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हर महीने हो रहा ये बड़ा घोटाला, जिम्मेदार अधिकारी हैं मौन

होता यह है कि गोदाम पर ही बगैर तौल कराये ही कोटेदार का खाद्यान दे दिया जाता है। कोटेदार अपने साधन एवं किराये से खाद्यान ले जाने को मजबूर हैं।

Aradhya Tripathi
Published on: 1 Jun 2020 1:47 PM GMT
हर महीने हो रहा ये बड़ा घोटाला, जिम्मेदार अधिकारी हैं मौन
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जौनपुर: केन्द्र एवं प्रदेश की सरकारें खाद्यान घोटाला रोकने के चाहे जितने उपाय कर ले फिर भी सरकारी तंत्र खाद्यान घोटाला से बाज़ नहीं आने वाला है। यही कारण है कि जहां वितरण प्रणाली की सबसे निचली कड़ी कोटेदार अधिकारीयों के घोटाले की शिकार हो रही है वहीं पर गरीबो मिलने वाला खाद्यान उन तक न पहुंच कर गोदाम से से सीधे बाजारो में पहुंच रहा है। खाद्यान घोटाला करके एक ओर सरकारी तंत्र के लोग माला माल हो रहे हैं तो दूसरी ओर गरीब भूख से बिलबिलाते नजर आ रहे हैं। खाद्यान घोटाला के मामले में एक जनपद जौनपुर पर नजर डाली जाए तो सम्बंधित विभाग एवं सरकारी मशीनरी के द्वारा प्रति माह हजारों कुंटल खाद्यान का परखी घोटाला किया जा रहा है। कोई भी जिम्मेदार इसको गम्भीरता से क्यों नहीं ले रहा है यह एक बड़ा एवं निरूत्तर सवाल है।

सरकारी तंत्र कर रहा परखी घोटाला

बता दें कि जनपद जौनपुर में प्रति माह 29 लाख 28हजार 100 युनिट के लिए शासन द्वारा खाद्यान जिसमें गेहूं 11293.740 मैट्रिक टन यानी (11लाख 29 हजार 300 .74 कुन्तल) एवं चावल 7 737.280 मैट्रिक टन यानी ( 7 लाख 73 हजार 800.28 ) कुंटल का एलाट मेन्ट है। सम्पूर्ण खाद्यान एस एम आई गोदाम से विपणन गोदाम में पहुंचता है। यहां पर यह चर्चा करना समीचीन होगा कि शासनदेश है कि विपणन गोदाम से खाद्यान कोटेदार के दुकान पर सरकारी साधन अथवा खर्चे से पहुंचाया जाये और दुकान पर एक-एक बोरी जो 50 किग्रा की होती है काँटा से वजन करके कोटेदार को सुपुर्द किया जाये। लेकिन ऐसा नहीं होता है। होता यह है कि गोदाम पर ही बगैर तौल कराये ही कोटेदार का खाद्यान दे दिया जाता है। कोटेदार अपने साधन एवं किराये से खाद्यान ले जाने को मजबूर हैं। क्योंकि वितरण प्रणाली की सबसे निचली और कमजोर कड़ी हैं। जबकि यहां कोटेदार का एक तरह से शोषण होता है।

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अब बताते हैं कि परखी घोटाला कैसे किया जाता है। गेहूं और चावल की बोरियां 50 किग्रा की होती हैं। विपणन गोदाम में अधिकारी की सह पर वहां पर काम करने वाले कामगार बोरियों की सिलाई खोले बिना ही परखी लगा कर प्रति बोरी लगभग 5 किग्रा खाद्यान बाहर निकाल लते हैं। इस तरह एक कुंटल में 10 किग्रा गेहूं चावल परखी घोटाला से निकाल लिया जाता है। कमजोर कड़ी होने के कारण कोटेदार विरोध करने का साहस नहीं कर सकता। इसलिए सरकारी तंत्र के हौसले बुलंद हैं। जनपद जौनपुर में आंकड़ों पर नजर डाली जाये तो गेहूं, चावल दोनों को मिला कर प्रति माह लगभग 19 हजार 32.2 कुंटल खाद्यान का परखी घोटाला किया जा रहा है। यह खाद्यान गरीब को न मिल कर सीधे बाजारो में बेंचा जाता है। इसकी आमदनी में विपणन विभाग सहित जिले के शीर्ष हुक्मरानो का भी हिस्सा लगता है।

जवाब देने से बचते नजर आए अधिकारी

दूसरी ओर खाद्यान वितरण में लापरवाही के आरोप में सीधे कोटेदार के गले पर आरी चला कर प्रशासन के लोग अपनी पीठ स्वयं थपथपा लेते हैं। इस विषय पर विपणन अधिकारी महेश कुमार श्रीवास्तव से बात करने पर उन्होंने कहा कि हम कुछ भी नहीं बता सकते हैं। जिला पूर्ति अधिकारी से बात करें। फिर जिला पूर्ति अधिकारी से बात किया तो उनका जवाब था कि गोदाम तो विपणन अधिकारी के अधीन होती है। इस तरह किसी ने कोई जबाब नहीं दिया। हां जिले के आवंटन का आंकड़ा जरूर बता दिया। यह भी बता दें कि विगत माह 27 अप्रैल को जिले के थाना बक्शा की पुलिस ने 240 बोरी सरकारी खाद्यान ट्रक से हरियाणा ले जाते समय पकड़ा था।

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सूत्र की माने तो इतना तो पता चला कि खाद्यान सरकारी गोदाम से ही निकल कर हरियाणा बाजार में बिकने के लिए जा रहा था। मुकदमे की विवेचना करने वाले आई ओ जब सच के करीब हो गया तो दबाव में उसको थाने से हटा दिया गया जो चर्चा का बिषय बना है। इस तरह प्रति माह जिले में बड़े पैमाने पर गरीबो को मिलने वाले खाद्यान का परखी घोटाले का खेल किया जा रहा है। शासन प्रशासन के सभी जिम्मेदार लोग कानों में तेल डाले इस खेल में चुप्पी साधे हुए हैं और पिछले दरवाजे से अपनी तिजोरी भरने में मशगूल नजर आ रहे हैं। ऐसे में कैसे कहा जा सकता है कि शासन प्रशासन गरीबों का हितैषी है।

रिपोर्ट- कपिल देव मौर्य

Aradhya Tripathi

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