumar

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