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ये बाप-बेटे बने गरीबों और जानवरों का सहारा, मिल कर कर रहे ये काम
पिछले 40 दिन से लगातार ये समाजसेवी गरीबों का पेट भर रहा है। हर रोज खाना बनवाकर अपनी गाड़ी से लेकर दूर दराज के गांवों मे खाना बांटने के लिए निकल जाते है।
शाहजहांपुर: लॉकडाउन 3 घोषित होने के बाद लगातार समाजसेवी गरीबों की सेवा कर उनका पेट भर रहे हैं। लेकिन आज एक समाजसेवी ने रोड पर घूम रहे जानवरों का पेट भरकर पुन्य कमाया। समाजसेवक ने बंदरों और आवारा पशुओं को केले खिलाये। पिछले 40 दिन से लगातार ये समाजसेवी गरीबों का पेट भर रहा है। हर रोज घर के बाहर खाना बनवाकर अपनी गाड़ी से लेकर दूर दराज के गांवों मे खाना बांटने के लिए निकल जाते है।
गरीबों और जानवरों को बांटते फल और भोजन
दरअसल रोड पर बंदरों और आवारा पशुओं को केले खिलाते इस समाजसेवी का नाम लखन प्रताप सिंह है। उनके साथ में तीन से चार लोग ऐसे हैं जो निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर रहे हैं। खास बात ये है कि उनका 8 साल बेटा भी उनके इस अच्छे कार्य मे पूरा साथ देता है। आज लखन प्रताप सिंह अपने 8 साल के बेटे और अपने साथियों के साथ गाड़ी में केले लेकर चल दिये। पहले तो वो रोड के किनारे लेटे लोगों को केले देते रहे। उसके बाद वह सदर बाजार के इमली रोड पर आ गए।
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जहां सैंकड़ों की तादाद मे बंदर इकट्ठा रहते हैं। बंदरों को देखकर उन्होंने अपनी गाड़ी रोकी और सभी लोग बंदरों को केले खिलाने लगे। खास बात ये है कि समाजसेवी लखन प्रताप के साथ उनका बेटा भीउनका पूरा साथ देता है। बंदरों को केले खिलाते वक्त वहां पर कुछ गायें भी आ गई। उनका बेटा अपने घर पर जब खाने की तैयारी होती है तो हलवाई का खाना बनाने में साथ देता है। यही बात समाजसेवक को सबसे ज्यादा अच्छी लगती है।
लॉकडाउन के दौरान पिछले 40 दिन से कर रहे हैं सेवा
समाजसेवी लखन प्रताप सिंह का कहना है कि वह पिछले 40 दिन से लॉक डाउन होने के कारण गरीबों को खाना खिला रहे हैं। ऐसा नही है कि वह खुद का प्रचार कर रहे हैं। बल्कि वह खाना बनवाने के बाद 70 से 80 किलोमीटर का सफर तय कर उन गरीबों को खाना खिलाते है। जिनको वास्तव मे खाने की जरूरत है। लेकिन आज वह केले लेकर निकले और वह फुटपाथों पर लेटे लोगों को खिला रहे थे।
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लेकिन तभी कुछ बंदर दिखाई दिये। जो आपस मे लड़ रहे थे। वह बजरंग बली के भक्त हैं। इसलिए वह फौरन गाड़ी रोककर बंदरों को केले खिलाने लगे। इसी बीच गाय भी आ गई उनको भी केले खिलाये। उनका कहना है कि उन्हे सबसे ज्यादा खुशी तब होती है जब उनका 8 साल बेटा भी गरीबों की अपने हाथों से मदद करता है।