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अस्थाई गौशाला का हाल: गौवंशो को कुत्ते बना रहे निवाला, नगर निगम नही दे रहा ध्यान
उन्होंने बताया कि इस गौशाला में 423 सांड है और 176 गाय है। इनकी देखरेख के लिए हमें कम से कम आधा दर्जन कर्मचारियों की जरूरत है। जो सुबह शाम इनके लिए चारा पानी और साफ़ सफाई का काम देख सके।
कानपुर: कानपुर में बनाए गए अस्थाई गौशाला की तस्वीरें किसी को विचलित कर सकती हैं। इस गौशाला में आए दिन गौवंशो की मौत हो रही हैं। मौत के बाद इन्हें आवारा कुत्ते और पक्षी अपना निवाला बना रहे हैं।
इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है सैकड़ो गौवंश बीमार हैं। सही ढंग से देख रेख नही होने की वजह से रोजाना इनकी मौत हो रही है। आवारा कुत्तों को भगाने वाला भी इस गौशाले में कोई नहीं है। कई गौवंश तो भूख की वजह से भी दम तोड़ रहे हैं। इसके वजह से इलाके में भी कई वायु प्रदूषण द्वारा फैलने वाली बीमारियां भी पनप रही हैं।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2019 के आम बजट में आवारा मवेशियों के लिए अलग से बजट पास किया था। जिसमे ग्रामीण क्षेत्रो के गौवंश के रख रखाव देखरेख के लिए 247 करोड़ रूपए और शहरी क्षेत्रो में गौवंश की देखरेख के लिए 200 करोड़ रूपए का बजट पास किया था। इसके बाद भी गौवंश मर रहे है उन्हें चारा नही मिल रहा है। मरे हुए गौवंशो को आवारा कुत्ते अपनी भूख मिटा रहे है।
शासन ने उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों को आदेश दिया था कि आवारा गौवंश को पकड़ गौशाला में रखा जाए। इस फरमान के बाद सभी जनपदों के शीर्ष अधिकारी और पुलिस विभाग के अधिकारी गौवंश को पकड़ने के लिए सडको पर उतर आए थे। जिला प्रशासन द्वारा कानपुर शहर के कई क्षेत्रो में अस्थाई गौशाला बनाई गई थी। ऐसी ही एक गौशाला पनकी में नगर निगम द्वारा बनवाई गई थी। जहा पर गौवंश बहुत ही बुरी स्थिति में रहने को मजबूर है।
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गौशाला सरंक्षक आकाश के मुताबिक यह अस्थाई गौशाला सरंक्षण केंद्र पनकी है। उन्होंने कहा कि इस गौशाला में बाउंड्री नहीं है जिसकी वजह से आवारा कुत्ते अन्दर आ जाते हैं। होली से पहले गौशाला के चारों तरफ बाउंड्री वाल का काम शुरू हो जाएगा। गौवंशो के लिए यहाँ पर पर्याप्त चारा है,चोकर है और हरा चारा भी इनके लिए रोजाना आता है। यहाँ पर कर्मचारियों की बहुत कमी है मात्र दो कर्मचारी इतने गौवंश की देखरेख के लिए है। इसके साथ ही यहाँ पर बीमार जानवरों को देखने के लिए रोजाना डॉक्टर आते है।
उन्होंने कहा कि एक साथ कई गौवंश की मौत जाती है और सिर्फ काम करने वाले दो लोग है। यदि एक मरे हुए गौवंश के पास के कर्मचारी लगाएगे तो दूसरे और तीसरे मरे हुए गौवंश के पास किस कर्मचारी खड़ा करेगें। बाहर से आवारा कुत्ते आ जाते है और उन्हें भगाने के लिए हमारे पास पर्याप्त कर्मचारी नही है। यह आवारा गौवंश जब यहाँ आते है तो पालीथीन खाकर आती है। पालीथीन खाने से इनका पेट फूल जाता है और यही उनकी मौत का कारण बनता है।
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उन्होंने बताया कि इस गौशाला में 423 सांड है और 176 गाय है। इनकी देखरेख के लिए हमें कम से कम आधा दर्जन कर्मचारियों की जरूरत है। जो सुबह शाम इनके लिए चारा पानी और साफ़ सफाई का काम देख सके। इसके लिए नगर निगम में पत्र दिया गया है लेकिन अभी तक कोई अश्वासन नही मिला है।