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दिल्ली में राजपथ पर रविवार को उतरेगा उत्तर प्रदेश का ये चेहरा
प्रस्तुत झांकी के केन्द्र में भारत के सनातन संस्कृति की प्रतिबिम्ब काशी होगी। झांकी के अगले हिस्से में बन फ्लेटफार्म पर भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़े वाद्य-यंत्रों को प्रदर्शित किया गया है। जबकि प्लेटफार्म के नीचे काशी में बहती अविरल निर्मल गंगा और यहां की संस्कृति देखने को मिलेगी।
नई दिल्ली/लखनऊ: गणतंत्र दिवस की राजपथ पर निकलने वाली परेड के अवसर पर उत्तर प्रदेश की तरफ से सर्वधर्म समभाव की थीम पर आधारित झांकी दिखाई देगी। इस झांकी के माध्यम से उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्यटन को दिखाया गया है।
गणतंत्र दिवस की झांकी में काशी की गंगा की निर्मल धारा में वहां की सांस्कृतिक विरासत की अविरल प्रवाह की झलक के साथ-साथ देवाशरीफ की सूफियाना मिजाज का भी एहसास होगा।
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प्रस्तुत झांकी के केन्द्र में भारत के सनातन संस्कृति की प्रतिबिम्ब काशी होगी। झांकी के अगले हिस्से में बन फ्लेटफार्म पर भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़े वाद्य-यंत्रों को प्रदर्शित किया गया है। जबकि प्लेटफार्म के नीचे काशी में बहती अविरल निर्मल गंगा और यहां की संस्कृति देखने को मिलेगी।
ये भी दिखेगा झांकी में
गणतंत्र दिवस की झांकी में काशी की संगीत परम्परा को नई ऊचांईयों पर पहुंचाने वाले प्रख्यात शहनाई वादक भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, तबला सम्राट पं. सामता प्रसाद (गुदई महाराज) और स्वर सम्राज्ञी विदुषी गिरिजा देवी की प्रतिकृतियां भी प्रदर्शित की गई है। झांकी पर कत्थक नृत्य करते कलाकर झांकी को सजीव बनायेंगे।
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नृत्य में तल्लीन कलाकारों के पीछे काशी की संत परम्परा को विशिष्ट पहचान देवे वाले संत कबीर और संत रविदास की प्रतिकृतियां होगी, वहीं पाश्र्व में बाराबंकी की मशूहर देवा शरीफ का नजारा देखने को मिलेगा, जो प्रदेश की सूफियाना तासीर और गंगा जमुनी तहजीब का संकेत देगी।
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इसी के साथ झांकी के दोनों ओर ग्राउण्डस एलीमेंट के रूप में कलाकार द्वारा प्रदेश के प्रसिद्ध सांस्कृतिक विद्याओं का प्रर्दशन करते हुए नजर आयेंगें।